- नियमों को ताक पर रखकर संचालित होता है न्यू लाइफ नर्सिंग इंस्टीट्यूट,हुई है कई बार शिकायत
- शिकायतों पर शर्मा अस्पताल हुआ था सील,प्रशासन ने दिखाई थी सक्रियता,न्यू लाइफ नर्सिंग इंस्टीट्यूट मामले में प्रशासन की सक्रियता का है अब इंतजार
- न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग में मिली कई खामियां, फिर भी संबंधित विभाग क्या निभा रहा रिश्तेदारी?
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,31 मार्च 2024 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के जिला मुख्यालय बैकुंठपुर में संचालित न्यू लाइफ नर्सिंग इंस्टीट्यूट को लेकर प्रशासन कब सजगता दिखायेगा कब इंस्टीट्यूट की जांच निष्पक्ष तरीके से होगी और कब उसपर कार्यवाही होगी यह इंतजार इंस्टीट्यूट मामले में शिकायतकर्ताओं को है जिन्हे उम्मीद है की कोरिया जिला प्रशासन इंस्टीट्यूट मामले में अवश्य शिकायत करेगा और वह निश्चित ही कार्यवाही भी करेगा। शिकायतकर्ताओं को जिला प्रशासन से यह उम्मीद ऐसे ही नहीं है उन्हे यह उम्मीद इसलिए है क्योंकि शिकायतों के आधार पर ही जिला प्रशासन ने शहर के शर्मा अस्पताल में छापा मारा था और छापे के दौरान कमियां पाए जाने पर अस्पताल को कुछ दिनों के लिए सील कर दिया था जिसे बाद में अस्पताल संचालक ने कमियां दूर कर ही पुनः संचालित किया जा रहा है जबकि मामले में प्रशासन ने काफी कड़ा रुख दिखाया था। जिले में खासकर जिला मुख्यालय में ही शर्मा अस्पताल भी संचालित है साथ ही जिला मुख्यालय में ही न्यू लाइफ नर्सिंग इंस्टीट्यूट भी संचालित है वहीं दोनों की शिकायत कई बार हुई है जिसमे शर्मा अस्पताल की जांच तो प्रशासन ने काफी निष्पक्ष तरीके से की और उसे सीलबंद भी कुछ दिनों के लिए किया वहीं अब प्रशासन न्यू लाइफ नर्सिंग इंस्टीट्यूट मामले में भी जांच कर कार्यवाही करे यह शिकायतकर्ताओं की मंशा है। न्यू लाइफ नर्सिंग इंस्टीट्यूट का संचालन स्वास्थ्य विभाग में ही कार्यरत संविदा अधिकारी की पत्नी की देखरेख में हो रहा है वहीं एक तरह से संचालन संविदा अधिकारी ही कर रहा है नर्सिंग इंस्टीट्यूट में पत्नी संचालनकर्ता बतौर नाममात्र ही हैं। नर्सिंग इंस्टीट्यूट का संचालन जिस संविदा स्वास्थ्य अधिकारी की पत्नी के नाम पर किया जा रहा है वह संविदा स्वास्थ्य अधिकारी पहले कोरिया जिले में ही पदस्थ था और जिले में पदस्थ होने की वजह से इंस्टीट्यूट को लेकर होने वाली शिकायतों को लेकर वह सजग सतर्क रहता था और जांच के समय वह अपने विभाग में पहुंच पकड़ का फायदा उठाता था जिससे वह जांच को प्रभावित कर ले जाता था लेकिन अब वह अन्य जिले में पदस्थ है और अब यदि जांच हुई तो जांच प्रभावित करने में वह नाकाम साबित होगा और नर्सिंग इंस्टीट्यूट की कमियां खामियां सामने आ सकेंगी और प्रशासन के लिए जांच आसान होगी। अब देखना है की प्रशासन कब इंस्टीट्यूट की जांच करता है और कब नर्सिंग इंस्टीट्यूट की कमियां अनियमितता खामियां सामने आती हैं। न्यू लाइफ नर्सिंग इंस्टीट्यूट शहर में संचालित ऐसा नर्सिंग इंस्टीट्यूट है जिसका संचालन कई खामियों के साथ हो रहा है इंस्टीट्यूट के संचालन में नियमों का ध्यान और पालन नहीं किया जा रहा है यह शिकायत कई बार हुई है और जांच भी हुई है लेकिन जांच के दौरान जब जब जांच हुई नर्सिंग इंस्टीट्यूट के संचालक जिनके पति स्वास्थ्य विभाग कोरिया में ही संविदा अधिकारी थे जांच प्रभावित कर ले जाते थे और जिसकी वजह से इंस्टीट्यूट की खामियां समाने नहीं आ पाती थीं अब जब वह जिले से बाहर अन्य जिले में कार्यरत है जांच की मांग पुनः होने लगी है।
कांग्रेस भाजपा दोनों में रिश्तेदारी कायम करने में माहिर हैं डॉक्टर प्रिंस?
