- कोरिया जिले में स्वास्थ्य विभाग में बड़े हों या छोटे सभी स्तर के अधिकारी कर्मचारियों की स्थिति अब आने लगी सामने
- मरीजों सहित ग्रामीणों की डॉक्टर की अनुपस्थिति को लेकर एक भी शिकायत क्यों नहीं आई सामने?
- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पटना अंतर्गत आने वाले टेंगनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का मामला
- डॉक्टर से ग्रामीणों सहित मरीजों को नहीं है कोई शिकायत, शिकायत केवल विभाग के कर्मचारी को, आखिर क्यो?
- स्वास्थ्य विभाग में आखिर हो क्या रहा है…क्या स्वास्थ्य विभाग में मनचाही जगह पाने की लड़ी जा रही है डॉक्टरों के बीच लड़ाई?
- क्या स्वास्थ्य विभाग में किसी शिकायत की जांच में कौन हो अधिकारी यह भी शिकायतकर्ता तय करेगा वह भी तब जब वह विभाग का कर्मचारी है?
- जांच अधिकारी कौन हो यह क्यों तय करना चाहता है विभाग की ही कर्मचारी जो है शिकायतकर्ता भी?
- क्या बीएमओ विभाग के कर्मचारी के कंधे का इस्तेमाल कर रहे…कही एक डॉक्टर तो नहीं करवा रहा कर्मचारी से दूसरे डॉक्टर की शिकायत?
-रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर, 03 मार्च 2024(घटती-घटना)। कोरिया जिले में स्वास्थ्य विभाग का हाल बेहाल ही नजर आ रहा है,सबसे बुरी स्थिति में मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय है जो निर्णय ले पाने में ही अक्षम नजर आ रहा है जबकि वह जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर जो चाहे निर्णय ले सकता है। बात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पटना से जुड़ा हुआ है जहां पदस्थ डॉक्टर की शिकायत वहीं पदस्थ उन्ही के अधीनस्थ कर्मचारी ने की है जो उनकी कई मामले में जांच चाहता है। अब इस मामले में कर्मचारी ने शिकायत पत्र संभागीय संचालक को लिखा था जिसके बाद मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश प्राप्त हुआ था और उन्होंने एक जांच टीम गठित कर दी थी जिसमे एक डॉक्टर और एक लिपिक सहायक के रूप में जांच के लिए भेजे गए थे। बताया जाता है की स्वास्थ्य विभाग में नियम अनुसार किसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की यदि कई बिंदुओं की शिकायत है और उसकी जांच यदि की जानी है तो उस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी से भी जानकारी ली जायेगी क्योंकि उनके ही अधीनस्थ वह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टेंगनी के मामले में जांच के दायरे में खंड चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के प्रभारी की शामिल थे और जांच अधिकारी जिन्हे पहले जांच के लिए नियुक्त किया गया था वह भी खंड चिकित्सा अधिकारी ही थे जिन्हे बदल दिया गया क्योंकि सूत्रों की माने तो मामले में यह विषय समाने आया की पटना के खंड चिकित्सा अधिकारी प्रथम श्रेणी अधिकारी हैं और जिन्हे जांच का जिम्मा मिला था वह द्वितीय श्रेणी ऐसे में प्रथम श्रेणी किसी अधिकारी की जांच द्वितीय श्रेणी अधिकारी करे यह गलत थी इसलिए जांच अधिकारी को बदल दिया गया।
यह है पूरा मामला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टेंगनी का
संभागीय संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाऐं सरगुजा संभाग अंबिकापुर को रामा शंकर साहू के द्वारा शिकायत पत्र जांच करने हेतु प्रस्तुत किया गया था जिसमे उक्त अधिकारी के द्वारा दिनांक 12/02/2024 को ही सीएमएचओ कोरिया को आदेशित किया गया था की डॉक्टर अविनाश कुमार सिंह पीएचसी टेंगनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पटना का भ्रष्टाचार संबंधी जांच अतिशीघ्र करा कर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था उक्त आदेश के तारतम्य में सीएमएचओ के द्वारा दिनांक 15/02/2024 को जांच दल गठित कर भेजा गया था जांच में प्रथम दृष्टतीय अनिमिाा पाई गई थी ।