सुरजपुर@सरगुजा लोकसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा कांग्रेस दोनों ही दलों के घोषित प्रत्याशियों को भीतरघात का करना पड़ सकता है सामना…

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ओंकार पांडेय –
सुरजपुर,05 अप्रैल 2024(घटती-घटना)। लोकसभा चुनाव में जहां पूरे देश में भाजपा 400 पार के नारे के साथ चुनावी अभियान और प्रचार में जुट चुकी है वहीं लगभग सभी लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नाम भी तय कर चुकी है जिसमे छत्तीसगढ़ के 11 लोकसभा सीटों पर भी पार्टी ने अपने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान सबसे पहले कर दिया है और जिसके बाद से ही सभी प्रत्याशी लगातार प्रचार अभियान में जुटे हुए हैं और अपनी जीत सुनिश्चित करने में वह लगे हुए हैं जिसमें वह पार्टी के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का पार्टी पदाधिकारियों का साथ ही कार्यकर्ताओं का साथ ले रहे हैं जो देखने को मिल रहा है वहीं जिस तरह भाजपा ने प्रदेश में अपने पूरे 11 प्रत्याशियों के नाम घोषित कर उन्हे प्रचार करने क्षेत्र में भेज दिया है उसी तरह कांग्रेस पार्टी ने भी अपने सभी 11 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं उनके नाम तय कर दिए हैं जो क्षेत्र में अपनी साथ ही पार्टी की जीत के लिए लगातार सक्रिय नजर आ रहे हैं जो देखने को मिल रहा है। दोनों ही प्रमुख राष्ट्रीय दलों भाजपा और कांग्रेस में ही छाीसगढ़ प्रदेश में प्रमुख मुकाबला देखने को मिलने वाला है अन्य दल प्रदेश में केवल एक तरह से उपस्थिति ही दर्ज करने मैदान में नजर आयेंगे यदि वह कहीं से चुनावी मैदान में उतरते हैं किसी प्रत्याशी के सहारे।
प्रदेश सरगुजा लोकसभा क्षेत्र के चुनाव में कांग्रेस से दिवंगत पूर्व मंत्री की पुत्री जो वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं सूरजपुर से को कांग्रेस पार्टी ने मौका दिया है जो काफी युवा प्रत्याशी हैं और जिन्हे बड़ी कम उम्र में ही लोकसभा सीट से टिकट प्रदान पार्टी ने कर दिया है जिसके बाद पार्टी में अंदरखाने बगावत भी शुरू होते देखा जा रहा है और वरिष्ठ कांग्रेसी पार्टी की घोषित प्रत्याशी का अंदरखाने विरोध करते सुनाई दे रहे हैं और उनका मानना है की पार्टी ने एक तरह से भाजपा को वाक ओवर दे दिया है और डमी प्रत्याशी साबित होंगी कांग्रेस प्रत्याशी जिनकी हार भी संभावित है वहीं भाजपा ने हाल ही में पार्टी के शामिल हुए पूर्व कांग्रेस विधायक को टिकट दिया है भाजपा प्रत्याशी को लेकर भी भाजपाइयों का विरोध देखने को मिल रहा है।भाजपा प्रत्याशी का विरोध करने वालों में वह लोग ज्यादा हैं जिन्हे खुद प्रत्याशी बनना था जिन्हे मौका नहीं दिया पार्टी ने।
क्या यह कर सकते है भाजपा प्रत्याशी का विरोध?
