रायपुर@गलत फैसले पर जब जज बर्खास्त हो जाते हैं,तो तहसीलदार क्यों नहीं?

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खुद ही शिकायत की और खुद ही मजिस्ट्रेट बनकर युवक को भेज दिया जेल
रायपुर,01 मई 2024(ए)। छत्तीसगढ़ में तहसीलदार ने एक युवक को मामूली विवाद पर जेल भेज दिया। दिलचस्प यह है कि तहसीलदार खुद ही शिकायतकर्ता बना और खुद ही वारंट बनाकर युवक को जेल भेज दिया। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के डबल बेंच ने इस कार्रवाई को नियम विरूद्ध बताते हुए युवक को 25 हजार क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है।
13 साल बाद न्याय
तहसीलदार के गलत फैसले से युवक को हफ्ते भर रायपुर जेल में रहना पड़ा। इसके बाद वह रिहा हुआ। पीçड़त युवक के पिता ने वकील के मार्फत बिलासपुर हाई कोर्ट में केस दाखिल किया। चीफ जस्टिस रमेश सिनहा और जस्टिस रजनी दुबे की बेंच ने कल तहसीलदार की कार्रवाई को गलत करार देते हुए 25 हजार रुपए क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया।
तहसीदार पर
कार्रवाई क्यों नहीं?

तहसीलदार, नायब तहसीलदार मजिस्ट्रेट बनकर अनाप शनाप आर्डर पास करते हैं मगर उन पर कार्रवाई का कोई सिस्टम नहीं। जबकि, उनसे उपर जजों से कोई गलत फैसला होता है तो उन पर ज्यूडिशरी से कड़ी कार्रवाई हो जाती है। न्यायपालिका का अपना सिस्टम है, जिसके जरिये कोर्ट में होने वाले फैसलों पर नजर रखी जाती है। इस मामले में तहसीदार द्वारा बिना वजह पावर का प्रदर्शन करने युवक को जेल भेजने की कार्रवाई दुर्भावना से प्रेरित है। सरकार को तहसीलदार को बर्खास्त नहीं तो कम-से-कम निलंबित करके जांच तो करनी चाहिए। जिससे आगे कोई तहसीलदार या नायब तहसीलदार मजिस्ट्रेट बनकर दुर्भावना से कार्रवाई न करें।


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