फिर अचानक ऐसी क्या वजह रही की जांच करने उपरांत जांच दल ही बदलनी पड़ी ।अपने द्वारा चयनित जांच दल पर ही भरोसा नहीं रहा सीएमएचओ को तो उनके द्वारा पुनः नई जांच दल गठित कर दी गई जिस पर अब शिकायतकर्ता को यकीन नही की सही जांच होगी।सीएमएचओ कोरिया के द्वारा तद उपरांत दिनांक 19/02/2024 को जांच दल को ही बदल दिया गया। मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी जिला कोरिया के द्वारा जांच दल बदलने को लेकर शिकायत कर्ता असंतुष्ट है शिकायत इस संबंध में संभागीय संयुक्त संचालक अंबिकापुर, कलेक्टर कोरिया,मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कोरिया को शिकायतपत्र दिनांक 21/02/2024 के माध्यम से जांच दल बदलने संबंधी मामले में अवगत कराया गया है । शिकायतकर्ता के द्वारा पत्र में पांच सदस्य टीम की मांग की गई है जिससे जांच निष्पक्ष हो सके।
जांच की आंच खंड चिकित्सा अधिकारी पटना भी संदेह के दायरे में
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टेंगनी जो की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पटना के अंतर्गत आता है यदि उनके अधीनस्थ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में भ्रष्टाचार हुआ है तो कहीं ना कही खंड चिकित्सा अधिकारी भी जिम्मेदार हो सकते है। अब देखने वाली बात यह होगी कि जांच सही हो पाती है या नहीं या फिर बाकी की तरह इस पर भी पर्दा डालने का प्रयास किया जाएगा।
क्या चिकित्सक जो खंड चिकित्सा अधिकारी वही जांच करेगे तभी जांच सही होगी?
जब तक शिकायत के आधार पर बदले गए चिकित्सक जो खंड चिकित्सा अधिकारी भी हैं जांच अधिकारी थे तब तक जांच सही होगी यह शिकायतकर्ता को भी विश्वास था लेकिन जांच नियमों के तहत जैसे ही जांच अधिकारी बदले गए शिकायतकर्ता को परेशानी आ गई विभाग सहित उच्च अधिकारियों पर से उसका विश्वास हट गया और उसने जांच अधिकारी फिर से बदलने की मांग कर दी वहीं अब उसने पांच सदस्यीय जांच दल की मांग कर दी जबकि जब एक खंड चिकित्सा अधिकारी ही जांच अधिकारी थे अकेले जांच अधिकारी थे उसे कोई परेशानी नहीं थी,वैसे यहां यह भी बताना जरूरी है की पहले जांच दल में नियुक्त किए गए जांच अधिकारी जो खंड चिकित्सा अधिकारी भी हैं पटना के खंड चिकित्सा अधिकारी रह चुके हैं और अब उन्हे फिर पटना ही खंड चिकित्सा अधिकारी बनकर आना है क्योंकि अभी वह जहां हैं वहां उनका विरोध है यह महत्वपूर्ण बात है। अब मामले में सवाल यह उठता है की क्या पूरा मामला एक खेल है पद पाने का कुर्सी पाने का पटना आने का जिसके कारण स्वास्थ्य विभाग का ही एक कर्मचारी डॉक्टर की मदद कर रहा और अन्य डॉक्टरों को बदनाम कर डराकर भगाना चाहता है पटना अस्पताल से। वैसे पूरे मामले में एक बात और सोचने वाली है और वह यह की शिकायतकर्ता खुद स्वास्थ्य विभाग में ही कार्यरत है और टेंगनी उप स्वास्थ्य केंद्र में ही वह पदस्थ है साथ ही वहीं के प्रभारी की वह शिकायत कर रहा है,यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है की वह खुद शिकायतकर्ता बनकर शिकायत कर रहा है जबकि न तो डॉक्टर के खिलाफ ग्रामीणों की शिकायत है और न मरीजों की। शिकायत एकमात्र स्वास्थ्य विभाग के ही कर्मचारी को है जो लगातार शिकायत कर रहा है जांच भी अपने अनुसार ही चाहता है जांच अधिकारी भी अपनी मांग अनुरूप ही वह चाहता है। कुल मिलाकर वह एक ही चिन्हित डॉक्टर से जांच के पक्ष में है अन्य किसी डॉक्टर की जांच पर अधिकारी की जांच पर उसे विश्वास नही वह साफ साफ जाहिर कर रहा है।
क्या मामला अनियमितता से कहीं ज्यादा द्वेष से जुड़ा तो नहीं?
