बैकुण्ठपुर,@आखिर क्यों वर्ष 2022 में जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन ने डॉक्टर प्रिंस जायसवाल के जिला चिकित्सालय में अनावश्यक प्रवेश पर लगाया था प्रतिबंध?

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-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,07 मार्च 2024 (घटती-घटना)। स्वास्थ्य विभाग में एनएचएम के प्रभारी डीपीएम डॉ प्रिंस जायसवाल को अब तक जिला प्रशासन ने रिलीव नही किया है, उनकी कार्यशैली को जिला प्रशासन ने बहुत पसंद किया और तमाम अनियमितताओं को ढंक कर उन्हें प्रोत्साहित करते रहे, परंतु वह खुद काम के प्रति कितने जिम्मेदार रहे है, यह एक पत्र से खुलासा हुआ है ये पत्र सेवाकाल में रहते जिला अस्पताल के सीएम डॉ ए के करण ने डॉक्टर प्रिंस जायसवाल को लिखा था और पत्र तत्कालीन मिशन संचालक, वर्तमान कलेक्टर कोरिया, सीएमएचओ और जिला जनसंपर्क अधिकारी को पत्र प्रेषित किया था, अब वे सेवानिवृा हो चुके है और उनका पत्र अब सोशल मीडिया में तैर रहा है। सूत्र बताते है कि प्रभारी डीपीएम के द्वारा इस पत्र को हर जगह से हटा लिया गया, यहां तक कि जिला कंप्यूटर में ये टाइप हुआ था वहां से भी मिटवाया गया था। पत्र में सरल सहज और अपने कर्तव्य के प्रति हमेशा सजग रहने वाले तत्कालीन सिविल सर्जन जिला चिकित्सालय बैकुंठपुर ने जो कुछ लिखा है उसको पढ़कर समझा जा सकता है की डॉक्टर प्रिंस जायसवाल किस तरह कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग को खुद बदनाम भी करते आए हैं जिला चिकित्सालय सहित स्वास्थ्य व्यवस्था डॉक्टरों को उच्च अधिकारियों के सामने जलील कर नीचा दिखाकर वह अपना हित अपनी वाहवाही ही करवाते चले आए हैं जिससे त्रस्त होकर सिविल सर्जन की जिम्मेदारी निभा रहे तत्कालीन डॉक्टर ए के करण ने एक पत्र लिखा था जो डॉक्टर प्रिंस जायसवाल को उनकी हद बताते हुए उन्हे स्वास्थ्य विभाग की प्रशंसा डॉक्टरों की प्रसंशा की समझाइश के लिए लिखी गई थी जिसका उद्देश्य यह था की डॉक्टर प्रिंस जायसवाल जो खुद जिस जिम्मेदारी के लिए नियुक्त हैं उसका निर्वहन करने की बजाए वह स्वास्थ्य व्यवस्था को नीचा दिखाकर जिले के अपनी वाहवाही चाहते हैं जो गलत है। वैसे डॉक्टर प्रिंस जायसवाल आयुर्वेद चिकित्सक हैं,योग्यता अनुसार उन्हे पूरे जिले के स्वास्थ्य व्यवस्था की जिम्मेदारी इसलिए भी नहीं देनी चाहिए क्योंकि वह एक तरफ संविदा कर्मचारी हैं मतलब जुगाड से वह पद पर हैं वहीं उनसे योग्य और विशेषज्ञ चिकित्सक जिले में मौजूद हैं जिन्हे इस तरह की जिम्मेदारी दिए जाने से स्वास्थ्य व्यवस्था सुदृढ़ हो सकती है न की ऐसे किसी को जिसका उद्देश्य ही अपना हित पहला हो।
पत्र में बताया चुगलखोर
पूरे पत्र के तत्कालीन सीएस ने डॉ प्रिंस जायसवाल को कलेक्टर को नकारात्मक बाते बताने का आरोप लगाया, पत्र का लबोलुआब यह है कि तत्कालीन सीएस उन्हें चुगलखोर बता रहे है, तय है कि इनके द्वारा जिले भर के लोगो के खिलाफ इसी तरह से कलेक्टर के कान भरे गए है तभी जिले का हाल बेहाल हो चुका है। जिले भर के अधिकारियों में प्रभारी डीपीएम को लेकर काफी आक्रोश है, सामने कुछ कहते है पर जैसे ही मौका मिलता है अधिकारी यह बताने से पीछे नही हटते की पूरा जिला वो ही चला रहा है।
सिर्फ फोटो खिंचवाने में आगे