प्रदेश में पहले कांग्रेस की सरकार थी पिछले पांच वर्ष तक तब डॉक्टर प्रिंस जायसवाल कांग्रेस नेताओं के साथ रिश्तेदारी की बात बताकर जलवे अपने बिखेरा करते थे। मंत्रियो के साथ उनकी तस्वीरें भी समाने आया करती थीं। अब सरकार भाजपा की है तब भी डॉक्टर प्रिंस जायसवाल के जलवे कायम हैं। डॉक्टर प्रिंस जायसवाल भाजपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री को ही चाचा बताकर अब जलवे बिखेर रहे हैं। वैसे डॉक्टर प्रिंस के जलवे अपनी जगह वहीं राजनीतिक रूप से नेताओं की छवि भी धूमिल हो रही है अब डॉक्टर प्रिंस जायसवाल की कारस्तानियो के कारण। नेताओं मंत्रियो के खास बनकर डॉक्टर प्रिंस जायसवाल अपनी मनमानी लगातार कर रहे हैं और राजनीतिक दलों के नेताओं को गिरफ्त में करने की अपनी कला के सहारे वह अपना मात्र स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं आम लोगों की स्वास्थ्य सुविधा में वह सेंध लगाने का अपना अभियान इसी तरह जारी रखे हुए हैं।
क्या राजनीतिक संरक्षण ही वजह है जिसकी वजह से डॉ प्रिंस के शिकायत मामलो की जांच नहीं हो पा रही है?
डॉक्टर प्रिंस जायसवाल की कई शिकायतें विगत कई वर्षों से लंबित हैं। कई बार उनके मामलो में जांच की बात सामने आई लेकिन जांच न हो सकी केवल जांच टीम आई और चाय नाश्ता कर चली गई। पहले कांग्रेस की सरकार में इनके भ्रष्टाचार की जांच की बात इनके नर्सिंग कॉलेज के जांच की बात समाने आई। वहीं तब मामला कांग्रेस नेताओ के दबाव में दबाया गया अब जब भाजपा साा में है तब भी इनके मामले में जांच नहीं हो पा रही है जिससे यह प्रतीत होने लगा है की कहीं राजनीतिक संरक्षण के कारण तो ऐसा नहीं हो रहा है और यह जांच से बचे हुए हैं। वैसे लोगों का मानना है की आम कोई होता अन्य कोई होता बड़ी कार्यवाही होती,चुकीं मामला राजनीतिक संरक्षण का है इसलिए डॉक्टर प्रिंस जायसवाल बचे हुए हैं।
निरीक्षण मे कई रहे नदारद
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज की तीन सदस्यीय दल निरीक्षण में पहुंचा तब उप प्रचार्य अनुपस्थित पाए गए, प्रोफेसर का पद आज तक भरा नहीं गया है, सह प्रध्यापक के पद पर एक की नियुक्ति की गई जो उपस्थित रहे, सह प्रध्यापक 5 में 3 उपस्थित पाए गए, ट्यूटर के 16 पदों के विरूद्ध मात्र 10 की नियुक्ति पाई गई जिसमें 5 अनुपस्थित पाए गए। जांच प्रतिवेदन में साफ उल्लेख है कि निरीक्षण दिवस 118 विद्यार्थियों में कम से कम 13 षिक्षक उपस्थित होना चाहिए था जबकि मात्र 10 की पाए गए।
सीएमएचओ को नहीं है आपत्ति
निरीक्षण में आई तीन सदस्यीय दल ने सीएमएचओ डॉ आरएस सेगर से मुलाकात की, जिसमें डॉ सेंगर ने डॉ प्रिस जायसवाल को प्रमाण पत्र जारी कर रखा था कि वो संविदा में रहते उक्त संस्था के मनोनीत सदस्य रहते संस्था का कार्य कर सकते है, उनके इस तरह से संविदा में रहते कार्य करने को लेकर सीएमएचओं को किसी भी तरह की आपçा नही है। सीएमएचओं ने डॉ प्रिस जायसवाल को विभागीय कार्य और कार्यालयीन समय के अतिरिक्त अन्य निजी प्रैक्टिस, प्रबंधकीय कार्य करने में कार्यालय सीएमएचओ को किसी तरह की आपçा नही है बताया है।
संविदा स्वास्थ्य अधिकारी होने का इंस्टिट्यूट संचालिका के पति उठाते रहे हैं फायदा,जांच को करते रहे हैं प्रभावित
