रायपुर/बिलासपुर@किम्सी जैन के बाद हाईकोर्ट से दो और अभियुक्त दोषमुक्त

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रायपुर/बिलासपुर,12 मार्च २०२४ (ए)। शंकराचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज के डायरेक्टर आईपी मिश्रा के बेटे अभिषेक मिश्रा मर्डर केस में हाई कोर्ट ने अपना अंतिम फैसला सुनाया है। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में साल 2015 में हुए बहुचर्चित हत्याकांड में हाई कोर्ट ने किम्सी जैन के पति विकास जैन और चाचा अजीत सिंह को बरी कर दिया है।
फैसला चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डबल बेंच ने 5 दिसंबर 2023 की अंतिम बहस के बाद सुरक्षित कर लिया था। आज इस प्रकरण पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने किम्सी कंबोज के पति और चाचा को भी बरी कर दिया है।मामले में किम्सी कम्बोज पहले ही साल 2021 में रिहा हो चुकी है। क्योंकि पुलिस ने किम्सी को संदेश के आधार पर गिरफ्तार किया था, लेकिन अभियोजन पक्ष किम्सी को आरोपी सिद्ध नहीं कर सका। वहीं जिला न्यायालय दुर्ग में न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव की कोर्ट ने किम्सी के पति विकास जैन और चाचा अजीत सिंह को आजीवन कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई थी।
इस बात को लेकर अभियुक्त पक्ष यानी किम्सी कंबोज ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. इस याचिका में तीन साल सुनवाई के बाद आजीवन कारावास की सजा को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डबल बेंच ने समाप्त करते हुए आज अपना फैसला सुनाया है।
यह बना प्रकरण और
बरी होने का कारण
अभियोजन पक्ष यानी शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज की डायरेक्टर आईपी मिश्रा ने भी ने किम्सी कंबोज को बरी करने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद अब अभियोजन पक्ष को आईपी मिश्रा को हार का सामना करना पड़ा है।
वहीं बचाव पक्ष की ओर से दुर्ग जिला न्यायालय की अधिवक्ता उमा भारती साहू ने अपनी पैरवी से आईपी मिश्रा के वकील की सभी दलिलो का जवाब दिया। हाईकोर्ट ने कहा है कि पुलिस और अभीयोजन पक्ष के अधिवक्ता की ओर से सिर्फ कॉल डिटेल सीडीआर के आधार पर अभियुक्त को आरोपी नहीं बनाया जा सकता।
आरोपी ने मृतक से फोन पर बात की है यह साबित किया गया, लेकिन क्या बात हुई, यह अभियोजन साबित नहीं कर सका। सिर्फ सीडीआर डिटेल के आधार पर किसी को आरोपी नहीं बनाया जा सकता। जिसके दुर्ग जिला न्यायालय के आजीवन कारावास की सजा को समाप्त करते हुए उच्च न्यायालय ने विकास जैन और अजीत सिंह को रिहा करने का फैसला सुनाया।
ये है पूरा हाई प्रोफाइल
क़कत्ल का किस्सा
साल 2015 में भिलाई के स्मृति नगर में सामने आई थी. जब नवंबर 2015 में अभिषेक मिश्रा की हत्या कर दी गई थी। 10 नवंबर 2015 की शाम शंकराचार्य इंजीनियरिंग मेडिकल के चेयरमैन आईपी मिश्रा के इकलौते बेटे अभिषेक मिश्रा का अपहरण कर हत्या कर दिया गया था।इस किडनैपिंग की खबर ने पूरे प्रदेश में खलबली मचा दी थी। इसकी सूचना केंद्रीय मंत्रियों तक भी पहुँची, जिसके बाद पुलिस पर आरोपियों को पकड़ने का दबाव बढ़ने लगा। पुलिस ने इसे सुलझाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। यही वजह थी कि पूरे देश के करीब एक करोड़ मोबाइल कॉल डिटेल खंगालने के बाद पुलिस को भिलाई के सेक्टर-10 निवासी विकास जैन पर संदेह हुआ। घटना के करीब 45 दिन बाद आरोपी विकास जैन के चाचा अजीत सिंह के स्मृति नगर निवास के बगीचे में दफन की गई अभिषेक मिश्रा की सड़ी गली लाश बरामद हुई। आरोपियों ने बेहद ही शातिराना अंदाज में लाश को दफना कर ऊपर फूल गोभी की सब्जियां उगा दी थी। पुलिस ने लाश के पास हाथ का कड़ा, अंगूठी और लॉकेट देखकर अभिषेक का शव होने की पुष्टि की थी। लाश का ष्ठहृ्र टेस्ट भी कराया गया था. इस मामले में कॉल डिटेल के आधार पर किम्सी कंबोज, विकास जैन और अजीत सिंह को गिरफ्तार किया गया था।


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