तत्कालीन सीएस के पत्र को पढ़ने से यह बात सही साबित हो रही है कि खुद मुँह मिट्ठू बनने में ये सबसे आगे है खुद की बढ़ाई अखबारों में छपवाकर वाहवाही लूटना इनकी आदत है ये हम नही तत्कालीन सीएस का पत्र ये बात साबित कर रहा है।
पत्र पर किसी ने नही लिया संज्ञान
स्वास्थ्य विभाग में क्लास वन अफसर तत्कालीन सीएस डॉ ए के करण के पत्र का कांग्रेस सरकार ने पदस्थ अधिकारियों ने संज्ञान नही लिया वर्तमान कलेक्टर तो पूरे समय इस पत्र के बाद तत्कालीन सीएस के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग की हालत जिले में बद से बदतर होते चली गई। सिर्फ बजट के खर्च पर ही पूरा जोर होकर कर रह गया, और पूरे खर्च के हिसाब को अब तक छुपाया जाता रहा।
डॉक्टर प्रिंस जायसवाल प्रवेश जिला चिकित्सालय जिला कोरिया में पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया था
अतः आपको अंतिम चेतावनी देते हुए निर्देशित किया जाता है कि आप अपने पद की गरिमा में रहते हुए अपने पदानुसार कार्यक्रमों में रूची लगाकर कार्य करें एवं उनमें सुधार करें साथ ही उससे संबंधित सही जानकारी समस्त अधिकारी एवं कर्मचारियों को प्रदान करें। आपका प्रवेश जिला चिकित्सालय जिला कोरिया में पूर्णतः प्रतिबंधित किया जाता है एवं आपके कार्यक्रम से संबंधित किसी भी प्रकार की जानकारी हेतु आप जिला चिकित्सालय के किसी भी अधिकारी एवं कर्मचारी से संपर्क नही करेंगे केवल अधोहस्ताक्षरकर्ता से संपर्क कर अनुमति पश्चात ही जानकारी प्रदान की जावेगी।
पत्र सामने आने के बाद अब सूट बूट वाले डीपीएम की असलियत भी आई समाने,कैसे वह बने हुए हैं चापलूसी से जिले के सरताज समझा जा सकता है
वर्ष 2022 में लिखा गया जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन का पत्र डॉक्टर प्रिंस जायसवाल के लिए उनकी कारस्तानियो के लिए लिखा गया है से समझा जा सकता है की आज डीपीएम जैसे पद पर बने रहने के लिए प्रिंस जायसवाल ने कितने अनुभवी चिकित्सकों को चापलूसी और चुगली कर उनके अनुभव और योग्यता को बेकार बताया खुद को श्रेष्ठ बताया। डॉक्टर प्रिंस ने ऐसा इसलिए संभव कर दिखाया क्योंकि उन्हे राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा पहले मनेंद्रगढ़ विधायक का जो पिछली सरकार में स्वास्थ्य विभाग में ही राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त नेता थे । नेता कांग्रेस का हो भाजपा का हो यह फर्क डॉक्टर प्रिंस के लिए कभी दिक्कत वाला साबित नहीं हुआ क्योंकि उन्हे परिवार और रिश्तेदारी जोड़ने की एक बेहतर कला आती है जिस वजह से वह आज सफल हैं जबकि वह गलतियों में ही मात्र श्रेष्ठ हैं वहीं अनियमितता ही उनके लिए स्वास्थ्य विभाग का मतलब है जिससे जल्द से जल्द वह अधिक पैसा कमा सकें । वैसे कोरोना काल में जीवन रक्षक दवा भी कालाबाजारी का शिकार जिले में हुई थी और फिर भी इन्हे पुरुषकार मिला था जो सोचने वाला विषय है।वैसे अपने पूरे कार्यकाल में अपनी एक उपलçध न साबित करते हुए अन्य की केवल कमियां गिनाकर विशेषज्ञ चिकित्सकों पर राजा करने वाले डॉक्टर प्रिंस जैसवाल की असली हकीकत क्या है उनके सूट बूट का क्या राज है वह यह पत्र साबित करता है।
सिविल सर्जन ए के करण ने जो पत्र लिखा था वह कुछ इस तरह था जिसका अक्षरशः वृतांत यह है