एनएमएच कोरिया जिले में पदस्थ रह चुके वहीं वर्तमान में सूरजपुर जिले में प्रभारी डीपीएम डॉ प्रिस जायसवाल कोरिया जिला प्रशासन सहित राज्य के एनएचएम और स्वास्थ्य विभाग में पैठ बनाकर किस तरह कई तरह की खामियों के साथ अपनी पत्नी के अध्यक्षता वाली संस्था न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग का संचालन कर रहे है, इसका खुलासा आरटीआई से मिली जानकारी से हुआ है। सामाजिक कार्यकर्ता संजय जायसवाल ने केंद्रीय नर्सिग कॉसिल को जब शिकायत की थी, तब अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज की तीन सदस्यीय दल ने न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग का औचक निरीक्षण किया था और डीएमई को जांच प्रतिवेदन दिया था। परन्तु कार्यवाही अभी तक शिफर है। समाजिक कार्यकर्ता संजय जायसवाल ने न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग के संचालन व संविदा कर्मी प्रभारी डीपीएम डॉ प्रिंस जायसवाल को लेकर ईडियन नर्सिग कॉसिंल को की थी, जिसके बाद 18 अक्टूबर 23 को मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर की तीन सदस्यीय दलों ने औचक निरीक्षण किया। जिसमें कई खामियां पाई गई, पूरी कार्यवाही की विडीयोग्राफी भी की गई। यह पाया गया कि विद्यार्थियों के लिए जिला अस्पताल बैकुंठपुर 150 बेड, एसईसीएल चरचा में (जीएनएम) 50, सीएचसी पटना मे 30 बेड, मेंटल अस्पताल सेंडरी में 20 बेड की अनुमति पाई गई। संस्था का खुद का अस्पताल नहीं पाया गया और इसमें अनुसूचित क्षेत्र बताकर अस्पताल नहीं होने के लिए रियायत दी गई है। निरीक्षण में यह भी पाया गया कि संस्था में प्राकृतिक हवाकी कमी पाई गई प्रकाश की व्यवस्था ठीक पाई गई।
अधोसंरचना में काफी कमी
मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर के निरीक्षण में न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग बैकुंठपुर में दो क्लास रूम आवश्यता से आधे वर्ग फीट में पाए गए, नर्सिग फाउडेषन लैब 18 वर्ग फीट में होना है जबकि मात्र 500 वर्ग फीट पाया गया, कम्यूनिटी और न्यूट्रीशियन लैब 1200 फीट होना चाहिए, जबकि कम्प्यूनिटी लैब सिर्फ 256 और न्यूट्रीशियन लैब 352 वर्ग फीट का ही पाया गया, दोनों मिलाकर आवयकता से आधे 608 वर्ग फीट में संचालित है। कम्प्यूटर लैब 1500 वर्ग फीट में होना चाहिए, जबकि यह मात्र 128 वर्ग फीट में पाया गया, मात्र 10 कम्प्यूटर पाए गए। एमसीएच लैब 900 वर्ग फीट की आवश्यकता है जबकि यहा मात्र 250 वर्म फीट में है, प्री क्लिनिकल लैब के लिए 900 वर्ग फीट होना चाहिए जबकि 330 वर्ग फीट में पाया गया। एव्ही एड्स लैब के लिए 600 वर्ग फीट चाहिए जबकि यहां 200 वर्ग फीट ही पाया गयां। इस संस्था में बहुउद्देश्यीय हाल उपलध नहीं है इसके लिए 3000 वर्ग फीट होना चाहिए। यहां कॉमन रूम के लिए 1000 वर्ग फीट होना चाहिए जबकि यहां मात्र 234 वर्ग फीट की जगह पाई गई। स्टॉफ रूम के लिए 800 वर्ग फीट होना चाहिए जबकि यहां सिर्फ 480 वर्ग फीट जगह पाई गई। ण्चओडी रूम 1000 वर्ग फीट होन चाहिए जबकि यहां 585 वर्ग फीट पाया गया। प्राचार्य रूम आवष्यकता 300 और उपलधता 144, उप प्रचार्य कक्ष 200 जबकि 100 वर्ग फीट पाई गई लाईब्रेरी 2300 वर्ग आवष्यकता है यहां मात्र 770 वर्ग फीट पाई गई, इसके अलावा टॉयलेट के लिए 1000 वर्ग फीट आवष्यकता है, जबकि 500 वर्ग फीट ही पाया गया।
छात्रावास एमएलए नगर में
न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग की छात्राओं को एमएलए नगर में 6 भवन किराए पर लेकर रखा गया है। बताया गया कि कम छात्राएं होने के कारण 2 डुप्लेक्स में छात्राओं को रखा गया है जबकि 4 भवन आगामी सत्र के लिए रखा गया है, निरीक्षण टीप से साफ हो रहा है कि टुकडो टुकड़ों में न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग संचालित है, स्कूल कही और छात्रावास कही स्थित है, इसके अलावा जिस जगह छात्रावास संचालित है वह एमएलए नगर को नगर पालिका परिषद के द्वारा अवैध घोषित किया जा चुका है।