बैकुण्ठपुर@एक बार फिर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अपने गलत मंसूबे में हुए असफल?…अपने चहेते सोनहत खंड चिकित्सा अधिकारी को नहीं ला पाए पटना

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-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,17 मार्च 2024 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग में तीन नाम काफी चर्चित हैं पहला नाम तो खुद जिले के स्वास्थ्य विभाग के मुखिया मतलब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर आर एस सेंगर का है दूसरा नाम पहले के प्रभारी डीपीएम डॉक्टर प्रिंस जायसवाल का वहीं तीसरा नाम है डॉक्टर श्रेष्ठ मिश्रा का यह तीनों नाम इस समय स्वास्थ्य विभाग की सुर्खियां हैं, सुर्खियां बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए नहीं सिर्फ राजनीत करने व षड्यंत्र करने में सुर्खियां बटोर रखे हैं यह लोग, किसे हटाना है किस अस्पताल से,किसे किस अस्पताल में रखना है कहां भेजना है सिर्फ यही इस समय चल रहा है बेहतर स्वास्थ्य सुविधा कैसे मिलेगी कौन बेहतर व्यवस्था पर काम करेगा इस पर बिल्कुल भी चर्चा नहीं हो रही, कम से कम यह लोग इस विषय के अलावा अन्य विषय पर ज्यादा व्यस्त हैं, इनका दिमाग इस मामले में ज्यादा चलता है की कहां से पैसा कमाना है यह इनका मुख्य उद्देश्य हो चला है जो इनकी कार्यप्रणालियों को देखकर लगता है, जैसे तैसे एक तत्कालीन प्रभारी डीपीएम से कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग को छुटकारा मिला तो है पर कागजों में अभी भी दूसरे जिले जाने के बाद भी उनका हस्तक्षेप जारी है पर वही पटना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के वर्तमान खंड चिकित्सा अधिकारी जो नेत्र चिकित्सक भी हैं और एक ठीक-ठाक डॉक्टर भी हैं लेकिन उनके साथ की समस्या यह है कि उनके उच्च अधिकारी भी इन्हीं के समान वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक हैं, पहले वह इकलौते नेत्र चिकित्सक थे और एक अच्छे अनुभवी चिकित्सक थे, जिस वजह से उनकी पहचान काफी थी ख्याति भी काफी थी और दूर-दूर से नेत्र से संबंधित रोगों को लेकर मरीज उनके पास आया करते थे पर वही एक युवा नेत्र चिकित्सक बलवंत सिंह इस समय अपने बेहतर व्यवहार व इलाज से नेत्र के अच्छे डॉक्टर बनते जा रहे हैं जिस वजह से उनके ही वरिष्ठ अधिकारी को अंदर से जलन होने लगी है जिस वजह से अंदर खाने में बहुत तेजी से षड्यंत्र के तहत डॉक्टर बलवंत सिंह को पटना सामुदायिक केंद्र के खंड चिकित्सा अधिकारी के पद से हटाने की कवायद हो रही है, वहीं उन्हें खंड चिकित्सा अधिकारी के पद से हटाने का पूरा प्रयास मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी कर रहे हैं ताकि युवा चिकित्सक हताश हो जाए और बेहतर नेत्र चिकित्सक की काबिलियत से वह बेहतर इलाज न कर सके और उसकी ख्याति दूर दूर तक न जा सके ऐसा सूत्रों का कहना है।