तत्कालीन सिविल सर्जन उपरोक्त विषयांतर्गत लेख है कि प्रायः देखा गया है कि आप के द्वारा राज्य शासन से आई हुई टीम व कलेक्टर या जिला प्रशासन के अधिकारियों के समक्ष जिला चिकित्सालय तथा जिला चिकित्सालय के अधिकारियों व कर्मचारियों के निंदा करते हुए छवि खराब की जा रही है। दिनांक 05/11/2022 को कलेक्टर महोदय द्वारा जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किया गया, उक्त निरीक्षण में आपके द्वारा कलेक्टर महोदय को जिला चिकित्सालय एवं जिला चिकित्सालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के संबंध में गलत जानकारी दी गई, जिससे कलेक्टर महोदय के समक्ष जिला चिकित्सालय एवं जिला चिकित्सालय में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों की छवि खराब हुई है। जिला चिकित्सालय का निरीक्षण किसी भी राज्य व जिले के अधिकारियों द्वारा किया जाता है तो जिला चिकित्सालय के अधिकारियों द्वारा ही निरीक्षण कराया जाना होता है। चूंकि आप जिला चिकित्सालय के कर्मचारी नहीं है तथा आप किसी प्रशासनिक पद पर कार्यरत नही है जिससे आपको जिला चिकित्सालय का निरीक्षण करने व निरीक्षण करने वाले अधिकारियों को जानकारी देने का अधिकार नहीं है। आपके पद अनुसार आपका कार्य जिले के स्वास्थ्य केन्द्रों को सुदृढ़ किये जाने का कार्य है साथ ही मातृत्व शिशु एवं किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम देखा जाना आपका मूल कार्य है, परंतु आपके द्वारा जिले के अन्य समस्त स्स्त्वास्थ्य केन्द्रों में जाकर केवल खानापूर्ति कर केवल फोटो खिंचाया जाता है, वहां के कर्मचारियों को सही जानकारी नहीं दी जाती है केवल अभद्र व्यवहार करते हुए डांटा जाता है। जिसके कारण जिले के समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों में सुधार कार्य नहीं हो रहा है इसी कारण जिला चिकित्सालय में मरीजों की संख्या वर्ष दर वर्ष बढ़ते जा रही है। जिला चिकित्सालय में जिले के अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों से अनावश्यक रिफर किया जाता है। जिसे आपके द्वारा आज दिनांक तक कम नही कराया गया है। दिनांक 05/11/2022 को कलेक्टर महोदय के निरीक्षण के दौरान आपके द्वारा जिला चिकित्सालय के विशेषज्ञ चिकित्सक एवं चिकित्सा अधिकारियों से कलेक्टर महोदय को गलत जानकारी देते हुए अभद्र व्यवहार किया गया जिसके कारण जिला चिकित्सालय के विशेषज्ञ चिकित्सक एवं चिकित्सा अधिकारियों ने खासी नाराजगी व्यक्त की है। जिला चिकित्सालय व कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारियों से संबंधित नकारात्मक रागाचार सोशल मिडिया में वायरल होने की स्थिति में आपके द्वारा नकारात्मक समाचार को बढ़ावा दिया जाता है। चूंकि आप स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी हैं, आपका कर्तव्य होता है कि नकारात्मकता को दूर किया जाए परंतु आपके द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है। समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों में कुछ कमियां रहती हैं उसी प्रकार जिला चिकित्सालय में भी कुछ कमियां आती हैं जिसे समय दर समय दूर किया जाता है। आपके अनुसार जिला चिकित्सालय में अच्छा कार्य नही हो रहा है तो कलेक्टर महोदय के निरीक्षण के दौरान समस्त गरीजों द्वारा