- लोक निर्माण विभाग ने बिना वन विभाग के क्लीयरेंस कैसे दी ठेकेदार को काम करने की अनुमति?
- वनों के पेड़ों को नुकसान पहुंचाने के बाद काम तो हो गया बंद पर सारे पेड़ों को कर दिया गया नष्ट
- जंगल के पेड़ों व जंगल को नष्ट करने के बाद काम बंद करने का उद्देश्य मात्र मामले को ठंडा करना रह गया?
- जशपुर जिले के खुडि़यारानी धाम सड़क निर्माण ममाले में सारे नियम शिथिल कर बनाई जा रही है सड़क?
- क्या मुख्यमंत्री का गृह जिला होने के कारण सारे नियम शिथिल कर बनाई जा रही है सड़क?
- करोड़ों की लागत से बन रही है सड़क,सड़क निर्माण के दौरान काटे जा रहे हैं हरे भरे वृक्ष
–भूपेन्द्र सिंह –
अम्बिकापुर/जशपुर 02 मई 2024 (घटती-घटना)। पीडब्ल्यूडी विभाग ने बिना वन विभाग के क्लीयरेंस ठेकेदार को सड़क निर्माण की अनुमति कैसे दी …कि ठेकेदार ने हरे-भरे पेड़ों को मशीन से उखाड़ कर नष्ट कर दिया? वहीं पहाड़ों को भी काट डाला? प्रदेश के सरगुजा संभाग में एक ऐसी सड़क का निर्माण जारी है जिसको लेकर सभी नियम शिथिल कर दिए गए हैं यहां तक की पर्यावरण को लेकर भी सड़क निर्माण में ध्यान नहीं दिया जा रहा है और सड़क निर्माण के दौरान हरे भरे वृक्षों को ठेकेदार ने बिना अनुमति पोकलेन मशीन से उखाड़ कर नष्ट किया गया, जिसमें कई वृक्ष पूरी तरह से नष्ट होगा जैसा देखने में आ रहा है। इस पूरे मामले में पीडब्ल्यूडी विभाग व वन विभाग दोनों चुप्पी साधे हुए हैं जहां वन विभाग जानता है कि उनके बिना अनुमति के निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी को सड़क निर्माण कार्य नहीं करना था फिर भी पीडब्ल्यूडी ने इस कार्य को नियम के विरुद्ध जाकर किया और ठेकेदार को कार्य करने की अनुमति दे दी, ऐसे में क्या दोषी पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों व ठेकेदार पर कार्यवाही हो पाएगी या फिर मुख्यमंत्री का गृह निवास होने की वजह से सब उनके मनसा अनुरूप हुआ है? इस वजह से सभी चुप्पी मारे बैठे हैं? पर यहां भी यदि नियमों की माने तो बिना वन विभाग के क्लीयरेंस के पीडब्ल्यूडी विभाग को निर्माण सड़क का नहीं करना था फिर भी विभाग ने नियम के विरुद्ध जाकर ठेकेदार को अनुमति दे दी और ठेकेदार बिना सोचे समझे हरे भरे पेड़ों को मशीनों से उखाड़ कर धराशाही कर दिए और सड़क को चौड़ीकरण करने की वजह से पहाड़ों को भी उखाड़ा गया क्या इससे प्रकृति को क्षति नहीं पहुंची?