बताया जा रहा है एक पूर्व मंत्री,एक पूर्व सांसद,एक पूर्व निगम अध्यक्ष सहित कई वरिष्ठ भाजपा नेता पार्टी प्रत्याशी का विरोध कर सकते हैं और उनके लिए हार का प्रयास कर सकते हैं क्योंकि उन्हे खुद को प्रत्याशी नहीं बनाए जाने का मलाल है। वैसे भाजपा कांग्रेस दोनों ही दलों में पार्टी प्रत्याशी का अंदरूनी विरोध सुनाई दिखाई देने लगा है लेकिन मुख्य मुकाबला इन्हीं दोनों दलों में होना तय है ऐसे में कौन बाजी मारेगा चुनाव में यह देखने वाली बात होगी,वैसे क्षेत्रीय दल भी प्रत्याशी मैदान में उतार रही है और वह कितना मुकाबला कर पाती है यह भी इस बार देखने को वाली बात होगी क्योंकि विधानसभा चुनावों में क्षेत्रीय पार्टी के प्रत्याशियों का प्रचार अभियान जिस कदर मजबूत नजर आ रहा था वैसा परिणाम उनके पक्ष के समाने नहीं आया।
कांग्रेस प्रत्याशी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से टिकट की थीं प्रबल दावेदार,तब टिकट न देकर सीधे लोकसभा में प्रत्याशी बनाना कहीं उनकी राजनीति समाप्त करने का प्रयास तो नहीं?
सरगुजा लोसकभा सीट से घोषित कांग्रेस प्रत्याशी विधानसभा चुनाव में प्रेमनगर विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बनने प्रबल दावेदार थीं और माना जा रहा था की यदि उन्हे टिकट मिलता वह जीत भी दर्ज कर ले जाती क्योंकि उनका प्रेमनगर विधानसभा क्षेत्र में काफी जनाधार माना जाता है लेकिन तब उन्हे टिकट नहीं दिया गया पार्टी प्रत्याशी नहीं बनाया गया अब उन्हे लोकसभा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद यह भी कयास लगाए जा रहे हैं की एक विधानसभा स्तर तक ही लोकप्रिय युवा महिला प्रत्याशी को कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा सीट वह भी सरगुजा लोकसभा जैसे बड़े लोकसभा सीट से प्रत्याशी इसलिए तो कहीं प्रत्याशी नहीं बनाया की उनका राजनीति ही समाप्त की जा सके जिससे बाद में वह कभी विधानसभा सीट से भी दावेदारी करने की स्थिति में न रहें। माना जा रहा है की कांग्रेस पार्टी के बड़े रणनीतिकार का यह पूरा दिमाग है जिससे भविष्य में प्रेमनगर विधानसभा सीट से उनके मनपसंद दावेदार को पार्टी से टिकट मिल सके। वैसे रणनीतिकार की यह भी रणनीति है जैसा बताया जा रहा है की यदि लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित भी हो जाती है तो भी उनकी रणनीति पर कोई असर नहीं पड़ने वाला क्योंकि तब प्रेमनगर विधानसभा सीट से विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी से प्रबल दावेदार वर्तमान लोकसभा प्रत्याशी लोकसभा पहुंच चुकी होगीं वहीं हार की स्थिति में उनका जनाधार कम बताकर उन्हे किनारे लगा दिया जायेगा।
भाजपा कांग्रेस दोनों में गुटबाजी जारी, प्रत्याशी को लेकर आम सहमति का अभाव दोनो ही दलों में
भाजपा कांग्रेस दोनों ही दलों में गुटबाजी जारी है,दोनों ही दलों में यह देखने को मिल रहा है की घोषित लोकसभा प्रत्याशी को लेकर विरोध है। अंदरखाने ही सही विरोध के कारण दोनो ही दलों के प्रत्याशियों को काफी दिक्कतें आने वाली हैं। प्रत्याशी को लेकर आम सहमति दोनो दलों के नेताओं में नजर नहीं आ रहा है। दोनों ही दलों में पार्टी प्रत्याशी के विरोध में काम करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं की संख्या नजर आ रही है जो बड़े नेताओ के इशारे पर ऐसा कर रहे हैं। अब दोनों दलों के प्रत्याशियों को अपनी अपनी जीत के लिए खुद से काफी मेहनत करने की जरूरत है। अब किस पार्टी का भीतरघात किस प्रत्याशी के लिए नुकसानदायक साबित होने वाला है किसके लिए फायदेमंद यह भी देखने वाली बात होगी,दोनो ही दलों ने कुछ लोग दूसरे दल के प्रत्याशी की मदद करेंगे यह तय माना जा रहा है।