स्पष्ट है मामला जांच से और अनियमितता से कहीं ज्यादा द्वेष से जुड़ा हुआ है और कहीं न कहीं मामला इस बात से भी जुड़ा हुआ है की कोई है जो खंड चिकित्सा अधिकारी पटना बनने के लिए उसका इस्तेमाल कर रहा है। वैसे पूरे मामले में एक विषय और सामने आया है और वह यह की पहली बार जो जांच दल गठित की गई उसकी जांच पूरी भी नहीं हुई और जांच दल इसलिए बदल दिया गया क्योंकि जांच अधिकारी और जिसकी जांच होनी थी उसमे जांच अधिकारी कनिष्ठ था वहीं जांच अधिकारी बनकर जो अधिकारी चिकित्सक पहुंचा था उसने प्रथम दृष्टया दोष भी साबित होता है यह शिकायतकर्ता को ही बता दिया ऐसा शिकायतकर्ता का ही कहना है जबकि जांच पूरी भी नहीं हुई न ही रिपोर्ट ही सबमिट हुई। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है की जांच अधिकारी बनकर पहली बार पहुंचे चिकित्सा अधिकारी का किस तरह का द्वेष खंड चिकित्सा अधिकारी पटना से था की उसने यह साबित कर दिया जांच पूरा किए बगैर की दोष है शिकायत सही है। वैसे इन तथ्यों से यह तो साबित हो गया की जांच अधिकारी बनकर पहुंचे एक खंड चिकित्सा अधिकारी के लिए एक मौका था यह जांच जिसके बाद वह खंड चिकित्सा अधिकारी पटना बन सकते थे जिसमे वह चूक गए।
क्या बीएमओ शिकायतकर्ता को आगे कर अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे?
वहीं अब वह पूरे मामले में अब फिर शिकायतकर्ता को आगे करके जांच खुद करना चाहते हैं और दोष साबित करना ही उनकी मंशा है। टेंगनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉक्टर अनुबंध अवधि में हैं वहीं यदि उनकी किसी शिकायत की जांच होगी तो दायरा खंड चिकित्सा अधिकारी पटना तक विस्तृत होगा यह शिकायत करने वाले और करवाने वाले को ज्ञात है इसलिए ही शिकायत हुई है यह माना जा रहा है जिससे जांच के दायरे में खंड चिकित्सा अधिकारी आ सकें और फिर उन्हे किसी तरह उलझाकर हटाया जा सके। वैसे जिस अन्य खंड चिकित्सा अधिकारी जिन्हे पहली बार जांच अधिकारी बनाया गया था फिर हटाया गया था वह पटना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं और फिलहाल वर्तमान में पदस्थ खंड चिकित्सा अधिकारी पटना अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा जिसमे आंखों का बेहतर इलाज और जांच सहित ऑपरेशन शामिल है मरीजों को उपलध करा रहे हैं जिससे उनका क्षेत्र में विरोध नहीं नजर आ रहा है इसलिए ऐसे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।
शिकायतकर्ता को किया जा रहा इस्तेमाल,पूरी शिकायत के बाद समझा जा सकता है
पूरे मामले में समझा जा सकता है की शिकायतकर्ता का इस्तेमाल किया जा रहा है। मामले में शिकायत के कई बिंदु हैं,शिकायत में एक तीर कई निशाने वाली बात भी देखने को मिल रही है। जिस डॉक्टर की शिकायत की जा रही है उसका समुदाय या मरीजों के द्वारा कोई विरोध कभी दर्ज नही होता देखा गया वहीं अनुपस्थिति की बात भी किसी और ने नहीं खुद एक स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी ने की है जो खुद वहां ही पदस्थ हैं उसी डॉक्टर के अधीनस्थ है। अब इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है की शिकायत न तो लोकहित से सरोकार रखती है न ही उससे लोगों का ही कोई वास्ता है,खुद शिकायतकर्ता का ही कोई हित मामले में नहीं नजर आता। मामले में पूरा विषय एक जगह आकर केंद्रित हो जाता है और वह यह की जांच अधिकारी एक खंड चिकित्सा अधिकारी ही नियुक्त किया जाए जो कोरिया जिले में दो हैं और एक की इसी मामले में जांच होगी इसलिए दूसरा खंड चिकित्सा अधिकारी ही जांच अधिकारी हो यह साफ मंशा समझी जा सकती है शिकायतकर्ता की साथ ही उसकी जो शिकायतकर्ता का अपने लिए उपयोग कर रहा है।
