बलरामपुर/राजपुर,@सीजीएमएससी द्वारा निर्मित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बरियों के निर्माण में गुणवाा का नहीं रखा गया ध्यान,हुई शिकायत

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बलरामपुर/राजपुर, 02 मार्च 2024 (घटती-घटना)। बलरामपुर जिले के राजपुर विकासखण्ड अंतर्गत आने वाले ग्राम बरियों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन निर्माण में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है ऐसा आरोप एक शिकायतकर्ता ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बलरामपुर को शिकायत पत्र लिखकर बताया है।
भवन का निर्माण छाीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के द्वारा कराया गया है और भवन निर्माण का कार्य भी उसी विभाग के ठेकेदार ने किया है।
शिकायतकर्ता के अनुसार भवन का निर्माण करते समय रेत की जगह स्टोन डस्ट का प्रयोग हर जगह किया गया है,बात जुड़ाई,प्लास्टर,फर्स निर्माण सहित यदि टाइल्स लगाने की भी हो हर जगह रेत की जगह स्टोन डस्ट का ही प्रयोग ठेकेदार ने किया है जिससे भवन की गुणवाा ही आरंभ से ही खराब है।
शिकायतकर्ता के अनुसार भवन के सामने की बाउंड्रीवॉल भी नई बनाई जानी थी लेकिन उसकी जगह पुराने बाउंड्रीवॉल को ही रंग रोगन कर फिर से सुंदर बनाने का प्रयास किया गया है और बाउंड्रीवॉल बनाए बिना भी पैसा आहरित कर लिया गया है।
बात यदि की जाए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए जल प्रदाय करने हेतु बोरवेल उत्खनन की तो उसमे भी भ्रष्टाचार की शिकायत शिकायतकर्ता ने की है और उसने यह आरोप लगाया है की बोरवेल का खनन कम किया गया है और बिल ज्यादा का लगाया गया है।
भवन में जहां जहां मजबूती के लिए स्टील का प्रयोग किया जाना था वहां वहां स्टील भी नहीं लगाया गया है,बिजली फिटिंग के दौरान भी सामान गुणवाा विहीन प्रयोग किया गया है।
शिकायतकर्ता का आरोप है की शिकायत के बाद भी न तो अब तक ठेकेदार पर कार्यवाही हुई है न ही जिम्मेदार अधिकारी पर जबकि निर्माण कार्य इंजिनियर की देखरेख बिना संभव ही नहीं हो सकता था।
वैसे मामले में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी ने भी मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी बलरामपुर को पत्र लिखा है जिसमे उन्होंने 10 बिंदुओं के आधार पर यह अवगत कराया है की किस तरह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बरियों की हालत भवन और अन्य मामलों में बुरी है जिसके कारण दिक्कतें सामने आ रही हैं।
फर्श,छत,दीवार,नल,बिजली,मोटर पंप सहित हर विषय पर 10 बिंदुओं में जानकारी उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को देते हुए यह भी अवगत कराया है की उन्होंने सीजीएमएससी के इंजिनियर और ठेकेदार को अवगत कराया गया मामले में उन्होंने कोई न तो जवाब दिया और न ही भवन की हालत ही देखने आए।
वैसे पूरे मामले में यह ध्यान देने वाली बात है की यह कोई इकलौता मामला नहीं है,शासकीय भवनों का निर्माण खासकर अस्पताल और विद्यालय भवनों का जिस तरह गुणवाा विहीन तरीके से हो रहा है उसे देखते हुए कहा जा सकता है की कोई भी मामले में इसलिए हस्तक्षेप नहीं करेगा क्योंकि मामला हाई लेवल भ्रष्टाचार से जुड़ा रहता है।
शासकीय भवनों का निर्माण और निर्माण के बाद उनका भविष्य अब 4 से 5 वर्ष ही रह गया है क्योंकि छत से जल रिसाव, सिपेज,सहित फर्श का टूटना छज्जा गिरना यह आम विषय हो गया है।
निर्माण कार्य में बड़े अधिकारियों और विभागीय अधिकारियों का भी हिस्सा तय रहता है इसलिए वह भी मामले में मौन हो जाते हैं जब शिकायत सामने आती है।
आज स्वास्थ्य विभाग की यदि बात की जाए तो सेवा दे रहे चिकित्सकों को छोड़ भी दें तो विभाग के लिपिक तक धन्ना सेठ बन बैठे हैं जिनकी शानो शौकत देखकर उनके आय के हिसाब से उनके रहन सहन के स्तर का अंदाजा लगाया जा सकता है की आखिर उन्हे वेतन से इतना क्या मिल जा रहा है जो वह ऐसी शानो शौकत दिखा पा रहे हैं।


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