सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक और मनमाना करार देते हुए रद्द कर दिया था…
नई दिल्ली,11 अप्रैल 2024 (ए)। नेशनल भारतीय स्टेट बैंक ने सूचना का अधिकार के तहत इलेक्शन कमीशन को दिए इलेक्टोरेल बॉन्ड के विवरण की जानकारी देने से मना कर दिया। हालांकि रिकॉर्ड आयोग की वेबसाइट पर सार्वजनिक है। एसबीआई ने कहा कि यह संभालकर रखी गई निजी जानकारी है।
सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को दिया था निर्देश
सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक और मनमाना करार देते हुए रद्द कर दिया था। 15 फरवरी को स्टेट बैंक को निर्देश दिया था कि वह इलेक्टोरेल बॉन्ड का पूरा विवरण निर्वाचन आयोग को सौंपे। अदालत ने आयोग को संबंधित विवरण 13 मार्च 2024 तक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया था। निर्वाचन आयोग ने 14 मार्च को अपनी वेबसाइट पर एसबीआई द्वारा प्रस्तुत डाटा पब्लिश किया था। जिसमें बॉन्ड खरीदने वाले दानदाताओं और राजनीतिक पार्टियों की जानकारी थी।
आरटीआई कार्यकर्ता ने मांगी जानकारी
आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश बन्ना ने 13 मार्च को स्टेट बैंक से डिजिटल फॉर्म में इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा मांगा था, जो उन्हें चुनाव आयोग को उपलब्ध कराया था। केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी और एसबीआई के उप महाप्रबंधक द्वारा दिए गए जवाब में कहा गया कि आपके द्वारा खरीदारों और दलों से जुड़ी जानकारी मांगी गई है। जिससे जिम्मेदारी के तहत सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।
वकील हरीश साल्वे की फीस का ब्योरा भी मांगा
लोकेश बन्ना ने एसबीआई की ओर से पेश हुए वकील हरीश साल्वे को दी गई फीस का भी ब्योरा मांगा था। हालांकि यह कहते हुए जानकारी देने से मना कर दिया गया कि जानकारी व्यक्तिगत है। आरटीआई कार्यकर्ता ने कहा, स्टेट बैंक ने उस जानकारी को उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया, जो चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद है। वकील साल्वे की फीस के सवाल पर बन्ना ने कहा कि एसीआई ने उस जानकारी को देने से भी मना कर दिया। जिसमें टैक्सपेयर्स का पैसा शामिल है।