अंबिकापुर@बहुचर्चित जमीन फर्जीवाड़ा कर अपने नाम दर्ज कराने वाला बंसु लोहार…आत्मसमर्पण की बात कह कर नहीं पहुंचा पुलिस की तगड़ी घेराबंदी के कारण न्यायालय

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भूपेन्द्र सिंह –
अंबिकापुर,07 अप्रैल 2024 (घटती-घटना)। शासकीय जमीन फर्जीवाड़ा मामले में फरार बंसू लोहार आत्मसमर्पण की तैयारी में है। शनिवार को न्यायालय में आत्मसमर्पण की सूचना पर सुबह से ही पुलिस मुस्तैद रही। पुलिस उसकी गिरफ्तारी के प्रयास में लगी है। पुलिस की तगड़ी घेराबंदी के कारण बंसू लोहार न्यायालय में पहुंचा ही नहीं। उसके छिपने के संभावित ठिकानों पर भी पुलिस दबिश दे रही है। पूरे मामले में जमीन के जो क्रेता हैं या जिनके नाम पर शासकीय भूमि का अंतरण हुआ है उन्हे नगर निगम ने नोटिस जारी किया है और उन्हे अपना निर्माणाधीन अहाता हटाने निर्देश जारी किया है या निगम खुद अहाता हटाने की कार्यवाही करेगा यह जारी नोटिस में उल्लेख किया गया है और कहा गया है की अहाता निर्माण बिना सक्षम अनुमति के किया जा रहा है। वैसे पूरे मामले में यह भी ध्यान देने वाली बात है की शासकीय जमीन फर्जीवाड़ा मामले में उन राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों में से भी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है जो मामले में दोषी माने गए हैं या जिनकी जमानत याचिका भी सत्र न्यायालय से खारिज हुई है। वैसे बंसू लोहार भी वृद्ध है और इस अवस्था में वह भूमाफियाओं के चक्कर में फंसकर परेशान हो रहा है और उसकी परेशानी का हल फिलहाल होता नज़र नही आ रहा है।
ज्ञात होकी अंबिकापुर के नमनाकला राजमोहनी देवी भवन के पीछे स्थित करोड़ों की शासकीय जमीन का नियम विरुद्ध तरीके से अंतरण में बंसू लोहार आरोपित है। भू माफियाओं ने फर्जी तरीके से उसके नाम पर जमीन का नामांतरण करा कर बिक्री कर दिया था। सरगुजा कलेक्टर विलास भोसकर संदीपान ने न्यायालय में इस प्रकरण की सुनवाई कर नामांतरण को शून्य घोषित कर जमीन को फिर से शासकीय भूमि में अंकित करने का फैसला सुनाया है। प्रकरण में तत्कालीन नजूल अधिकारी नीलम टोप्पो,राजस्व निरीक्षक नारायण सिंह, राहुल सिंह तथा नजूल लिपिक अजय तिवारी तथा फर्जी भू-स्वामी बंसू लोहार के विरुद्ध गैर जमानती धाराओं के तहत प्रकरण पंजीकृत किया गया है। सभी शासकीय सेवकों की अग्रिम जमानत याचिका सत्र न्यायालय से खारिज हो चुकी है। कलेक्टर न्यायालय में सुनवाई के दौरान बंसू लोहार एक पेशी में भी उपस्थित नहीं था। शुक्रवार को जमानत के लिए अधिवक्ता के माध्यम से आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। इस पर शनिवार को सुनवाई थी। बंसू लोहार के शनिवार को आत्मसमर्पण की संभावना पर सुबह से ही पुलिस कर्मी तैनात थे। उसे गिरफ्तार करने की योजना थी। पुलिस की तगड़ी घेराबंदी और गिरफ्तारी के भय से वह न्यायालय में आया ही नहीं। मालूम हो कि इस मामले में अभी तक नामजद शासकीय सेवकों में से किसी एक की भी गिरफ्तारी नहीं की जा सकी है।
वृद्ध है बंसू,अब इस अवस्था में वह हो रहा है परेशान
