- क्या कोरिया की जनता का महंत परिवार से हो चुका है मोह भंग?
- सरोज पांडेय को हाथो हाथ ले रही जनता तो वहीं ज्योत्सना महंत के लिए नही दिख रहा उत्साह
- मोदी के खिलाफ लगातार बयानबाजी से संकट में डॉ.चरणदास मंहत
- कोरबा को लेकर कांग्रेस में चिंता,पहली बार दी गई 110 नेताओं को जिम्मेदारी… क्या सरोज जैसी मजबूत नेतृत्व के आगे छूटे चरणदास के पसीने?
- मोदी लहर में इस बार महंत परिवार के लिए आसान नही है कोरबा लोकसभा का चुनाव

–रवि सिंह –
कोरबा/कोरिया,12 अप्रैल 2024(घटती-घटना)। अंततः कोरबा लोकसभा में भी अब चुनावी रंग दिखलाई देने लगा है,वर्तमान स्थिति तक एक ओर जहां भाजपा प्रत्याशी का क्षेत्र में लगातार दौरा जारी है तो वहीं कांग्रेस अभी तक सूची बनाने में ही उलझी दिखलाई दे रही है,इस बार का चुनाव कोरबा लोकसभा मंे भी दिलचस्प दिखलाई दे रहा है,भाजपा ने सरोज पांडेय जैसी अनुभवी राष्ट्रीय स्तर की राजनेता को मैदान में उतारकर महंत परिवार के लिए संकट पैदा कर दिया है तो वहीं सरोज पांडेय के आगे ज्योत्सना महंत का काफी फिकी महसूस हो रही हैं ज्योत्सना महंत के पास बतलाने के लिए कुछ नही सिर्फ नेता प्रतिपक्ष डॉ.चरणदास महंत का ही चेहरा है,यह चुनाव स्वयं डॉ.महंत के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है। कोरबा लोकसभा में कांग्रेस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं इस बात को प्रमाण इससे भी मिलता है कि प्रदेश कांग्रेस ने कोरबा लोकसभा हेतु 110 नेताओं की सूची बनाकर जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगातार बयानबाजी करने के कारण आम जन मानस में डॉ.चरणदास महंत के खिलाफ भी आक्रोश देखा जा रहा है। इस लोकसभा का परिणाम क्या होगा यह तो मतगणना के बाद ही पता चलेगा लेकिन इतना कहा जा सकता है कि पिछला चुनाव लगभग 26 हजार से जीतनें वालीं सांसद ज्योत्सना महंत के लिए इस बार का चुनाव आसान नही है।
सक्रिय दिखलाई दे रहीं भाजपा प्रत्याशी
कोरबा लोकसभा को इस बार भाजपा नेतृत्व ने काफी गंभीरता से लिया था यही कारण है कि यहां से इस बार राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडेय जैसी नेत्री को चुनाव मैदान में उतारा गया है। टिकट वितरण के बाद से ही सरोज पांडेय ने कोरबा लोकसभा क्षेत्र में धुआंधार प्रचार शुरू किया है,लगभग हर विधानसभा क्षेत्रों मे ंवे कार्यकर्ताओं से लेकर आम जन से रूबरू हो चुकी हैं,सरोज पांडेय एक प्रभावी चेहरा हैं इसका असर भी देखने को मिल रहा है।
प्रचार प्रसार में आगे हुई भाजपा
कोरबा लोकसभा में यदि देखा जाए तो भाजपा इस बार काफी रणनीति बनाकर काम कर रही है,लोकसभा से लेकर विधानसभा स्तर तक कमेटियों का गठन किया गया है,आए दिन कमेटियों की बैठक बड़े नेताओ की मौजूदगी में रखी जा रही है एवं उसके माध्यम से आगे की रणनीति बनाई जा रही है। जिससे कि भाजपा के कार्यकर्ता बूथ लेबल तक अब सक्रिय दिखलाई देने लगे हैं मंडल स्तर पर झंडा,बैनर,दीवार लेखन का काम भी कराया गया है जो कि चर्चा का विषय है। इसकी तुलना में कांग्रेस का एक भी झंडा बैनर कहीं दूर दूर तक नजर नही आ रहा है। भाजपा द्वारा प्रचार वाहनो एवं एलईडी युक्त वाहनों के माध्यम से भी मोदी सरकारी की योजनाओं का प्रचार प्रसार किया जा रहा है।
