बैकुण्ठपुर@न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग में मिली कई खामियां, फिर भी संबंधित विभाग आंखें मूंदे क्यों बैठा है?

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क्या नियम विरुद्ध तरीके से संचालित हो रहा है न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग?
कार्यवाही के लिए जांच प्रतिवेदन भेजा गया संचालनालय


-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,13 फरवरी 2024 (घटती-घटना)। कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर में स्वास्थ्य विभाग के एनएचएम विभाग में पदस्थ प्रभारी डीपीएम डॉ प्रिस जायसवाल की जिला प्रशासन सहित राज्य के एनएचएम और स्वास्थ्य विभाग में पैठ बनाकर किस तरह कई तरह की खामियों के साथ अपनी पत्नी के अध्यक्षता वाली संस्था न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग का संचालन कर रहा है, इसका खुलासा आरटीआई से मिली जानकारी से हुआ है। शिकायतकर्ता संजय जायसवाल ने केन्दीय नर्सिग कॉसिल को जब शिकायत की थी,तब अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज से आए तीन सदस्यीय जांच दल ने न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग का औचक निरीक्षण किया था और डीएमई को जांच प्रतिवेदन दिया था। परन्तु कार्यवाही अभी तक शिफर है।
शिकायतकर्ता संजय जायसवाल ने न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग के संचालन व संविदा कर्मी प्रभारी डीपीएम डॉ प्रिंस जायसवाल को लेकर ईडियन नर्सिग कॉसिंल को शिकायत की थी, जिसके बाद 18 अक्टूबर 23 को मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर की तीन सदस्यीय दलों ने औचक निरीक्षण किया। जिसमें कई खामियां पाई गई, पूरी कार्यवाही की वीडियोग्राफी भी की गई। यह पाया गया कि विद्यार्थियों के लिए जिला अस्पताल बैकुंठपुर 150 बेड, एसईसीएल चरचा में (जीएनएम) 50, सीएचसी पटना मे 30 बेड, मेंटल अस्पताल सेंडरी में 20 बेड की अनुमति पाई गई। संस्था का खुद का अस्पताल नहीं पाया गया और इसमें अनुसूचित क्षेत्र बताकर अस्पताल नहीं होने के लिए रियायत दी गई है। निरीक्षण में यह भी पाया गया कि संस्था में प्राकृतिक हवा की कमी पाई गई प्रकाश की व्यवस्था ठीक पाई गई।
सरकार किसी भी दल की क्यों न हो,कांग्रेस भाजपा दोनों में रिश्तेदारी कायम करने में माहिर हैं डॉक्टर प्रिंस जायसवाल
प्रदेश में पहले कांग्रेस की सरकार थी पिछले पांच वर्ष तक तब डॉक्टर प्रिंस जायसवाल कांग्रेस नेताओं के साथ रिश्तेदारी की बात बताकर जलवे अपने बिखेरा करते थे। मंत्रियो के साथ उनकी तस्वीरें भी समाने आया करती थीं। अब सरकार भाजपा की है तब भी डॉक्टर प्रिंस जायसवाल के जलवे कायम हैं। डॉक्टर प्रिंस जायसवाल भाजपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री को ही चाचा बताकर अब जलवे बिखेर रहे हैं। वैसे डॉक्टर प्रिंस के जलवे अपनी जगह वहीं राजनीतिक रूप से नेताओं की छवि भी धूमिल हो रही है अब डॉक्टर प्रिंस जायसवाल की कारस्तानियो के कारण। नेताओं मंत्रियो के खास बनकर डॉक्टर प्रिंस जायसवाल अपनी मनमानी लगातार कर रहे हैं और राजनीतिक दलों के नेताओं को गिरफ्त में करने की अपनी कला के सहारे वह अपना मात्र स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं आम लोगों की स्वास्थ्य सुविधा में वह सेंध लगाने का अपना अभियान इसी तरह जारी रखे हुए हैं।
क्या राजनीतिक संरक्षण ही वजह है जिसकी वजह से डॉक्टर प्रिंस जायसवाल के शिकायत मामलो की जांच नहीं हो पा रही है?
