राज्य सरकार ने जिला सलाहकार (आरएमएनसीएच प्लस ए) के पद को विलोपित कर कैसे बना दिया डीपीएम ?
–रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर, 01 मार्च 2024 (घटती-घटना)। लोकसभा चुनाव को देखते हुए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने अपने भतीजे डॉ प्रिंस जायसवाल को पुरूस्कृत करते हुए सुरजपुर जिले के स्वास्थ्य विभाग का डीपीएम बना दिया, जबकि उसका मूल पद जिला सलाहकार (आरएमएनसीएच प्लस ए) है, अक्टूबर 2022 में कोरिया कलेक्टर ने भी नियमों को दरकिनार करते हुए कोरिया का प्रभारी डीपीएम बनाया था, जबकि राज्य सरकार ने कोरिया के डीपीएम पद पर राकेश वर्मा की नियुक्ति की थी और इसके पूर्व जिला सलाहकार (आरएमएनसीएच प्लस ए) के पद को डीपीएम के रूप में पदोन्नत भी हीं किया था। राज्य सरकार के आदेश से साफ प्रतीत हो रहा है कि मिशन डायरेक्टर को भी गुमराह कर आदेश जारी करवाया गया है।
कोरिया में भ्रष्टाचार को लेकर स्वास्थ्य विभाग कई महिनों से सुर्खियों में है। कांग्रेस के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की जांच करना तो दूर भाजपा के स्वास्थ्य मंत्री ने अपने भतीजे को सुरजपुर जिले को डीपीएम बनाकर पुरूस्कृत कर दिया है। कांग्रेस का कार्यकाल भ्रष्टाचार के लिए जाना जाता रहा है, कोरिया जिले में कई वर्षो से एक ही स्थान पर जमे संविदा डॉ प्रिंस जायसवाल जिला सलाहकार (आरएमएनसीएच प्लस ए) के पद पर पदस्थ है, कांग्रेस के कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्रालय में उसकी ऐसी पैठ थी कि उसे नव निर्मित जिला एमसीबी का डीपीएम बना दिया गया, जिसके बाद वहां तमाम विरोध शुरू हो गया, इधर, तत्कालिन कलेक्टर कुलदीप शर्मा के स्थानांतरण के बाद नवपदस्थ कलेक्टर विनय कुमार लंगेह का पदार्पण हुआ। आते ही एनएचएम के बजट का सब्जबाग दिखाकर नोटशीट में एमसीबी के साथ साथ कोरिया का भी प्रभारी डीपीएम बना दिया गया। कार्यशैली से एमसीबी और कोरिया के नेता काफी नाराज थे, जिसके बाद 16 मई 23 को राज्य सरकार ने प्रभारी डीपीएम को दोनों जिलो से हटाकर दोनों स्थान पर नई नियुक्ति कर डाली। कोरिया में पदस्थ हुए डीपीएम को प्रभारी सीएमएचओ डॉ आरएस सेंगर ने ज्वाइन नहीं करने दिया। कांग्रेस की सरकार बदलने के बाद जब वो ज्वाइन करने आए तो प्रभारी सीएमएचओ ने उन्हें यह कह कर चलता कर दिया कि आपके मामले मे मार्गदर्षन लिया जाना है। बीते अक्टूबर 2022 से अब तक एनएचएम सहित रेगुलर मद में जमकर खरीदियों में जमकर वित्तीय अनियमितताएं बरती गई, परन्तु इसकी जानकारी किसी भी सूचना के अधिकार से नहीं दी गयी।
पूर्ववर्ती सरकार के आदेश का तो पालन नहीं हुआ तो अब वर्तमान सरकार के आदेश का पालन कर पाएंगे प्रभारी डीपीएम?
कांग्रेस सरकार के समय में प्रभारी डीपीएम डॉक्टर प्रिंस जायसवाल को उनके मूल पद पर वापस कर दिया गया था उसके बाद बैकुंठपुर के लिए राकेश वर्मा को प्रभारी डीपीएम बनाया गया था पर ना ही डॉक्टर प्रिंस जायसवाल ने प्रभार छोड़ा और ना ही राकेश शर्मा प्रभार ले पाए और दूसरा आदेश आ गया अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि पहले आदेश का तो पालन हुआ नहीं अब दूसरे आदेश का भी क्या पालन हो पाएगा?