बंसू एक वृद्ध व्यक्ति है और वह इस उम्र में भूमाफियाओं के चक्कर में फंसकर अब परेशान हो रहा है जैसा बताया जा रहा है। बंसू इधर उधर छिपता फिर रहा है वहीं भूमाफिया उसकी बजाए निश्चिंत हैं और वह खुद को बचाने में पूरा ध्यान लगाए हुए हैं। बंसू मुख्य आरोपी माना जा रहा है जबकि उसका कितना लेना देना है प्रत्यक्ष रूप से पूरे मामले में यह वह खुद बता सकता है जब वह समाने आएगा। भूमाफियाओं के चंगुल में फंसकर वह अब परेशानियों में फंस चुका है और वह कब कैसे बाहर निकलेगा यह समाने देखने को मिलेगा। वृद्ध अवस्था में इधर उधर छिपता छिपाता बंसू अब कैसे खुद को बचा सकेगा यह भी आगे देखने को मिलेगा।
बंसू न चढ़े पुलिस के हत्थे न दे वह पुलिस को बयान…भूमाफियाओं की चिंता केवल इतनी ही…
भूमाफियाओं की चिंता पूरे मामले में यही है की बंसू पुलिस के हत्थे न चढ़े न ही वह अपना मुंह खोले,बताया जा रहा है की इसलिए भूमाफिया बंसू को समाने नहीं आने दे रहे हैं और बंसू छिपता फिर रहा है। बंसू चाहकर भी भूमाफियाओं के चंगुल से बाहर नहीं निकल पा रहा है और भूमाफिया जैसा चाह रहे हैं वैसा ही वह कर पा रहा है। बंसू के पूरे परिवार पर भूमाफियाओं का नियंत्रण है और वह उन्ही के अनुरूप चल रहे हैं है यह भी बताया जा रहा है कुल मिलाकर बंसू के पूरे परिवार को भी भूमाफियाओं ने एक तरह से अपने चंगुल में कर रखा है और वह जैसा चाहते हैं वैसा ही वह व्यवहार कर रहे हैं।
आठ लोगों को नगर निगम ने भेजा है नोटिस,आठ लोगों ने ली है शासकीय जमीन
शासकीय जमीन फर्जीवाड़ा मामले में कुल आठ लोगों ने शासकीय जमीन की खरीदी की है जो उन्हे निजी बताकर बेची गई है। जमीन में जारी निर्माण को तत्काल रोकने और न रोक जाने पर उसे ध्वस्त करने का अंबिकापुर नगर निगम ने उन्हे नोटिस भेजा है। जमीन के क्रेता अधिकांश बड़े पूंजीपति लोग हैं और वह सच में अनभिज्ञ थे यह भी एक सवाल है क्योंकि पूंजीपति कभी बिना पता किए जमीन की खरीदी नहीं करते। कुल मिलाकर इस मामले में क्रेता भी प्रभावित हैं और उनका नुकसान होना तय है यदि उन्होंने सही मायने में जमीन महंगे दर पर खरीदी है।
भू-माफिया खुद अपने बचाव में नजर आ रहे परेशान,बंसू को लेकर वह नहीं हैं परेशान
शासकीय जमीन फर्जीवाड़ा मामले में भू माफियाओं का किरदार ज्यादा अहम है बशर्ते मुख्य आरोपी बंसू लोहार के,बंसू लोहार एक मोहरा था भूमाफियाओं के लिए जो आज मामले में मुख्य आरोपी है लेकिन अब बंसू लोहार को लेकर भूमाफिया उतना चिंतित नहीं हैं जितना वह अपने लिए चिंतित हैं। भूमाफिया अपने बचाव में लगे हुए हैं और वह अब अपने लिए ज्यादा चिंतित हैं। बंसू लोहार को छोड़कर भूमाफिया अपने बचाव में लगे हुए हैं वहीं बंसू खुद छिपता फिर रहा है। भू-माफिया से ज्यादा जबकि बंसू की तलाश ज्यादा है। बंसू पूरे मामले में किस स्तर का लाभ प्राप्त कर सका है फर्जीवाड़ा में उसका क्या हिस्सा रहा है यह तो वही बता सकता है लेकिन सूत्रों की माने तो बंसू केवल नाम बतौर भूमाफियाओं का एक मोहरा था और पूरे मामले में भूमाफियाओं का ही किरदार अहम था लेकिन अब भूमाफिया बंसू को छोड़कर खुद को बचाने में लगे हुए हैं और बंसू की चिंता उन्हे बिल्कुल नही है।


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