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9 अप्रैल को सुनवाई…याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट से बोले-इस दौरान नागरिकता ना दी जाए…
नई दिल्ली,19 मार्च 2024 (ए)। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार 19 मार्च को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दायर 237 याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इन याचिकाओं में से 20 में कानून पर रोक लगाने की मांग की गई है। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का समय मांगा। कोर्ट ने उन्हें 3 हफ्ते का समय दिया है।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह एक्ट किसी की भी सिटिजनशिप नहीं छीन रहा है। 2014 से पहले देश में आए लोगों को ही नागरिकता दी जा रही है। उसके बाद आए किसी नए शरणार्थी को नहीं। याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि केंद्र के जवाब देने तक नई नागरिकता नहीं दी जाए। ऐसा कुछ होता है तो हम फिर कोर्ट आएंगे।
इस पर सीजेआई की बेंच ने कहा कि हम यही हैं। केंद्र सरकार को स्टे पर जवाब देने के लिए 2 अप्रैल तक का समय दिया जाता है। उस पर 8 अप्रैल तक एफिडेविट फाइल कर सकते हैं। इस तरह हम 9 अप्रैल को सुनवाई से पहले जरूरी बातों को सुन लेंगे। असम और त्रिपुरा से जुड़ी याचिकाओं में अलग नोट दिया जाए।
केंद्र ने सीएए लागू होने का नोटिफिकेशन 11 मार्च को जारी किया था। इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी। इसके खिलाफ इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, असम कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया, असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने याचिका लगाई है।
नागरिकता संशोधन कानून की 3 बड़ी बातें…1. किसे मिलेगी नागरिकताः-
31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताçड़त होकर भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे।
- भारतीय नागरिकों पर क्या असरः-
भारतीय नागरिकों से सीएए का कोई सरोकार नहीं है। संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है। सीएए या कोई कानून इसे नहीं छीन सकता।- आवेदन कैसे कर सकेंगेः-
आवेदन ऑनलाइन करना होगा। आवेदक को बताना होगा कि वे भारत कब आए। पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज न होने पर भी आवेदन कर पाएंगे। इसके तहत भारत में रहने की अवधि 5 साल से अधिक रखी गई है। बाकी विदेशियों (मुस्लिम) के लिए यह अवधि 11 साल से अधिक है।
केंद्र सरकार ने 11 मार्च को सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी सीएए का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसके साथ ही यह कानून देशभर में लागू हो गया है। सीएए को हिंदी में नागरिकता संशोधन कानून कहा जाता है। इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान से आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार 12 मार्च को कहा, 18 करोड़ भारतीय मुसलमानों को किसी भी स्थिति में नागरिकता संशोधन अधिनियम से डरने की जरूरत नहीं है। इससे उनकी नागरिकता और समुदाय पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वे भारत में रहने वाले हिंदुओं की तरह ही अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
गृह मंत्री अमित शाह ने सीएए से मुस्लिमों को बाहर रखने पर 15 मार्च को कहा- सीएए के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी। ये तीनों इस्लामिक देश हैं। वहां मुस्लिमों का उत्पीड़न नहीं होता है।