वेन्यू कार किराए पर
प्रायः अर्टिगा कार इनोवा कार को आपने किराए पर दिया जाना सुना होगा, पर सीएमएचओ के लिए कार मालिक ने नई वेन्यू कार वो भी मध्यप्रदेश के अनुपपुर से खरीद कर दी है। मप्र की पासिंग कार में जो टैक्स है वो मप्र सरकार को दिया गया है और वो छत्तीसगढ़ में दौड़ रही है ऐसे में मप्र की कार को छाीसगढ़ में सरकारी कार्यालय में चलने की अनुमति किसने दे दी है यह भी बड़ा सवाल है। क्या छत्तीसगढ़ राज्य के आर टी ओ में पंजीकृत गाड़ी स्वास्थ्य विभाग कोरिया किराए पर नहीं खोज पा रही है।
जिला सलाहकार (आरएमएनसीएच प्लस ए) को कलेक्टर ने बनाया था डीपीएम
राज्य सरकार के आदेश में कोरिया के जिला सलाहकार (आरएमएनसीएच प्लस ए) के पद पर पदस्थ डॉ प्रिेस जायसवाल को प्रभारी डीपीएम बताया गया है,जबकि राज्य सरकार ने उसे पदोन्न्त नहीं किया है ना ही आदेशित किया गया है। प्रभारी डीपीएम को कलेक्टर कोरिया ने नोटशीट पर प्रभारी बनाया था। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि प्रभारी डीपीएम के मूल पद को आखिर विलोपित कैसे कर दिया गया। जबकि इनके मूल पद को कोरिया ही रखा गया है, सूत्र बताते है कि बड़ी ही चालाकी से आदेश करवाया गया है, ताकि कोरिया में भी बने रहे और सुरजपुर जिले के बड़े बजट में खेला किया जा सके।
अधिग्रहित वाहन में खुद ड्राइव कर रहे है सीएमएचओ
प्रभारी सीएमएचओ डॉ आर एस सेंगर नई नवेली वेन्यू कार में घूम रहे है सरकारी वाहनो को उन्होंने आते ही कंडम बता दिया था, मप्र पासिंग इस वेन्यू कार को वो खुद ड्राइव कर रहे है, ऐसे ही प्रभारी डीपीएम भी लंबे समय से खुद ही किराए की कार ड्राइव कर रहे है, दोनो बिना ड्राइवर खुद कार ड्राइवर इसलिए कर रहे है ताकि उनकी गुप्त बाते ड्राइवर तक नही पहुंच सकें। कार्यालय की बात करें तो दोनो कमरा बन्द करके मंत्रणा करते है ताकि ऑफिस का कोई भी कर्मचारी उनकी बात नही सुन सके। आखिर ऐसी कौन सी गुप्त बाते दोनो के बीच हो रही है ये बड़ा सवाल है। जबकि ड्राइवर के नाम पर किराए की गाड़ी में सरकारी ख़र्च तो व्यय हो ही रहा है।
क्या आदेशों की अवहेलना करना डॉक्टर प्रिंस जयसवाल की आदत है?
वैसे पूरे मामले पर गौर किया जाए तो डॉक्टर प्रिंस जायसवाल शासकीय आदेशों की अवहेलना करना ही जानते हैं और वह ऐसा करते रहते हैं ऐसा कहा जा सकता है। डॉक्टर प्रिंस जायसवाल अपने मन मुताबिक स्वास्थ्य विभाग में काम करना चाहते हैं भले बात कांग्रेस शासनकाल की हो या वर्तमान सरकार के कार्यकाल की। अब तो वह खुलेआम स्वास्थ्य मंत्री को अपना चाचा बता रहे हैं ऐसे में उनके ऊपर उनकी दोषपूर्ण कार्यप्रणाली पर अंकुश भी कौन लगाएगा यह बड़ा सवाल है। वह पूर्व की ही भांति शासकीय आदेशों की अवहेलना करते रहेंगे और उन्हे रोकने टोकने वाला कोई नहीं होगा यह कहना गलत नहीं होगा।