कांग्रेस पार्टी में परिवार के सदस्यों की उपस्थिति का डॉ. श्रेष्ठ ने उठाया फायदा और डॉ. बलवंत को वरिष्ठ होने के बाद भी सोनहत का बीएमओ नहीं बनने दिया था
सोनहत के खंड चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर श्रेष्ठ मिश्रा के साथ मिलकर पटना खंड चिकित्सा अधिकारी को हटाने का प्रयास लगातार मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी कर रहे हैं पर हर बार वह नाकाम हो रहे हैं उसकी सिर्फ एक वजह है वह है सोनहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के खंड चिकित्सा अधिकारी का खराब व्यवहार व उनका खराब परफॉर्मेंस। सोनहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर श्रेष्ठ मिश्रा कांग्रेस शासनकाल में पदस्थ किए गए थे, तब वहां डॉक्टर बलवंत सिंह सबसे वरिष्ठ चिकित्सक थे लेकिन कांग्रेस नेताओं से अच्छे संबंध के कारण वहीं कांग्रेस पार्टी में परिवार के सदस्यों की उपस्थिति का तब डॉक्टर श्रेष्ठ मिश्रा ने फायदा उठाया था डॉक्टर बलवंत को वरिष्ठ होने के बाद भी खंड चिकित्सा अधिकारी नहीं बनने दिया था और डॉक्टर बलवंत को सोनहत छोड़ना पड़ा था। डॉक्टर बलवंत सोनहत में काफी प्रसिद्ध थे अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रदान करने के मामले में लेकिन कांग्रेस शासनकाल में डॉक्टर श्रेष्ठ मिश्रा ने कांग्रेस नेताओं से संपर्क और पारिवारिक रूप से कांग्रेस परिवार से संबद्ध होने के कारण डॉक्टर बलवंत को वरिष्ठ होने के बावजूद सोनहत से हटवाने में सफलता प्राप्त कर ली थी।
क्या इस कारण से सोनहत छोड़कर भागना चाहते हैं डॉक्टर श्रेष्ठ मिश्रा?
अब जब प्रदेश में भाजपा की सरकार साा में वापस आई है वहीं सोनहत में रहते हुए खंड चिकित्सा अधिकारी की जिम्मेदारी सम्हालते हुए डॉक्टर श्रेष्ठ मिश्रा की कार्यप्रणाली से भाजपाई रूष्ट हैं वहीं क्षेत्र की विधायक भी तेज तर्रार हैं जो गलतियों को लेकर काफी नाराज होती हैं लोगों को मिलने वाली सुविधाओं में कटौती उन्हे बर्दास्त नहीं होती जिसके कारण वह सोनहत छोड़कर भागना चाहते हैं जिससे उन्हे भरतपुर सोनहत क्षेत्र की विधायक का कोप भाजन न बनना पड़े,क्योंकि जिस दिन विधायक को खंड चिकित्सा अधिकारी की गलतियों मनमानियों का पता चल सकेगा वह मामले कोई रियायत नहीं देने वाली निश्चित ही कार्यवाही होगी इसलिए डॉक्टर श्रेष्ठ सोनहत छोड़कर दोबारा पटना आना चाहते हैं जिससे वह फिर मनमानी कर सकें और पटना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में खंड चिकित्सा अधिकारी बनकर वर्तमान की बेहतर चल रही स्वास्थ्य व्यवस्था को बदतर कर सकें।
क्या शासन के द्वारा खंड चिकित्सा अधिकारी सोनहत की डॉक्टर पत्नी पर निश्चेतना विशेषज्ञता के लिए खर्च किए गए पैसे हुए बेकार?
