आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने सरकार को दी यह राय
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर की सरकार को राय
पीएम के नेतृत्व में राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति का हो प्रयास
राजनीतिक दलों पर कैसे अंकुश लगाया जाए,इस पर गहन बहस हो
हैदराबाद,21 अप्रैल 2024 (ए)। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने कहा है कि रेवडि़यों (फ्रीबीज) के मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति बनाने के लिए मोदी सरकार को श्वेत पत्र लाना चाहिए। सुब्बाराव ने कहा, इस बात पर गहन बहस होनी चाहिए कि इस संबंध में राजनीतिक दलों पर अंकुश कैसे लगाया जाए। जनता को इन रेवडि़यों की लागत एवं लाभों के बारे में अधिक जागरूक किया जाना चाहिए और इस बारे में लोगों को शिक्षित करना सरकार की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि आखिरकार यह राजनीतिक मुद्दा है और इस पर राजनीतिक आम सहमति होनी चाहिए। इसका नेतृत्व केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री को करना होगा। मेरा मानना है कि उन्हें एक श्वेत पत्र लाना चाहिए और इस पर आम सहमति बनाने का प्रयास करना चाहिए।
रेवडि़यों की लाभ-हानियों पर लोगों को शिक्षित कीजिए सुब्बाराव ने कहा, इन रेवडि़यों की लाभ-हानियों पर लोगों को शिक्षित कीजिए और सुनिश्चित कीजिए कि हम इस पर कैसे अंकुश लगा सकते हैं और कैसे लागू कर सकते हैं।आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि भारत जैसे गरीब देश में यह सरकार का कर्तव्य है कि वह सबसे कमजोर वर्गों को कुछ सुरक्षा प्रदान करे और आत्मनिरीक्षण करे कि राजकोषीय सीमाओं के मद्देनजर उनका दायरा कितना हो सकता है।
रेवडि़यों पर अधिक जोरदार बहस करनी चाहिएःसुब्बाराव
उन्होंने कहा, आपको सवाल करना चाहिए कि क्या यह इस पैसे का सर्वश्रेष्ठ इस्तेमाल है या हम कुछ बेहतर कर सकते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि हमें रेवडç¸यों पर अधिक जानकारीपूर्ण व जोरदार बहस करनी चाहिए और यह भी जानना चाहिए कि हम राजनीतिक दलों पर कैसे कुछ अंकुश लगा सकते हैं।
राज्यों-केंद्र को राजकोषीय अनुशासन बनाए रखना चाहिए
कुछ राज्यों द्वारा राजकोषीय दायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) की सीमा पार करने पर उन्होंने कहा कि राज्यों और केंद्र सरकार को राजकोषीय अनुशासन बनाए रखना चाहिए और एफआरबीएम लक्ष्यों का पालन करना चाहिए। एक सवाल के जवाब में सुब्बाराव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने एक अध्ययन किया था जिसके मुताबिक भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर लगातार बनाए रखनी होगी।
जश्न मनाने की जरूरत नहीं
उन्होंने कहा, हम यह नहीं कह सकते कि वे हमारे पास नहीं हैं, न ही हम यह कह सकते हैं कि वे सभी हमारे पास हैं। ये ऐसी चीजें हैं जिनका हमें विकास करना है। सुब्बाराव ने पूर्व में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना के अनुसार 2029 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद भी भारत को एक गरीब देश कहा जा सकता है, इसलिए इसका जश्न मनाने की जरूरत नहीं है।