टीकाकरण और फील्ड के नाम पर अपने कार्य से रहते हैं नदारद
- राजा मुखर्जी –
कोरबा,08 अपै्रल 2024 (घटती-घटना)। कोरबा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण जनों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलध कराने हेतु आयुष्मान भारत अंतर्गत आयुष्मान आरोग्य मंदिर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर संचालित है। संचालित आयुष्मान आरोग्य मंदिर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत रेगुलर आरएचओ (ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक) एवं संविदा सीएचओ (सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी) की नियुक्तियां की गई है। आयुष्मान भारत अंतर्गत संचालित आयुष्मान आरोग्य मंदिर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में पदस्थ रेगुलर ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजकों द्वारा टीकाकरण और फील्ड भ्रमण कार्य के नाम पर माह में केवल मंगलवार ,शुक्रवार के दिन ड्यूटी कर पूरे माह कार्य स्थल से नदारद रहते है द्य कुछ कुछ केंद्रों में आलम तो यह भी है की रेगुलर ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक वर्षो और महीनों से केंद्रों से नदारद है, जिनकी स्वास्थ्य विभाग को न ही कोई खबर है और न ही कोई चिंता है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा खबर और चिंता करने के बहाने संविदा पर पदस्थ कर्मचारियों पर कार्यवाही कर वह वाही लेने की आदत सी बन गई है। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण पूर्व के दिवसों में चुहिया क्षेत्र में बड़े अधिकारी द्वारा भ्रमण के दौरान कार्यवाही किए जाने के नाम पर आयुष्मान आरोग्य मंदिर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में पदस्थ संविदा सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी को कारण बताओं नोटिस जारी कर वाहवाही बटोरी गई ।
केवल सी एच ओ द्वारा स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करा
रही है ऐसे में केवल संविदा पे कार्यरत कर्मचारियों पर ही कार्यवाही क्यों?
स्वास्थ्य विभाग को अगर वाकई में ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के स्वास्थ्य की चिंता है तो कई स्वास्थ्य केंद्रों में आए एच ओ की नियुक्ति ही नही की गई है केवल सी एच ओ द्वारा स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करा रही है ऐसे में केवल संविदा पे कार्यरत कर्मचारियों पर ही कार्यवाही क्यों ? आयुष्मान आरोग्य मंदिर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में स्वास्थ्य सेवाए प्रदान किए जाने हेतु नियुक्त रेगुलर ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजकों की भी पूछ परख और उनकी भी खबर लिए जाने की आवश्यकता है ,जो दिन,महीनो, वर्षो से टीकाकरण और फील्ड के नाम पर अपने कार्य से अनुपस्थित और स्वास्थ्य केंद्रों से नदारद रहते है । ग्रामीण क्षेत्रों में उपलध कराए जा रहे स्वास्थ्य विभाग द्वारा सेवाओं के संबंध में विस्तृत पड़ताल किए जाने पर जिले के पांचों विकासखंड में संचालित कुछ चुनिंदा स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण किया गया और हितग्राहियों से चर्चा हुई तो पता चला की स्वास्थ्य केंद्र पहले तो खुलते भी नही थे,परंतु जबसे सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की केंद्रों में नियुक्ति हुई है तब से कम से कम स्वास्थ्य केंद्र समय पर खुल रहे है और स्वास्थ्य सेवाए संचालित हो रहे है। पूछ ताच में बताया गया के स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक टीकाकरण और फील्ड के नाम पर घर में बैठकर आराम से वेतन लेने की बात कही गई। लोगो द्वारा यह भी बताया गया की कुछ रसूखदार नियमित ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजकों द्वारा अपनी नियुक्ति रेगुलर होने पर उन पर कोई कार्यवाही नहीं होने संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों पर ही कार्यवाही होने की बात बताने संबंधी बात बताया गया। रेगुलर ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजकों की पहुंच पीएचसी सीएचसी और जिला स्तर तक होने की बात कहकर शिकायत हो जाने पर भी उनपे कोई कार्यवाही नहीं हो पाने की धौंस तक दी जाती है। जिसका परिणाम ये होता है की स्वास्थ्य विभाग द्वारा जब भी कोई पूछ परख या कार्यवाही की जाती है तो केवल संविदा पर पदस्थ कर्मचारियों पर ही गाज गिराकर वाहवाही बटोर ली जाती है। संविदा कर्मचारियों द्वारा केंद्रों की समस्या से अवगत कराए जाने पर समस्याओं से अनदेखा कर दिया जाता है। यह कहकर की आप सी एच ओ संस्था के प्रभारी है। परंतु इन्ही सी एच ओ द्वारा आर एच ओ से नियमित सहयोग न मिल पाने पर सहयोग दिलाने की बात कहे जाने उन्हें केवल दिलासा दे दिया जाता है। सभी को ज्ञात होना चाहिए की क्या इससे पहले कभी स्वास्थ्य सेवाओं हेतु पुरस्कृत किया गया है ? परंतु यह बात सभी को ज्ञात होना चाहिए की आयुष्मान भारत अंतर्गत केंद्रों में संविदा पदों पर ही सही पर जबसे सी एच ओ की नियुक्तियां की गई है, बेहतर स्वास्थ्य सेवाए प्रदान किए जाने हेतु अनेकों केंद्रों को कायाकल्प अंतर्गत पुरस्कृत किया गया है, जिसके कारण अब लोगो में स्वास्थ्य विभाग और उसके द्वारा दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति नजरिया भी बदलने लगा है। सभी को यह भी ज्ञात होना चाहिए की संविदा पर कार्यरत इन कर्मचारियों को पिछले 6 माह से कार्यभारित मानदेय भी अप्राप्त है। जिसके पश्चात भी ये सभी निरंतर अपनी सेवाए बिना किसी संकोच प्रदान करते आ रहे है।अब ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थ संविदा सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी पर ही कार्यवाही न कर रेगुलर ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजकों की भी जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए और उनपे भी नियमानुसार कार्यवाही की जाए। जिससे विभाग की दोहरी नीति वाली छवि स्थापित न होने पाए।