बता दें की वर्ष 2023 में पंद्रह करोड़ पंद्रह लाख की लागत वाली दो पक्की सड़कें स्वीकृत की गई थीं जो दोनों ही जशपुर जिले की थीं जिसमे कुल 8.04 किलोमीटर सड़क बनाए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई थी, एक सड़क कैलाशगुफा तक एवम एक सड़क खुडि़यारानी तक बनाए जाने की एक साथ स्वीकृति प्रदान की गई थी। खुडि़यारानी सड़क की लंबाई कुल 4.4 किलोमीटर है वहीं कैलाशगूफा सड़क की लंबाई 4 किलोमीटर है वहीं सड़क निर्माण के साथ साथ अगल-बगल नाली निर्माण की भी स्वीकृति इस कार्य में प्रदान की गई है। अब सवाल यह उठ रहा है की क्या मामला मुख्यमंत्री के गृह जिले का है इसलिए सड़क निर्माण में नियमों को शिथिल किया गया है या बिना नियमों के पालन के सड़क बनाया जा रहा है। सड़क निर्माण के दौरान सबसे ज्यादा नियमो की अनदेखी इस मामले में देखी जा रही है की हरे भरे वृक्ष लगातार उखाड़ा जा रहा हैं। खुडि़यारानी पक्की सड़क निर्माण की लागत लगभग 8 करोड़ की है और 7 करोड़ के आसपास की लागत से कैलाश गुफा की सड़क बनाई जाएगी। माना जा रहा है की जब कांग्रेस शासनकाल में सड़क निर्माण कार्य स्वीकृत हुआ तब यदि निर्माण कार्य जारी हुआ होता नियमों के पालन के साथ सड़क निर्माण कार्य किया जाता वहीं प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री चूंकि जशपुर जिले के ही बन गए इसलिए स्वीकृत सड़क निर्माण कार्य को बिना नियमों के पालन के ही बनाने की अनुमति प्रदान कर दी गई जो निर्माणाधीन है।
पर्यटन के रूप में विकसित करने की है योजना,उसी के तहत पक्की सड़क का हो रहा है निर्माण
जशपुर जिले का कैलाश गुफा क्षेत्र और खुडि़यारानी पर्यटन के रूप के विकसित किया जा सके इसलिए ही दोनो जगहों की सड़क पक्की बनाई जाने की योजना बनी थी, उसी के तहत पक्की सड़क का निर्माण भी हो रहा है। पर्यटन के रूप में जशपुर को अलग पहचान दिलाना भी उद्देश है सड़कों के निर्माण मामले में। वैसे खुडि़यारानी और कैलाशगुफा क्षेत्र पर्यटन के रूप में पहले से ही अपनी पहचान रखती हैं और चूंकि सड़कें कच्ची थीं जिन्हें बनाया जा रहा है। वैसे पर्यटन के लिए विकसित करने के लिए सड़क निर्माण कार्य में नियमों की अनदेखी की जा रही है जिसको लेकर ही सवाल खड़े हो रहे हैं।
खुडि़यारानी के सौंदर्यीकरण एवं पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने की मुख्यमंत्री ने की घोषणा बनी वृक्ष को नष्ट करने की वजह?
प्रदेश के मुख्यमंत्री जब खुडि़यारानी पहुंचे थे तब उन्होंने घोषणा की थी की वह क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए आवश्यक प्रयास जारी करेंगे वहीं क्षेत्र के सौंदर्यीकरण को लेकर भी वह ध्यान देंगें। अब सड़क निर्माण और सड़क चौड़ीकरण के दौरान यह देखने को मिल रहा है की हरे भरे वृक्षों को उखाड़कर सड़क निर्माण किया जा रहा है। अब सवाल यह उठ रहा है की क्या सौंदर्यीकरण और पर्यटन के रूप में क्षेत्र को विकसित करने के लिए वृक्षों को ही नष्ट करने की की बात की गई थी उनके द्वारा वहीं सवाल यह भी उठता है की क्या यही वन क्षेत्र और पर्यटन को लेकर सरकार की प्राथमिकता है जिसमे हरे भरे वृक्ष को नष्ट करना ही विकास कहलाता है?
जिम्मेदार अधिकारी नहीं उठा रहे फोन,नहीं दे रहे हैं जवाब
पूरे मामले में जिम्मेदार अधिकारी फोन नहीं उठा रहे हैं। पीडब्ल्यूडी सहित वन विभाग के अधिकारी मामले में मौन साधे बैठे हैं। किन किन मामलों में अनापत्ती मिली है यह जानने का प्रयास किया गया लेकिन अधिकारी जिम्मेदार फोन उठाने से कतराते नजर आ रहे हैं। अब सवाल पूछे भी तो किससे पूछें। मुख्यमंत्री के गृह जिले का मामला होने के कारण सभी मौन साधे हुए हैं।
काम बंद पड़ा है वृक्ष काटकर छोड़ दिया गया है
बताया जा रहा है फिलहाल काम बंद पड़ा है लेकिन हरे भरे वृक्ष बड़े पैमाने पर काटा गया है। अब वृक्ष काटने की अनुमति किसने दी और अनुमति थी फिर भी काम क्यों बंद है यह बड़ा सवाल है। मामला पर्यावरण से जुड़ा हुआ है और वृक्षों का नष्ट किया जाना बड़ी बात है क्योंकि अभी सरगुजा में वनों का कोयले के लिए काटा जाना ऐसा मामला है जो ठंडा नहीं पड़ा है और उसके बाद यह नया मामला है। वैसे क्या वन क्षेत्र को पर्यटन के लिए विकसित करने के लिए भी वनों को काटना जरूरी है। क्या कच्चे रास्तों से कोई पर्यटन क्षेत्र अपनी पहचान नहीं रखेगा?