डॉक्टर प्रिंस जायसवाल की कई शिकायतें विगत कई वर्षों से लंबित हैं। कई बार उनके मामलो में जांच की बात सामने आई लेकिन जांच न हो सकी केवल जांच टीम आई और चाय नाश्ता कर चली गई। पहले कांग्रेस की सरकार में इनके भ्रष्टाचार की जांच की बात इनके नर्सिंग कॉलेज के जांच की बात समाने आई। वहीं तब मामला कांग्रेस नेताओ के दबाव में दबाया गया अब जब भाजपा सत्ता में है तब भी इनके मामले में जांच नहीं हो पा रही है जिससे यह प्रतीत होने लगा है की कहीं राजनीतिक संरक्षण के कारण तो ऐसा नहीं हो रहा है और यह जांच से बचे हुए हैं। वैसे लोगों का मानना है की आम कोई होता अन्य कोई होता बड़ी कार्यवाही होती,चुकीं मामला राजनीतिक संरक्षण का है इसलिए डॉक्टर प्रिंस जायसवाल बचे हुए हैं।
अधोसंरचना में काफी कमी
मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर से आई टीम के निरीक्षण में न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग बैकुंठपुर में दो क्लास रूम आवश्यता से आधे वर्ग फीट में पाए गए,नर्सिग फाउडेशन लैब 18 वर्ग फीट में होना है जबकि मात्र 500 वर्ग फीट पाया गया, कम्यूनिटी और न्यूट्रीशियन लैब 1200 फीट होना चाहिए, जबकि कम्प्यूनिटी लैब सिर्फ 256 और न्यूट्रीशियन लैब 352 वर्ग फीट का ही पाया गया, दोनों मिलाकर आवयकता से आधे 608 वर्ग फीट में संचालित है। कम्प्यूटर लैब 1500 वर्ग फीट में होना चाहिए, जबकि यह मात्र 128 वर्ग फीट में पाया गया, मात्र 10 कम्प्यूटर पाए गए। एमसीएच लैब 900 वर्ग फीट की आवश्यकता है जबकि यहा मात्र 250 वर्ग फीट में है, प्री क्लिनिकल लैब के लिए 900 वर्ग फीट होना चाहिए जबकि 330 वर्ग फीट में पाया गया। एव्ही एड्स लैब के लिए 600 वर्ग फीट चाहिए जबकि यहां 200 वर्ग फीट ही पाया गयां। इस संस्था में बहुउद्देश्यीय हाल उपलध नहीं है इसके लिए 3000 वर्ग फीट होना चाहिए। यहां कॉमन रूम के लिए 1000 वर्ग फीट होना चाहिए जबकि यहां मात्र 234 वर्ग फीट की जगह पाई गई। स्टॉफ रूम के लिए 800 वर्ग फीट होना चाहिए जबकि यहां सिर्फ 480 वर्ग फीट जगह पाई गई। एचओडी रूम 1000 वर्ग फीट होन चाहिए जबकि यहां 585 वर्ग फीट पाया गया। प्राचार्य रूम आवश्यकता 300 और उपलधता 144, उप प्राचार्य कक्ष 200 जबकि 100 वर्ग फीट पाई गई। लाईब्रेरी 2300 वर्ग आवश्यकता है यहां मात्र 770 वर्ग फीट पाई गई, इसके अलावा टॉयलेट के लिए 1000 वर्ग फीट आवश्यकता है,जबकि 500 वर्ग फीट ही पाया गया।
छात्रावास एमएलए नगर में
न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग की छात्राओं को एमएलए नगर में 6 भवन किराए पर लेकर रखा गया है। बताया गया कि कम छात्राएं होने के कारण 2 डुप्लेक्स में छात्राओं को रखा गया है जबकि 4 भवन आगामी सत्र के लिए रखा गया है, निरीक्षण टीप से साफ हो रहा है कि टुकडो टुकड़ों में न्यू लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग संचालित है,स्कूल कही और छात्रावास कही स्थित है, इसके अलावा जिस जगह छात्रावास संचालित है वह एमएलए नगर को नगर पालिका परिषद के द्वारा अवैध घोषित किया जा चुका है।
निरीक्षण मे कई रहे नदारद
