सूरजपुर/विश्रामपुर@क्या रेहर कोल स्टॉक घोटाले में तत्कालीन जीएम अमित सक्सेना को बचाना चाहती है विजिलेंस…क्या विजिलेंस सीबीआई को कर रही गुमराह?

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ओंकार पाण्डेय –
सूरजपुर/विश्रामपुर 13 अप्रैल 2024(घटती-घटना)। एसईसीएल बिश्रामपुर के सह क्षेत्र रेहर खदान में बड़ी मात्रा में कोल स्टॉक में गड़बड़ी पाई गई थी जो लगभग तय है जांच दल ने भी कोल स्टॉक में कमी पाया था जिसकी जांच रिपोर्ट भी जांच एजेंसियों के पास मौजूद है पर अब इस घोटाले में लगभग 3 साल होने को है पर अभी तक किसी पर भी कानूनी कार्यवाही नहीं हो पाई है पर अब कानूनी कार्यवाही होने की उम्मीद जगी है क्योंकि इसमें केंद्रीय एजेंसी सीबीआई सामिल हो गई है अभी तक बिश्रामपुर क्षेत्र में तीन बार सीबीआई ने दस्तक दे चुकी है और दस्तावेजों को खंघाल रही है, वहीं इससे पूर्व विजिलेंस ने इस मामले की जांच की थी पर उसे जांच में तत्कालीन महाप्रबंधक अमित सक्सेना को बचाने का प्रयास किया था ऐसा बताया जा रहा था कि विजिलेंस में तत्कालीन महाप्रबंधक का कोई रिश्तेदार था जो उसकी मदद कर रहा था, अभी भी सूत्रों के हवाले से यह बात सामने आई है कि सीबीआई की कार्यवाही से महाप्रबंधक अमित सक्सेना को बचाने के लिए उसे इस मामले को उजागर करने वाला व्यक्ति बताया जा रहा है कि मामले को उजागर उन्होंने ही किया था जो कि सरासर गलत है, इस मामले को उजागर शिकायतकर्ता व दैनिक घटती-घटना खबर के प्रकाशन के बाद हुआ था, जिसमें स्टॉक में काफी कमी थी पर जांच एजेंसियों के पहुंचने तक स्टॉक को काफी हद तक मेंटेन कर लिया गया था इस वजह से सिर्फ 2700 टन का ही कोल स्टॉक में कमी पाई गई थी, कोल स्टॉक को कम करने के लिए भी कोयले में खूब मिट्टी मिलाया गया था और बहुत चीज हुई थी जिसकी जांच सीबीआई करें तो मामला और भी उजागर हो सकता है, वही यह तो तय हो चुका है कि इस मामले में कार्यवाही हो गई यही वजह है की अधिकारियों को कैसे बचाया जाए इसके लिए पूरी तैयारी चल रही है।
सूत्रों का कहना है की जेल जाने से उनको बचाने के लिए रोड सेल का रेट भी काम कर दिखया दिया गया है जबकि रोड सेल का रेट अधिक था और यदि उस समय का रोड सेल के रेट को रखा जाए तो कोल स्टॉक में काम पाए जाने वाले कोयला का दर लगभग एक करोड़ के पार हो जाएगा और दोषियों का जेल जाना तय हो जाएगा जिस वजह से दर को काम दिखया जा रहा है ताकि रकम कम हो और जेल जाने से वह बच जाए, दूसरा प्रयास यह भी है कि तत्कालीन महाप्रबंधक जो इस मामले के मुख्य आरोपी हैं उन्हें भी बचाया जाए यही वजह है की उन्होंने ही इस मामले को उजाकर करने वाला बताया जा रहा है जिसमें बिल्कुल भी सत्यता नहीं है यह मामला कैसे उजागर हुआ जग जाहिर है जबकि इस मामले के दोषी तत्कालीन महाप्रबंधक अमित सक्सेना पर कार्यवाही होनी चाहिए वह भी यलो बुक नियम के तहत है।
दो करोड़ कीमत का 2700 टन कोयला घोटाला मामला
ज्ञात हो की एसईसीएल विश्रामपुर की रेहर खदान में पिछले माह सामने आए दो करोड़ कीमत के 2700 टन कोयला घोटाला मामला क्षेत्रीय प्रबंधन की गले की हड्डी साबित हो रहा है। पूरे मामले की जांच के लिए फिर विजिलेंस की टीम यहां पहुंच जांच में जुट थी। कंपनी मुख्यालय से विजलेंस की तीन सदस्यीय टीम एक बार भटगांव रेस्ट हाउस भी पहुंची थी। जांच टीम के सदस्य रेहर खदान पहुंच मैनेजर कार्यालय के कोल स्टॉक के दस्तावेजों की जांच में जुटे हैं। 30 जून को आरजीके सब एरिया मैनेजर बीके चौधरी के सेवानिवृत्त होने के बाद रेहर खदान में दो करोड़ का कोयला शॉर्टज का मामला सामने आया था। बड़ी मात्रा में कोयला शॉर्टेज की शिकायत पर विजिलेंस की चार सदस्यीय टीम 14 जुलाई को रहर खदान में छापा मारकर दस्तावेजों की जांच के साथ स्टॉक का मेजरमेंट कराया। स्टॉक मेजरमेंट के बाद यहां 2700 टन (37 प्रतिशत) कोयला कम मिला। इस दौरान विजिलेंस ने कोल स्टॉक में मिट्टी और पत्थर मिला कर 37 प्रतिशत पर पहुचे नहीं तो 8 टन का कोल स्टॉक में कमी थी। कमी की भरपाई करने की प्राप्त शिकायत पर कोल स्टॉक के अलग-अलग जगहों से सैंपल इकट्ठा कर तीन दिन चली जांच के बाद मुख्यालय लौट गई थी यह उम्मीद की जारी थी की विजिलेंस निष्पक्ष जाँच करेगी पर ऐसा हुआ नहीं बल्कि विजिलेंस की टीम तत्कालीन महाप्रबंधक अमित सक्सेना को बचने के पैतरे आजमाते दिखी यही वजह की कार्यवाही में इतना विलंब हुआ अब विजिलेंस से उम्मीद नहीं अब उम्मीद सिर्फ सीबीआई से।