समुदाय ग्रामीण साथ ही मरीज डॉक्टर के लिए एक भी शिकायत लेकर कभी नहीं आए सामने
टेंगनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पटना के खंड चिकित्सा अधिकारी की कभी कोई शिकायत लेकर न तो समुदाय कोई समाने आया न ही ग्रामीण न ही मरीज। इस मामले में और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर तरीके से प्रदान करने के मामले में पटना खंड चिकित्सालय फिलहाल पहले से बेहतर काम कर रहा है यह कहा जा सकता है। अब ऐसे में एक विभागीय कर्मचारी की शिकायत पर जांच होनी है और जांच दल का भी कर्मचारी विरोध ही कर रहा है यह विचारणीय है। वैसे वह एक खास डॉक्टर से ही जांच करवाने प्रयासरत है जो या जिनके अधीनस्थ वह खुद कार्य कर चुका है और वह खंड चिकित्सा अधिकारी बनकर पटना आना भी चाहते हैं।
जांच अधिकारी शिकायतकर्ता की मंशानुरूप हो यह है शिकायतकर्ता की जिद,जबकि वह खुद है विभाग का ही कर्मचारी
शिकायतकर्ता जो खुद विभाग का कर्मचारी है वह यह भी पत्र लिखकर मांग कर रहा है की जांच अधिकारी कौन हो और कौन कौन उसमे शामिल हों,वह अपने अनुसार ही जांच दल चाहता है। वैसे मामला विभाग के अंदर का है और कार्यवाही सहित जांच का जिम्मा उच्च अधिकारी के ऊपर है जो जिसे चाहे जांच अधिकारी नियुक्त करे फिर भी कर्मचारी होकर शिकायतकर्ता लगातार यह दबाव अधिकारियों पर बना रहा है की जांच दल में कौन शामिल होगा यह उसके सुझाव पर ही तय किया जाए। अपने उच्च अधिकारियों पर इसे कतई विश्वास नहीं इसलिए अब वह मिडिया के सहारे भी दबाव बना रहा है जिससे अधिकारी दबाव में आकर खंड चिकित्सा अधिकारी जिन्हे कनिष्ठ होने के कारण जांच दल से हटाया गया है उन्हे ही जांच का जिम्मा प्रदान कर दें।
क्या स्वास्थ्य विभाग में किसी कर्मचारी की शिकायत पर जांच दल में उसी कर्मचारी के द्वारा चाहे गए जांच अधिकारी को नियुक्त करना परंपरा है,जब शिकायत भी कर्मचारी ने ही की हो
वैसे सवाल यह भी है की क्या स्वास्थ्य विभाग में किसी कर्मचारी की शिकायत पर जबकि शिकायत भी विभाग के ही कर्मचारी अधिकारी की हो जांच दल में कौन शामिल होगा इसका निर्णय भी शिकायत करने वाला कर्मचारी लेगा या दबाव बनाकर वह ऐसा करवा पाएगा। वैसे यदि ऐसा है तो फिर विभाग की कार्यप्रणाली समझी जा सकती है। ऐसे में जिले का स्वास्थ्य विभाग किस तरह लोगों की बेहतरी के लिए काम कर सकेगा यह भी समझा जा सकता है जबकि वह या जिम्मेदार खुद यह निर्णय नहीं कर पा रहे हैं की जांच अधिकारी कौन होगा।
शिकायत केवल खंड चिकित्सा अधिकारी पटना बनने के लिए मात्र
पूरे मामले में जो शिकायत समाने आई है उसका कोई उद्देश्य यदि है तो वह यह है की किसी को खंड चिकित्सा अधिकारी बनना है और वह एड़ी चोटी का जोर लगाकर एक विभाग के ही कर्मचारी को आगे करके अब अपना हित साधना चाहता है। कुल मिलाकर लड़ाई कुर्सी की है जिसमे और भी आगे नए नए मामले सामने आयेंगे जो तय माने जा रहे हैं।