नई दिल्ली@पीएम मोदी और राहुल गांधी को चुनाव आयोग का नोटिस

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नई दिल्ली,25अप्रैल 2024 (ए)।
चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा आचार संहिता उल्लंघनों का संज्ञान लिया है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने धर्म, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर नफरत और विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया था। ईसीआई ने 29 अप्रैल को सुबह 11 बजे तक जवाब मांगा है।
चुनाव आयोग ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 77 को लागू किया और स्टार प्रचारकों के व्यवहार के लिए पार्टी के अध्यक्षों को जिम्मेदार लेनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी के खिलाफ एमसीसी के आरोपों के उल्लघंन के लिए चुनाव आयोग ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से 29 अप्रैल को सुबह 11 बजे तक जवाब देने के लिए कहा है। कमीशन ने कहा कि ऊंचे पदों पर बैठे लोगों के चुनावी भाषणों का असर ज्यादा गंभीर होता है।


चुनाव आयोग ने 5 अप्रैल को आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी सिंह को भी नोटिस जारी किया था। आतिशी ने कहा था कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का ऑफर मिला था और ऐसा नहीं करने पर जेल भेजने की धमकी दी गई थी। चुनाव आयोग ने इसकी सच्चाई पर सवाल खड़े किए थे।तेलंगाना के पूर्व सीएम के चंद्रशेखर राव ने कांग्रेस नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसे लेकर भी चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भेजा था। कांग्रेस के गणेश गोदियाल और रघुबीर सिंह कदियान को भी चुनाव आयोग नोटिस भेज चुका है।


भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर अपनी रैलियों में भाषा और शब्दों के इस्तेमाल को लेकर इलेक्शन कमीशन में शिकायत दर्ज कराई थी। बीजेपी ने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने तमिलनाडु में भाषा के आधार पर लोगों के बीच भ्रम फैलाने का प्रयास किया। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने दावा किया था कि राहुल गांधी अपने भाषणों में भाषा के आधार पर उत्तर और दक्षिण भारत को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने अपनी लिखित शिकायत में राहुल गांधी पर कठोर कार्रवाई की मांग की थी।


ये शिकायतें मिलने के बाद इलेक्शन कमीशन ने स्टार प्रचारकों की फौज उतारने के लिए पहली नजर में पार्टी अध्यक्षों को ही जिम्मेदार ठहराया है। आयोग ने कहा, अपने प्रत्याशियों के कामों के लिए राजनीतिक दलों को ही पहली जिम्मेदारी उठानी चाहिए, खास तौर पर स्टार कैंपेनर्स के मामले में। ऊंचे पद पर बैठे लोगों के चुनावी भाषणों का असर ज्यादा गंभीर होता है।


भारत में लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले कैंडिडेट्स के लिए कुछ नियम तय किए गए हैं। इन्हें 1951 में बनाए गए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में डिफाइन किया गया है। इनमें एक हिस्सा चुनावी आचार संहिता का है। चुनाव के समय हर कैंडिडेट को इसका पालन करना होता है। किसी भी जगह आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत मिलने पर चुनाव आयोग एक्शन लेता है।


पीएम मोदी ने 21 अप्रैल को राजस्थान के बांसवाड़ा में कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो लोगों की संपत्ति को ज्यादा बच्चे वालों में बांट देगी। साथ ही पीएम मोदी ने कहा था कि कांग्रेस के घोषणापत्र में लिखा है कि सरकार बनने पर मां-बहनों के गोल्ड का हिसाब करेंगे और उसकी जानकारी लेंगे। केवल इतना ही नहीं, पीएम ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की उस टिप्पणी का भी जिक्र किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है। पीएम मोदी की इस टिप्पणी को लेकर कांग्रेस ने इलेक्शन कमीशन से शिकायत की थी। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था।


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