सोनहत में पदस्थ खंड चिकित्सा अधिकारी की पत्नी भी डॉक्टर हैं,जो पटना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ही पदस्थ हैं लेकिन कार्य पर उनकी उपस्थिति नहीं के बराबर होती है और हाल में ही हुए निरीक्षण जिसे पटना की तहसीलदार ने किया था जो डिप्टी कलेक्टर हैं के निरीक्षण के दौरान पाया गया था की डॉक्टर प्रियंका लंबे समय से अस्पताल नहीं आईं हैं और जिसपर तहसीलदार पटना के द्वारा इसका निरीक्षण टीप में भी उल्लेख किया गया और मामले में खंड चिकित्सा अधिकारी से भी उन्होंने जानकारी ली,बताया जाता है की खंड चिकित्सा अधिकारी की पत्नी को विभागीय तौर पर निश्चेतना का विशेषज्ञ बनाने के लिए विभाग ने राशि भी खर्च की है लेकिन जबसे वह यह विशेषज्ञता लेकर लौटी हैं उनकी कार्य पर उपस्थिति ही नहीं हो पा रही है,बताया जाता है जिला चिकित्सालय में उन्हे सेवा देनी है लेकिन जिला चिकित्सालय में कोई चिकित्सक निश्चेतना के लिए डॉक्टर प्रियंका को नहीं बुलाना चाहता उनका कहना है की उनकी कुशलता सही नहीं होना इसकी वजह है वह सही ढंग से निस्चेतक की जिम्मेदारी नहीं निभा पातीं वहीं उन्हे पटना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सेवा देनी है वहां से भी वह नदारद ही हैं ऐसे में सवाल उठता है की क्या उन्हे या उनके ऊपर किया गया विभागीय खर्च व्यर्थ गया क्योंकि उनकी विशेषज्ञता का फायदा किसी को नहीं मिल पा रहा वहीं वह अपनी मूल पदस्थापना से भी नदारद चल रही हैं।
मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर बलवंत को मानते हैं अपना प्रतिष्पर्धी,इसलिए पड़े हैं डॉक्टर बलवंत के पीछे
मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी नेत्र चिकित्सक हैं वहीं पटना खंड चिकित्सा अधिकारी भी नेत्र चिकित्सक हैं वहीं खंड चिकित्सा अधिकारी अब पटना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ही मित्र रोगों का इलाज करने लगे हैं वहीं वह वहीं ऑपरेशन भी करने लगे हैं जिससे उनकी ख्याति भी बढ़ी है साथ ही पटना क्षेत्र जो काफी बड़ी आबादी का क्षेत्र है के लोगों को नेत्र रोगों के इलाज की सुविधा भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पटना में मिलने लगी है। इस बात को मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी कोरिया प्रतिष्पर्धा स्वरूप में मानकर चलने लगे हैं वहीं डॉक्टर बलवंत को ही अब नेत्र मामलों के जिला स्तरीय कैंप में भी भेजा जा रहा है जिससे मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी अंदर ही अंदर जलन महसूस करने लगे हैं और जिसके कारण वह डॉक्टर बलवंत को किसी भी हालत में पटना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से हटाना चाहते हैं जिससे उनके नेत्र मामलों के मरीजों में कमी न आने पाए वहीं उनकी जगह किसी अन्य की ख्याति स्थापित न होने पाए। इसलिए वह डॉक्टर बलवंत को पटना से हटाना चाहते हैं वहीं उनकी जगह डॉक्टर श्रेष्ठ की पदस्थापना चाहते हैं। मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पटना क्षेत्र के लोगों को मिल सके इस पक्ष में नहीं रहकर इस पक्ष में है की पटना में उनके अनुसार खंड चिकित्सा अधिकारी पदस्थ हो और उनकी मन मर्जी भी चल सके साथ ही आंख के इलाज मामले में लोगों को बैकुंठपुर तक आना पड़े। खैर मामले में बैकुंठपुर विधायक ने गंभीरता दिखाई और उन्होंने सबकुछ भांपकर डॉक्टर श्रेष्ठ को पटना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का खंड चिकित्सा अधिकारी बनाए जाने का पक्ष लेने से मना कर दिया जो क्षेत्र के लोगों के स्वास्थ्य मामले में विधायक की गंभीरता बताने काफी है।
क्या कोई है जो खंड चिकित्सा अधिकारी सोनहत की पत्नी डॉक्टर प्रियंका से पूरी ड्यूटी कर सके?
