रायपुर/कोरिया@पुलिस निरीक्षक सचिन सिंह जुगाड़ लगाकर पहुंच गए रायपुर

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-रवि सिंह-
रायपुर/कोरिया,18 मार्च 2024 (घटती-घटना)। प्रदेश के पुलिस विभाग में भी प्रायः यह देखने को मिल रहा है की सरकार किसी की हो अच्छी पुलिसिंग की बात सभी सरकारें करती हैं अनुशासन की बात करती हैं विभाग के कर्मचारियों में समानता की बात करती हैं लेकिन जब बात किसी विशेष पुलिसकर्मी की आ जाती है सब कुछ सरकारें भुला देती हैं और फिर केवल खास पुलिसकर्मी के लिए विभाग के समानता का नियम समाप्त कर दिया जाता है और उसे ताक पर रख दिया जाता है और किसी तरह उक्त खास पुलिसकर्मी को उपकृत करने मनचाही पदस्थापना प्रदान करने का काम किया जाता है और अनुशासन सहित अच्छी पुलिसिंग की बात सरकारें भुला देती हैं। ऐसा ही कुछ फिर से देखने को मिलने लगा है जो पहले पूर्व की कांग्रेस शासनकाल में देखने को मिलता था अब भाजपा शासनकाल में वही होता दिख रहा है कुछ गिनती के पुलिसकर्मी जो पूर्व की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी पूरे पांच साल अपनी मनमर्जी से पदस्थ रहते चले आए जिनकी दोषपूर्ण कार्यप्रणाली भी सुर्खियां बटोरती रहीं और बाद में उन्हे जब नियमानुसार पदोन्नति उपरांत नक्सल क्षेत्र में जाना भी पड़ा तो वह ज्यादा समय के लिए नक्सल क्षेत्र में नहीं रह सके और नई भाजपा सरकार में भी वह जुगाड लगाकर फिर से मनचाही जगह लौट आए और नक्सल क्षेत्र का अपना कार्यकाल भी नहीं निभा पाए।
बात एक निरीक्षक को लेकर की जा रही है जो उप निरीक्षक रहते हुए कोरिया जिले में पहले पदस्थ हुए वहीं कोरिया जिले में ही उन्हे मनेंद्रगढ़ पुलिस थाने का प्रभारी थानेदार कांग्रेस शासनकाल में कांग्रेस नेताओं की कृपा से बना दिया गया वहीं जब कोरिया जिला दो भागों में विभाजित हुआ तब उन्हे नवीन जिले में शामिल हुए मनेंद्रगढ़ पुलिस थाने जो एमसिबी जिले का जिला मुख्यालय भी है से नहीं हटाया गया वह लगातार वहीं पदस्थ बने रहे जब उनकी पदोन्नति हुई तब भी वह वहीं थानेदार बने रहे और जब उनका पूरा तीन साल का कार्यकाल थानेदार बतौर पूरा हो गया वह नक्सल क्षेत्र भेजे गए जो पदोन्नति उपरांत आवश्यक या नियमानुसार था और जहां उन्हे तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा करना था जो उन्होंने पूरा नहीं किया जुगाड भाजपा शासन काल में भी लगाया और फिर वह राजधानी लौट गए और जो उनकी ऊंची पकड़ से सम्भव हो सका। पुलिस निरीक्षक कोरिया एमसीबी में रहते हुए खासकर मनेंद्रगढ़ पुलिस थाने के प्रभारी रहकर काफी सुर्खियां बटोर चुके थे और जहां जहां इनकी पदस्थापना रही इनकी कार्यप्रणाली दोषपूर्ण ही रही वहीं कानून व्यवस्था की स्थिति भी अच्छी नहीं रही। उप निरीक्षक रहते हुए थानेदार बनकर तीन साल एक ही पुलिस थाने में कांग्रेस शासनकाल में कार्य कर चुके वर्तमान में नक्सल क्षेत्र से रायपुर जुगाड से समय पूर्व लौटे निरीक्षक का नाम सचिन सिंह है जो अब भाजपा शासनकाल में भी अपनी पकड़ के बल पर अन्य पुलिसकर्मियों से खुद को अलग साबित कर चुके हैं और जिन्होंने नक्सल क्षेत्र में कार्य करने के मामले में भी रिकॉर्ड बना लिया है और एक ही वर्ष में वह नक्सल क्षेत्र से वापस लौटने में सफल हुए हैं।
क्या काभी शातिर है निरीक्षक?
