नई दिल्ली,02 मई 2024 (ए)। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक हालिया फैसले में कहा है कि गैर-जमानती वारंट आम तौर पर जारी नहीं किया जाना चाहिए, जब तक कि आरोपी पर कोई संगीन आपराधिक आरोप न हो और उसके कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका न हो।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि हालांकि गैर-जमानती वारंट जारी करने के बारे में कोई विस्तृत दिशा-निर्देश नहीं है, शीर्ष अदालत ने कई मौकों पर टिप्पणी की है कि गैर-जमानती वारंट तब तक जारी नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि आरोपी पर कोई संगीन आपराधिक आरोप न हो और उसके कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ अथवा उसे नष्ट करने की आशंका न हो। खंडपीठ में न्यायमूर्ति एस.वी.एन. भट्टी भी शामिल थे।
शीर्ष अदालत ने समन के आदेश को रद्द करते हुए कहा, इस संबंध में कानून में स्थिति स्पष्ट है कि गैर-जमानती वारंट आम तौर पर जारी नहीं किया जाना चाहिए और किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को तब तक प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि समाज और राष्ट्र के व्यापक हित में ऐसा करना जरूरी न हो।
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