जिले में यह भी देखा गया है की प्रशासनिक अधिकारियों की पत्नियां भी चिकित्सक बतौर सेवा प्रदान कर चुकी हैं जिले में जिन्हे अपने कार्य पर उपस्थित पाया जाता था वह कभी प्रशासनिक अधिकारियों की पत्नी का रुतबा नहीं झाड़ती दिखीं लेकिन सोनहत के खंड चिकित्सा अधिकारी की पत्नी जो डॉक्टर हैं का रुतबा गजब का है,उनसे ड्यूटी करा पाने में कोई सफल नहीं हो पा रहा है। वह अस्पताल फिलहाल नहीं जा रही हैं लेकिन जैसे ही खंड चिकित्सा अधिकारी पटना मामले में एक्शन लेते हैं वह एक लिपिक के माध्यम से खंड चिकित्सा अधिकारी से संपर्क करती हैं, उनसे ड्यूटी करा पाने में असमर्थ साबित होने पर ही खंड चिकित्सा अधिकारी एक्सन लेते हैं लेकिन फिर भी वह सफल नहीं हो पाते। वैसे ऐसा कोई नहीं सिवाय एक के जो डॉक्टर प्रियंका से ड्यूटी करा सके और वह खुद खंड चिकित्सा अधिकारी सोनहत साथ ही डॉक्टर प्रियंका के पति हैं जिनके पटना में खंड चिकित्सा अधिकारी बनते ही वह कार्य पर उपस्थित हो जायेगी ऐसा माना जाता है वरना वह काम नहीं करने वाली,वैसे पति के खंड चिकित्सा अधिकारी बनने के बाद वह कार्य पर कागजी तौर पर ही उपस्थित होंगी उनसे कार्य ले पाना किसी के लिए भी नामुमकिन है।
विधायक ने डॉक्टर श्रेष्ठ को पटना का खंड चिकित्सा अधिकारी बनाने से किया मनाःसूत्र
सूत्रों की माने तो डॉक्टर बलवंत की जगह डॉक्टर श्रेष्ठ को पटना का खंड चिकित्सा अधिकारी बनाने के लिए मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी कोरिया साथ ही एक स्थानीय भाजपा नेता जब बैकुंठपुर विधायक के पास पहुंचे विधायक ने इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया। बताया जाता है की मामले में भारी लेनदेन भी हुआ था जो राशि नेता सहित मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी कोरिया में बांटा जाना था लेकिन क्षेत्र की स्वास्थ्य सुविधा से खिलवाड़ नहीं करने की बात कहते हुए बैकुंठपुर विधायक ने डॉक्टर श्रेष्ठ को पटना का खंड चिकित्सा अधिकारी बनाने से मना कर दिया जिसके बाद बताया जाता है की भाजपा नेता और सीएमएचओ को खाली हांथ लौटना पड़ा,वैसे सूत्रों की माने तो डॉक्टर श्रेष्ठ ने पटना का खंड चिकित्सा अधिकारी बनने के लिए खुली बोली लगा दी है और अब देखने वाली बात होगी की आगे वह बोली के सहारे पद पाते हैं या फिर उन्हे ऐसे ही रहना पड़ता है।
एक लिपिक की भूमिका भी है पटना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को लेकर विभीषण जैसी,पदस्थ रहकर इधर उधर दोनो तरफ रोटियां सेंक रहे
पटना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के एक लिपिक की भूमिका भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को बर्बाद करने के पीछे महत्वपूर्ण मानी जा रही है। विभीषण की भूमिका निभाता उक्त लिपिक बताया जा रहा है की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पटना में क्या प्रतिदिन की गतिविधि हैं कहां जरा भी त्रुटि हो रही है वह इसको लेकर संदेश वाहक बनकर काम कर रहा है और सूचना तत्काल उन्हे भेज रहा है जो पटना अस्पताल में डॉक्टर बलवंत की जगह आना चाहते हैं या जो डॉक्टर बलवंत की बेहतर प्रदान की जा रही स्वास्थ्य सुविधा से जलन महसूस कर रहे हैं। उक्त लिपिक का पटना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से हटना भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की भलाई के लिए बेहतर होगा वरना आज नहीं कल वह अपने अभियान में सफल हो जायेगा।


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