कोल इंडिया का येलो बुक नियम क्या कहता है
कोल इंडिया में अधिकारियों के लिए येलो बुक नियम बनाया गया, यह नियम कोल स्टॉक के गड़बड़ी में लागू होता है, यदि कोल स्टॉक में कोई भी गड़बड़ी आती है तो इसमें महाप्रबंधक, सहक्षेत्र प्रबंधक व खान प्रबंधक तीनों दोषी होते हैं, येलो बुक इन तीनों से जुड़ कर चलता है और यह खदान में हुए, घोटाले में भी येलो बुक नियम लागू होता है ऐसे में अधिकरीयो पर कार्यवाही होती है तो यह तीनों दोषी पाए जाएंगे पर देखना यह है कि आखिर यह कार्यवाही कब तक होती है क्या इन्हें बचाया जाएगा या फिर निष्पक्ष कार्यवाही की जाएगी।
2 खदानों से होता था उत्पादन फिर भी कोल स्टॉक में आई भारी गड़बड़ी
एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र के बलरामपुर व रेहर खदान में कोयले का उत्पादन होता था, देखा जाए तो महाप्रबंधक के अंडर में सिर्फ दो खदानें ही उत्पादन के लहजा से संचालित थी, पर इन दो खदानों को भी महाप्रबंधक संभाल नहीं पाए और यहां पर भी घोटाले की शिकायत हो गई और जांच दल को भी घोटाला मिल गया, जबकि आमगांव खदान का उत्पादन उसी समय शुरू हुआ था, इससे पहले ही कोल स्टॉक में गड़बड़ी रेहर खदान में मिल गई, वही बलरामपुर खदान में भी उत्पादन अधिक दिखाने के लिए कोयले की गुणवत्ता को मिट्टी व पत्थर मिलाकर खराब किया गया, राष्ट्र की संपत्ती खराब होतो है तो होने पर अधिकारियों का भला होता रहे इस दृष्टिकोण से अधिकारी कार्य करते दिख रहे हैं।
विजिलेंस में कौन है महाप्रबंधक का रिश्तेदार?
सूत्रों की माने तो एसईसीएल बिश्रामपुर कोल स्टॉक गड़बड़ी मामले में जो विजिलेंस की टीम जांच में शामिल है उसमें से एक सदस्य कौन है जो एसईसीएल बिश्रामपुर महाप्रबंधक का काफी करीबी व रिश्तेदार है? जो बचाने के लिए जांच को अलग दिशा में ले जा सकता है? ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर दोषियों को बचाया जाएगा तो फिर इस प्रकार की गड़बडि़यां आगे भी होती रहेंगी, इससे पहले भी बिश्रामपुर क्षेत्र में कोल स्टॉक में गड़बड़ी का मामला पहले भी हो चुका है जिसमे कुछ लोग जेल भी जा चुके हैं।
क्या तत्कालीन महाप्रबंधक अमित चार-पांच महीने में रिटायर हो जाएंगे तत्कालीन महाप्रबंधक अमित सक्सेना क्या इस वजह से धीमी चल रही है कार्यवाही?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विजिलेंस तत्कालीन महाप्रबंधक अमित सक्सेना को बचाने के लिए पूरा काम कर रही है यही वजह है कि कार्यवाही कछुए की चाल में चल रही है ताकि अमित सक्सेना का चार-पांच महीने बाद रिटायरमेंट होना है और वह रिटायर हो जाए और अपना पूरा पैसा ले ले इसके बाद कार्रवाई ना हो पाए,यही वजह है कि विजिलेंस सीबीआई को भी गुमराह कर रही है, जबकि सूत्रों का मानना है कि इस कोल घोटाले के मास्टरमाइंड तत्कालीन महाप्रबंधक अमित सक्सेना ही है, जिनके सह पर यह पूरा काम हो रहा था पर बाकी अधिकारियों पर इसकी गाज गिरने वाली है यह तो तय है पर वही अमित सक्सेना को बचाने का प्रयास पूरा हो रहा है यही वजह है कि उन्हें यह बताया गया है कि मामले को उजागर उन्होंने किया है, ऐसा सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है, वही यह मामला चार-पांच महीने और विलंब हो जाए ताकि अमित सक्सेना सेवानिवृत हो जाए और उन्हें विभाग का पूरा पैसा मिल जाए और वह रफू चक्कर हो जाए ऐसा भी प्रयास है।
सक्सेना बच निकलेगे और पूरा ठीकरा सेवानिवृत्त सहक्षेत्र प्रबंध वीके चौधरी व खान प्रबंधक फिरोज खान पर फुटेगा?
एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र के सहक्षेत्र रेहर खदान में बड़ी मात्रा में कोल स्टॉक में गड़बड़ी पाई गई थी, जिसे घोटाला कहना गलत नहीं होगा, जिसकी शिकायत भी उच्च स्तर पर हुई थी जिसके बाद विजिलेंस की टीम इस घोटाले व गड़बड़ी को जांच करने पहुंची थी, जिसमें विजिलेंस की टीम ने गड़बड़ी भी पाया था, पर उस बड़ी गड़बड़ी को कम करने के लिए महाप्रबंधक व खान प्रबंधक दोनों मिलकर खूब गोलमाल किए फिर भी गड़बड़ी से अपने आप को बचा नहीं पाए, जब विजिलेंस को कोल स्टॉक में गड़बड़ी मिल चुकी है तो अब महाप्रबंधक अपने आप को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं, यही वजह है कि अभी तक गड़बड़ी की रिपोर्ट मिलने के बावजूद महाप्रबंधक व खान प्रबंधक पर कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है, वही सहक्षेत्र प्रबंधक जो रिटायर हो चुके थे उनका 40 लाख का पेमेंट रोका गया है, ऐसे में सवाल यह है कि आखिर महाप्रबंधक व खान प्रबंधक को पद पर अभी तक आसीन क्यों निलंबित व बर्खास्त क्यों नहीं किया गया? सूत्रों की माने तो महाप्रबंधक को बचाने के लिए उच्च स्तर से तैयारी हो रही है यदि महाप्रबंधक बचते हैं तो इसका पूरा ठीकरा सेवानिवृत्त से सहक्षेत्र प्रबंध वीके चौधरी व खान प्रबंधक फिरोज खान पर पूरा ठीकरा फुटेगा पर नियम की माने तो यदि कोई भी घोटाला होता है तो उसमें महाप्रबंधक, सब एरिया व खान प्रबंधक तीनों दोषी होते हैं यह कोल इंडिया का नियम भी है पर अब देखना यह होगा की कार्यवाही कब और किस किस पर होगी लगातार शिकायतें हो रही हैं।
रेहर खदान कोयला घोटाला में तीसरी बार जांच के लिए पहुंची सीबीआई की टीम
एसईसीएल विश्रामपुर क्षेत्र के रेहर भूमिगत खदान में शार्टेज कोयले की जांच करने एक बार फिर सीबीआई की टीम ने बुधवार को दस्तक दी। कोयला घोटाले में जल्दी ही अपराध दर्ज होने की चर्चा जोरों पर हैं। मामले से जुड़े अधिकारियों में अपराध दर्ज होने के भय सताने लगा है। मामले में सीबीआई अधिकारियों ने बिना जांच पूरे हुए मीडिया को कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया है। लगभग दो करोड़ रुपये लागत के 27 सौ टन कोयला शार्टेज के मामले में सीबीआई यहां तीसरी बार जांच के लिए पहुंची है। एसईसीएल विश्रामपुर के रेहर अण्डरग्राउण्ड खदान की जांच करने इससे पूर्व पहली बार सीबीआई की टीम जनवरी माह में और दूसरी बार फरवरी माह में आ चुकी है। फरवरी माह में 22 दिन तक डेरा जमाए सीबीआई के अधिकारी इंस्पेक्टर यतीश चन्द्र शर्मा व पीसी संजय पटेल मामले से जुड़े दस्तावेजो को खंगालकर सबूत बतौर हजारों पन्नो के दस्तावेजो की फोटो कापी कराकर अपने साथ ले गए थे।
विजिलेंस नहीं कर सकी निष्पक्ष जांच अब सीबीआई से निष्पक्ष जांच की उम्मीद
कोल इंडिया केंद्र सरकार का उपकरण है और एसईसीएल उसी उपकरण का हिस्सा है और यह उपकरण राष्ट्रहित में काम करता है और यदि राष्ट्रहित पर किसी भी प्रकार की दिक्कत होती है तो हर व्यक्ति इसका विरोध करेगा कोयला राष्ट्र की संपत्ती है जिसका हेरा फेरी बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होना चाहिए, विजलेंस निष्पक्ष जांच नहीं कर सकी जिस वजह से तो देश की सर्वोच्च एजेंसी सीबीआई को जांच में शामिल होना पड़ा कराया।


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