नई दिल्ली,@स्थायी कमिशन देने के मामले में सुप्रीमकोर्ट का बड़ा दखल

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नई दिल्ली,08 अप्रैल 2024 (ए)।
कोस्ट गार्ड में महिला अफसर को स्थायी कमीशन देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा दखल दिया है। सुप्रीम कोर्ट कोस्ट गार्ड अफसर प्रियंका त्यागी को फिर से सर्विस में बहाल किया है। प्रियंका त्यागी को कोस्ट गार्ड में जनरल ड्यूटी ऑफिसर के रूप में सेवा जारी रखने के लिए अंतरिम राहत दी गयी है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट से केस अपने पास ट्रांसफर कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इस मामले में लैंगिक समानता का गंभीर संवैधानिक सवाल उठा है।


सीजेआई डी वाई चंद्रचूड ने इस मुद्दे पर केंद्र से कहा कि हमें ध्वजवाहक बनना होगा और राष्ट्र के साथ मार्च करना होगा. पहले महिलाएं बार में शामिल नहीं हो सकती थीं।फाइटर पायलट नहीं बन सकती थीं.एक महिला के तटरक्षक बल में शामिल होने के विरोध को देख रहे हैं। अगर महिलाएं आपरेशन थिएटर या सुप्रीम कोर्ट बार में जा सकती हैं। तो वो गहरे समंदर में भी जा सकती हैं। 26 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को चेताया था कि या तो स्थायी कमीशन दीजिए वरना कोर्ट ये आदेश देगा।


सुप्रीम कोर्ट भारतीय तटरक्षक बल की एक महिला अधिकारी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बल की योग्य महिला शॉर्ट-सर्विस कमीशन अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने की मांग की गई है। -अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा था कि तटरक्षक बल नौसेना और सेना से बिल्कुल अलग है।.बोर्ड का गठन हो चुका है और इसमें ढांचागत बदलाव की जरूरत है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था इन सभी कार्यक्षमता आदि तर्कों में 2024 में कोई दम नहीं है।. महिलाओं को छोड़ा नहीं जा सकता.। यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो हम ऐसा करेंगे.


इससे पहले अदालत में इस मामले पर 20 फरवरी को सुनवाई हुई थी.तब कोर्ट ने केंद्र सरकार के रवैये पर सवाल उठाए थे. अदालत ने पूछा था-कोस्ट गार्ड को लेकर आपका इतना उदासीन रवैया क्यों है? आप कोस्ट गार्ड में महिलाओं को क्यों नहीं चाहते? चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा था अगर महिलाएं सीमाओं की रक्षा कर सकती हैं, तो वे तटों की भी रक्षा कर सकती हैं. आप नारी शक्ति की बात करते हैं. अब इसे यहां दिखाएं।


याचिकाकर्ता प्रियंका त्यागी ने खुद को कोस्ट गार्ड के ऑल विमेन क्रू का सदस्य बताया है, जो तटरक्षक बेड़े पर डोमियर विमानों की देखभाल के लिए तैनात किया गया था। यह याचिका एओआर सिद्धांत शर्मा के हवाले से दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता ने अपनी रिट में 10 वर्षों की शॉर्ट सर्विस नियुक्ति को आधार बनाते हुए एनी नागराज और बबिता पूनिया के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया है और न्याय की गुहार लगाई है।


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