वन विभाग के बिना अनुमति 8.04 किलोमीटर सड़क निर्माण कैसे?
बता दें की वर्ष 2023 में पंद्रह करोड़ पंद्रह लाख की लागत वाली दो पक्की सड़कें स्वीकृत की गई थीं जो दोनों ही जशपुर जिले की थीं जिसमे कुल 8.04 किलोमीटर सड़क बनाए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई थी,एक सड़क कैलाशगुफा तक एवं एक सड़क खुडि़यारानी तक बनाए जाने की एक साथ स्वीकृति प्रदान की गई थी। खुडि़यारानी सड़क की लंबाई कुल 4.4 किलोमीटर है वहीं कैलाशगूफा सड़क की लंबाई 4 किलोमीटर है वहीं सड़क निर्माण के साथ साथ अगल बगल नाली निर्माण की भी स्वीकृति इस कार्य में प्रदान की गई है। अब सवाल यह उठ रहा है की क्या मामला मुख्यमंत्री के गृह जिले का है इसलिए सड़क निर्माण में नियमों को शिथिल किया गया है या बिना नियमों के पालन के सड़क बनाया जा रहा है? सड़क निर्माण के दौरान सबसे ज्यादा नियमो की अनदेखी इस मामले में देखी जा रही है की हरे भरे वृक्ष लगातार काटे जा रहे हैं। खुडि़यारानी पक्की सड़क निर्माण की लागत लगभग 8 करोड़ की है और 7 करोड़ के आसपास की लागत से कैलाश गुफा की सड़क बनाई जाएगी। माना जा रहा है की जब कांग्रेस शासनकाल में सड़क निर्माण कार्य स्वीकृत हुआ तब यदि निर्माण कार्य जारी हुआ होता नियमों के पालन के साथ सड़क निर्माण कार्य किया जाता वहीं प्रदेश में साा परिवर्तन के साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री चूंकि जशपुर जिले के ही बन गए इसलिए स्वीकृत सड़क निर्माण कार्य को बिना नियमों के पालन के ही बनाने की अनुमति प्रदान कर दी गई जो निर्माणाधीन है।
पूर्व कांग्रेस सरकार में खुडि़यारानी में पक्के सड़क का निर्माण की स्वीकृत मिली पर वर्तमान भाजपा सरकार में सड़क निर्माण शुरू हुआ नियम को शिथिल कर?
बता दें की जशपुर जिले के खुडि़यारानी में पक्के सड़क का निर्माण कार्य वर्ष 2023 में स्वीकृत हुआ था और तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी वहीं तब सड़क निर्माण कार्य जारी नहीं हो सका था जो अब जारी हुआ है और वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री भी जशपुर जिले से हैं और यह सड़क उन्हीं के क्षेत्र में बनाई जा रही है। बताया जा रहा है की करोड़ों की लागत से बनाई जा रही सड़क को लेकर कई नियम शिथिल कर दिए गए हैं जिसमे वन विभाग से अनापçा भी प्राप्त नहीं की गई है जैसा बताया जा रहा है और सड़क निर्माण के लिए हरे भरे वृक्षों को उखाड़ कर फेका जा रहा।
क्या ठेकेदार पर होगी कार्यवाही?
सरकार की अनुमति के बिना पेड़ को कटाना अपराध है। भारतीय वन कानून 1927 के अनुसार सेक्शन 68 के अंतर्गत पर्यावरण कोर्ट में मामला दर्ज हो सकता है। इसमें पेड़ों की चोरी, पर्यावरण को नुकसान पहुंचने और प्रदूषण एक्ट के तहत मामला दर्ज हो सकता है। ऐसे में ठेकेदार द्वारा बिना अनुमति के दर्जनों पेड़ों को मशीन से उखाड़ कर क्षतिग्रस्त कर दिया क्या इस मामले में विभाग इस पर कार्यवाही करेगा?