कोरिया में महंत के खिलाफ व्यक्तिगत नाराजगी
यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नही है कि कोरिया जिले में इस बार डॉ. चरणदास महंत के खिलाफ व्यक्तिगत नाराजगी है। कोरिया के असंतुलित विभाजन के लिए जनता ने भी डॉ. महंत को जिम्मेदार माना है। अपने कार्यकाल में चरणदास महंत ने कोरिया जिले को सिर्फ राजनैतिक हथियार के रूप मे इस्तेमाल किया यहां उनके द्वारा कोइ जनहितैषी कार्य नही किया गया जिससे कि जनता में आक्रोश देखा जा रहा है। पिछला लोकसभा का चुनाव भी कोरिया जिले में महंत परिवार के लिए कुछ खास नही रहा,अविभाजित कोरिया जिले से ज्योत्सना महंत लगभग 40 हजार वोटो से पीछे रहीं।
सांसद ज्योत्सना महंत के खिलाफ भी है आक्रोश
अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में सांसद ज्योत्सना महंत के लिए भी कुछ खास बताने के लिए नही है,अपने कार्यकाल में एक तो उनका इस क्षेत्र में दौरा भी नाम मात्र का रहा है और वे जब भी इस क्षेत्र में आतीं उनके इर्द गिर्द सिर्फ कांग्रेसी कार्यकर्ता और नेता नजर आते थे,आम जन से उनका दूर दूर तक वास्ता नही था। कार्यकाल मे विशेष उपलçध ना होने के कारण कोरिया की जनता मे ज्योत्सना महंत के खिलाफ भी आक्रोश देखा जा रहा है।
क्या एकजूट हो पाएंगे कांग्रेसी?
पिछले विधानसभा चुनाव के समय कोरिया जिले में कांग्रेसी अलग थलग दिखलाई पड़ रहे थे,तात्कालिक विधायक अंबिका सिंहदेव से व्यक्तिगत नाराजगी के कारण कई बड़े नेता चुनाव में शांत बैठे हुए थे या फिर नाम मात्र के लिए उन्होने काम किया। एकजूटता की भारी कमी विधानसभा चुनाव में देखने को मिली थी,कांग्रेस पहली बार एक बड़े अंतर से इस क्षेत्र में पहली बार धराशायी हुई थी। अब लोकसभा चुनाव के दौरान क्या इस क्षेत्र के कांग्रेसी डॉ. चरणदास महंत के लिए एकजूट हो पाएंगे यह बड़ा सवाल है। हलांकि कुछ समय पूर्व अपने दौरे में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने सभी कांग्रेसियों की पूछ परख की थी लेकिन उसका कितना असर हुआ यह देखने वाली बात होगी।
कोरबा जीतने 110 नेताओं को जिम्मा
छत्तीसगढ मे 11 लोकसभा की सीटें हैं लेकिन कोरबा लोकसभा सीट पर कांग्रेस कुछ ज्यादा ही परेशान नजर आ रही है। कांग्रेस ने इस लोकसभा में 110 नेताओं को चुनाव जीताने की जिम्मेदारी दी है। पहली बार ऐसी जंबो सूची देखकर कहा जा सकता है कि कांगे्रस के लिए कोरबा लोकसभा सीट आसान नही है और इस बात का अंदाजा भी कांग्रेस को लग चुका है।
सरोज पांडेय रखती है लंबा राजनैतिक अनुभव
भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडेय एक लंबा राजनैतिक अनुभव रखती हैं उनके नाम पर एक साथ महापौर,विधायक और सांसद रहने का रिकार्ड भी दर्ज है,वे भाजपा में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं साथ ही महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल 2 अपे्रल को ही समाप्त हुआ है,वे भाजपा में एक बड़ी नेत्री के रूप में पहचान रखती हैं। लंबा राजनैतिक अनुभव रखने का फायदा उन्हे इस सीट पर मिल सकता है।