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज की तीन सदस्यीय दल निरीक्षण में पहुंचा तब उप प्राचार्य अनुपस्थित पाए गए, प्रोफेसर का पद आज तक भरा नहीं गया है, सह प्राध्यापक के पद पर एक की नियुक्ति की गई जो उपस्थित रहे,सह प्राध्यापक 5 में 3 उपस्थित पाए गए, ट्यूटर के 16 पदों के विरूद्ध मात्र 10 की नियुक्ति पाई गई जिसमें 5 अनुपस्थित पाए गए। जांच प्रतिवेदन में साफ उल्लेख है कि निरीक्षण दिवस 118 विद्यार्थियों में कम से कम 13 षिक्षक उपस्थित होना चाहिए था जबकि मात्र 10 की पाए गए।
सीएमएचओ को नहीं है आपत्ति
निरीक्षण में आई तीन सदस्यीय दल ने सीएमएचओ डॉ आरएस सेगर से मुलाकात की, जिसमें डॉ सेंगर ने डॉ प्रिस जायसवाल को प्रमाण पत्र जारी कर रखा है कि वो संविदा में रहते उक्त संस्था के मनोनीत सदस्य रहते संस्था का कार्य कर सकते है, उनके इस तरह से संविदा में रहते कार्य करने को लेकर सीएमएचओं को किसी भी तरह की आपçा नही है। सीएमएचओं ने डॉ प्रिस जायसवाल को विभागीय कार्य और कार्यालयीन समय के अतिरिक्त अन्य निजी प्रैक्टिस, प्रबंधकीय कार्य करने में कार्यालय सीएमएचओ को किसी तरह की आपçा नही है बताया है।
एक शासकीय संविदा कर्मचारी की राजनीति में रुचि, मंत्री विधायक के साथ फोटों खिंचाने में दिलचस्पी ही उसकी सफलता का राज तो नहीं?
कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग में तत्कालीन प्रभारी डीपीएम बनकर काम कर चुके डॉक्टर प्रिंस जायसवाल जिनका हाल ही में तबादला सूरजपुर जिले के लिए कर दिया गया है विगत कई वर्षों से कोरिया जिले में स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी डीपीएम बनकर काम करते आ रहे थे। इसी दौरान कोरोना महामारी का भी दौर आया और उस दौरान भी डॉक्टर प्रिंस जायसवाल ही जिले में एनएचएम विभाग देख रहे थे। कोरोना महामारी के समय जिले के स्वास्थ्य विभाग में जमकर भ्रष्टाचार हुआ जिसमे एन एच एम अंतर्गत भर्तियां,खरीदी जो जीवन बचाने के नाम पर दवाइयों सहित उपकरणों की हुई वहीं वाहनों का आवागमन भाड़ा सभी मामलों में भ्रष्टाचार किया गया। प्रभारी डीपीएम बतौर काम करते चले आए डॉक्टर प्रिंस इस दौरान काफी सफलता अर्जित कर सके। उन्होंने इस दौरान जमकर सम्पçा भी अर्जित की वहीं इस दौरान उन्होंने कई ख्याति भी प्राप्त की साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में वह पुरस्कृत भी किए गए। निजी नर्सिंग कॉलेज संचालन की बात हो या निजी क्लीनिक में सेवा देने की बात हो शासकीय सेवा के साथ साथ डॉक्टर प्रिंस जायसवाल वह भी करते रहे वहीं जिले के आला अधिकारियों से भी उनके संबंध प्रगाढ़ होते चले गए। यह सब कुछ कैसे संभव हुआ यदि इसके पीछे की वजह जानी जाए तो एक ही बात या सवाल सामने आएगा। डॉक्टर प्रिंस की राजनीतिक पकड़ और राजनीति में रुचि साथ ही मंत्री विधायकों के साथ उनकी फोटोग्राफी ही इसकी वजह बनी। राजनीति में वह हर समय दखल देते ही नजर आए और उनके लिए राजनीति ही सफलता का कारण बन सकी वरना योग्यता मामले में उनकी योग्यता से सभी भिन्य ही हैं।


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