वैसे पुलिस विभाग में कई पुलिसकर्मी हैं जो कई कई वर्षों तक नक्सल क्षेत्र में ही पदस्थ रहते चले आ रहे हैं और ऐसा केवल इसलिए हो पा रहा है की क्योंकि उनके पास किसी सरकार में कोई जुगाड नहीं जबकि सरकारें भाजपा की हों या कांग्रेस की बिना जुगाड वाले पुलिसकर्मियों का यही हाल रहता है। सचिन सिंह निरीक्षक को लेकर यह जाना जाता है की कांग्रेस शासनकाल में उनका कांग्रेस नेताओं से अच्छा संपर्क था यहां तक की तत्कालीन मुख्यमंत्री के पुत्र से उनके संबंध थे जिसके कारण उनका तत्कालीन सरकार में जुगाड था और वह मनचाही जगह पदस्थ रहते चले आए वहीं तब तत्कालीन सरकार के विधायकों को भी यह अपने पक्ष में रख पाने में सफल हो पाते थे और उन्हे जैसा चाहते वैसा उनसे वह अपनी मंशा भी पूरी करा पाते थे। अब वही उनकी सफलता फिर देखी जा रही है और वह भाजपा शासन काल में भी अपनी पहुंच पकड़ साबित करने में सफल हो पा रहे हैं और एक ही वर्ष में नक्सल क्षेत्र से वापसी कर पाने में सफल हो चुके हैं और जिस मामले में पूरे नियम कायदे उनके लिए बदले हुए नजर आ रहे हैं।
महज आठ महीने में ही नक्सल क्षेत्र से सचिन सिंह ने की है वापसी,4 महीने छुट्टी में बिताए
गैर नक्सल क्षेत्र में नियमित कार्य पर उपस्थित होने वाले बहादुर निरीक्षक सचिन सिंह की बहादुरी नक्सल क्षेत्र में कहां चली जाती है की उन्हे एक वर्ष के कार्यकाल में ही नक्सल क्षेत्र के चार महीने छुट्टी की जरूरत पड़ जाती है। आठ महीने ही वह कार्य पर उपस्थित होते हैं और फिर वह जुगाड से राजधानी वापस आ जाते हैं। वैसे खुद को बहादुर बताने वाले उक्त निरीक्षक की बहादुरी यहीं नजर आ जाति है और समझा जा सकता है की नक्सल क्षेत्र में वह कितने भयभीत थे खुद की उन्होंने एक वर्ष होते होते ही जुगाड लगाया और छोड़ भागे नक्सल क्षेत्र।
एमसीबी जिला मुख्यालय के पुलिस थाने में तीन साल तक बने रहे थाना प्रभारी,तत्कालीन मुख्यमंत्री के पुत्र से परिचय बताकर करते रहे मनमानी
सचिन सिंह उप निरीक्षक रहते हुए मनेंद्रगढ़ पुलिस थाने के थाना प्रभारी बने और तब कोरिया जिले में ही मनेंद्रगढ़ पुलिस थाना शामिल था,शासन कांग्रेस का था और तब तत्कालीन मुख्यमंत्री के पुत्र से सचिन सिंह अपना खास परिचय बताकर मनमानी किया करते थे। कोरिया जिले से जब एमसीबी जिला अलग हुआ तब लगा की वह थाना प्रभारी मनेंद्रगढ़ के प्रभार से हटेंगे लेकिन उन्हे नहीं हटाया गया वही उप निरीक्षक रहते हुए प्रभारी बने रहे और जिले के कई निरीक्षक तब थाने के लिए तरसते रहे। नवीन जिला गठन के बाद ही इनकी पदोन्नति हुई और यह निरीक्षक बने और फिर कुछ दिन मनेंद्रगढ़ में ही रहे और फिर उन्हे नियमानुसार नक्सल क्षेत्र जाना पड़ा। वैसे सचिन सिंह मुख्यमंत्री पुत्र से परिचय बताकर पूरे तीन साल एक थाने के प्रभारी बने रहे और फिर उन्होंने जमकर मनमानी भी की और उनके कार्यकाल में मनेंद्रगढ़ पुलिस थाना क्षेत्र में जमकर अवैध कारोबार फले फूले।एक ही पुलिस थाने में तीन साल प्रभारी रहकर सचिन सिंह ने एक रिकॉर्ड भी कायम किया और जो उनके नाम दर्ज हुआ।
वर्तमान भाजपा सरकार में किस नेता से है परिचय
निरीक्षक सचिन सिंह जब कांग्रेस शासनकाल था तब तत्कालीन मुख्यमंत्री के पुत्र को अपना खास परिचित बताकर पुलिस विभाग और अधिकारियों पर अपनी धमक जमाते थे वहीं तब वह अपनी मनमानी करते थे लेकिन अब जब साा परिवर्तन हो गया तब भाजपा में कौन नेता इनका खास परिचित निकल गया जिसने तत्काल ही इन्हे नक्सल क्षेत्र से मुक्ति दिला दी यह बड़ा सवाल है। नक्सल क्षेत्र बीजापुर कम से कम तीन वर्ष तक सचिन सिंह को रहना था लेकिन एक वर्ष में ही उन्हे वापसी मिल गई जो बड़ी उपलçध है। वैसे भाजपा के किसी बड़े नेता को निरीक्षक सचिन सिंह ने अपने प्रभाव में लिया है ऐसा माना जा रहा है क्योंकि जहां अन्य इनके ही साथ नक्सल क्षेत्र गए पुलिसकर्मी अभी भी वहीं कार्यरत हैं कुछ कई वर्षों से कार्यरत हैं वहीं इनकी वापसी हो गई जो इस ओर संकेत करती है की पुलिस विभाग में कुछ भी संभव है केवल साा धारी दल के नेता से संपर्क होना चाहिए।


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