कांग्रेस प्रत्याशी के पास उनके पिता की पहचान है तो वहीं भाजपा प्रत्याशी के पास उनके अनुयाई
सरगुजा से घोषित कांग्रेस प्रत्याशी के पास उनके दिवंगत पिता की पहचान है जो कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता माने जाते थे वहीं जो कांग्रेस की सरकार में मंत्री भी थे। भाजपा प्रत्याशी ऐसे परिवार से हैं जिस परिवार का एक धार्मिक अनुयाई समूह है जो सरगुजा में बड़ी तादाद में है जिसके कारण उनकी लोकप्रियता भी कम नहीं है। सरगुजा लोकसभा क्षेत्र में आदिवासी आबादी की बाहुल्यता है और यह लोकसभा सीट भी आदिवासी समाज के लिए ही आरक्षित है ऐसे में प्रत्याशी भी सभी दलों से आदिवासी समाज से ही मैदान में होंगे। कांग्रेस ने आदिवासी समाज में ही अलग जाति से आने वाली महिला को प्रत्याशी बनाया है वहीं भाजपा ने अलग जाति के आदिवासी व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया है,कुल मिलाकर अलग अलग जातियों से उम्मीदवार हैं और सभी की जनसंख्या भी अच्छी खासी है। अब ऐसे में कौन बाजी मारने वाला है यह भी देखने वाली बात होगी। वैसे भाजपा प्रत्याशी के साथ एक बात उनके पक्ष में नजर आती है और वह यह है की उनके लोकसभा क्षेत्र में आने वाले सभी विधानसभा में भाजपा विधायक ही जीत दर्ज कर विधायक हैं वहीं उनके लोकसभा क्षेत्र में ही दो दो मंत्री भी मौजूद हैं जो उन्हे जीत दर्ज कराने में मदद करने वाले हैं। कुल मिलाकर भाजपा प्रत्याशी का पलड़ा भारी नजर आ रहा है।
प्रेमनगर विधानसभा सीट से विधायक प्रत्याशी क्यों नहीं चुना गया था सरगुजा से घोषित कांग्रेस पार्टी की लोकसभा प्रत्याशी को?
प्रेमनगर विधानसभा सीट से इस बार के विधानसभा चुनाव में जिसके भी जबान से कांग्रेस प्रत्याशी और उसके जीत हार की बात सुनी जाती थी एक ही बात सुनाई देती थी और वह यह होती थी की तत्कालीन विधायक का कार्यकाल जनता के लिए निराशाजनक था और जनता उन्हे छोड़ पार्टी से किसी को भी स्वीकार कर लेगी जनता से ज्यादा विरोध पार्टी के ही लोगों में था उनका और पार्टी का कोई एक भी सदस्य तत्कालीन विधायक का समर्थन नहीं करना चाहता था और तब जिला पंचायत सदस्य साथ ही वर्तमान में लोकसभा प्रत्याशी बनाई गई महिला प्रत्याशी को विधानसभा चुनाव में प्रबल दावेदार माना जाता था लेकिन उन्हे पार्टी ने टिकट न देकर तत्कालीन विधायक को ही टिकट दे दिया और जिसका परिणाम भी चुनाव पूर्व की अपेक्षा अनुरूप ही आया और वह चुनाव हार गए। तब चुनाव जीत सके ऐसे प्रत्याशी के रूप में पार्टी के पास मौजूद वर्तमान लोकसभा प्रत्याशी को टिकट क्यों नहीं दिया गया यह बड़ा सवाल है। विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी नहीं चुने जाने को लेकर यह भी माना जाता था की यह भी कांग्रेस के उसी बड़े रणनीतिकार की रणनीति थी और उन्हे विश्वास था की उनके द्वारा चयनित प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित है जो नहीं हुई।


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