ज्योत्सना महंत के पास बताने के लिए सिर्फ महंत का चेहरा
भाजपा प्रत्याशी की तुलना में कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत के पास बतलाने के लिए कुछ नही है,वे राजनैतिक रूप से भी व्यक्तिगत कमजोर हैं उनकी पहचान सिर्फ है कि वे स्व.बिसाहूलाल महंत की बहू और नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत की पत्नी हैं। डॉ. महंत का चेहरा ही उनके लिए खास है इसका फायदा उन्हे कितना मिलेगा यह भविष्य मे पता चलेगा।
सरोज पांडेय के लिए एकजूट दिखलाई दे रही भाजपा
वैसे तो भाजपा इस बार भी देश भर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है और इस क्षेत्र में मोदी लहर से इंकार नही किया जा सकता। प्रदेश की विष्णुदेव सरकार के कार्यकाल में भी महिलाओं को मिल रही महतारी वंदन योजना के लाभ का असर साफ देखने को मिल रहा है। तो वहीं सरोज पांडेय जैसी प्रत्याशी के लिए भाजपा भी एकजुट होकर काम रही है इसका लाभ निश्चित ही उन्हे मिलेगा।
चुनाव पूर्व सरोज पांडेय का सबसे अधिक दौरा
क्षेत्र में इस बात ने जोर पकड़ लिया है कि पहली बार सरोज पांडेय के रूप में ऐसा प्रत्याशी उतारा गया है जिन्होने चुनाव पूर्व ही अधिक बार इस क्षेत्र का दौरा किया है। सरोज पांडेय ने लगातार अविभाजित कोरिया जिले के विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया है और वे लगातार कार्यकर्ताओं एवं जनता से रूबरू हो रही हैं इसका असर भी देखने को मिल रहा है और यह चर्चा ने भी जोर पकड़ लिया है। सरोज पांडेय खुद चुनाव जीतने के बाद लगातार इस क्षेत्र में आने का वादा कर रही हैं।
महंत परिवार के लिए इस बार आसान नही है सीट
कोरबा लोकसभा सीट इस बार महंत परिवार के लिए आसान नही है उन पर परिवार वाद का आरोप भी लगा है। अस्तित्व में आने के बाद कोरबा लोकसभा का यह चैथा चुनाव है और हर बार महंत परिवार से ही प्रत्याशी कांगे्रस ने उतारा है यह बात कांग्रेसी नेताओं को भी कहीं ना कहीं खटक रहा है। परिवार वाद के कारण महंत परिवार के लिए कोरबा लोकसभा सीट आसान नही है।
बाहरी का मुद्वा फिसड्डी साबित
भाजपा ने सरोज पांडेय को जैसे ही प्रत्याशी बनाया वैसे ही कांग्रेस के नेताओ समेत छुटभैये नेताओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से सरोज पांडेय पर बाहरी होने का आरोप लगाना शुरू किया था लेकिन अपने प्रत्येक दोरे में खुद के बाहरी होने के मुद्वे को उठाते हुए सरोज पांडेय ने हवा निकाल दी। उनके द्वारा हर मंच पर यह कहा जा रहा है राहुल गांधी दिल्ली से वायनाड जाकर चुनाव लड़ते हैं क्या वे बाहरी हैं। इसी प्रकार विधायक देवेन्द्र यादव को बिलासपुर से कांगे्रस ने प्रत्याशी बनाया है और इस लिहाज से वे भी बाहरी है सो कांग्रेस इस मुद्वे पर अब खुद बैकफुट पर नजर आ रही है।