कलेक्टर महोदय को जिला चिकित्सालय व अधिकारियों एवं कर्मचारियों से संबंधित सकारात्मक सूचना क्यों दी गई। यदि जिला चिकित्सालय में अच्छा कार्य व ईलाज नही होता तो 100 बिस्तरीय चिकित्सालय में 200-250 मरीजों का ईलाज कैसे संभव होता? आपकों स्वयं जिला चिकित्सालय के कार्यप्रणाली की जानकारी के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता है। जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में भी आपके द्वारा जिला चिकित्सालय तथा जिले के अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को जिला प्रशासन के समक्ष निचा दिखाया जाता है। जिस संबंध में समस्त खण्ड चिकित्सा अधिकारियों के द्वारा भी नाराजगी व्यक्त की गई है। आपको निर्देशित किया जाता है कि जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में जिला चिकित्सालय से संबंधित जानकारी आपके द्वारा नही दिया जाना है केवल जिला चिकित्सालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा दी जावेगी। यह भी जानकारी प्राप्त हुई है कि आपके द्वारा स्वास्थ्य केन्द्रों से जानकारी लेने के लिए डाटा एण्ट्री आपरेटरों से अभद्र व्यवहार किया जाता है। जिसमें गलती आपकी ही रहती है जिसमें आप के द्वारा पूर्व से सूचना नहीं दी जाती है ना ही उस संबंध में कोई जानकारी दी जाती है। यह आपकी जिम्मेदारी है कि जिले के समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों में कायाकल्प व राष्ट्रीय गुणवाा आश्वासन मानक कार्यक्रम की तैयारी कराया जाना आपका कार्य है। परंतु आपके द्वारा नही कराया जाता है। जिससे कायाकल्प व राष्ट्रीय गुणवाा आश्वासन मानक कार्यक्रम में जिले की स्थिति में सुधार नही हो रहा है। आपके पदानुसार समस्त कार्यक्रमों की जानकारी आपको नही रहती है, डिस्ट्रीक्ट डाटा मैनेजर के द्वारा आपके कार्यक्रमों की जानकारी दी जाती है। आपका पद जिला आरएमएनसीएचए सलाहकार का है जो एन.एच.एन. अंतर्गत (संविदा) आता है। परंतु आपके द्वारा स्वयं की गलती को छिपाने के लिए अपनी छवि को श्रेष्ठ बनाये जाने के लिए अन्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों की बुराई करते हुए उन्हें नीचा दिखाया जाता है। चूंकि आपका पद प्रशासनिक पद नही है आपको किसी भी स्वास्थ्य केन्द्र में निरीक्षण करने का अधिकार नहीं है आपको स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर वहाँ की कमियों को दूर किये जाने तथा अधिकारियों एवं कर्मचारियों का उचित प्रशिक्षण देने का कार्य साथ ही सुधार कार्य में सहयोग करना है। परंतु आपके द्वारा स्वास्थ्य केन्द्रों में छापा मारने का कार्य किया जाता है जिसके लिए आप अधिकृत नहीं है। आपके द्वारा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों से ऐसा व्यवहार किया जाता है कि आप किसी अन्य प्रशासनिक विभाग के अधिकारी है आपके व्यवहार के अनुसार स्वास्थ्य विभाग आपका विभाग नहीं है। आपको निर्देशित किया जाता है कि आपके द्वारा कलेक्टर महोदय को जिला चिकित्सालय में भ्रमण के दौरान दी गई गलत जानकारियों को जिले के अन्य समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों में लागू करवाकर अधोहस्ताक्षरकर्ता को सूचित करना सुनिश्चित करें।


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