बैकुण्ठपुर@क्या कोरिया के नए एसपी अपने कार्यालय के स्टेनो को देंगे रवानगी?

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-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 25 फरवरी 2024 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के पुलिस अधीक्षक कार्यालय के स्टेनो को अब नए पुलिस अधीक्षक स्थानांतरित जगह के लिए रवानगी देंगे ऐसी उम्मीद उनसे लगाई जा रही है। पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पदस्थ स्टेनो जिनका गृह जिला भी कोरिया ही है वहीं वह जिला मुख्यालय के ही निवासी हैं का वर्ष 2020 में पुलिस मुख्यालय रायपुर के आदेश अनुसार तबादला किया गया था। उनका तबादला 14 वीं बटालियन छसबल धनौरा बलौद के लिए हुआ था और तब से लेकर आज चार सालों बाद तक उन्हे रवानगी जिले से नही मिल सकी और वह लगातार गृह जिले में ही जमे हुए हैं। इस बीच चार सालों में कई पुलिस अधीक्षक जिले में पदस्थ हुए लेकिन किसी ने स्टेनो को नवीन पदस्थापना स्थल के लिए रवानगी नहीं दी जबकि माना जाता है की पुलिस विभाग अपने अनुशासन के लिए ही एक ऐसा विभाग है जहां किसी विभागीय आदेश को कोई चुनौती नहीं दे सकता न ही उसमे कोई अडंगा लगा सकता है।
गृह जिले वहीं जिला मुख्यालय में ही निवासरत होने निवासी होने के कारण स्टेनो पुलिस अधीक्षक कार्यालय का अपना ही एक रुतबा है जहां वह हर राजनीतिक दल से तत्काल संपर्क बना लेते हैं साथ ही उसी के बल पर पुलिस अधीक्षकों पर राजनीतिक दबाव बनवाकर वह अपनी रवानगी रुकवा ही लेते हैं। चार सालों में पिछले किसी पुलिस अधीक्षक ने उन्हे रवानगी प्रदान कर पाने की हिम्मत इसलिए नहीं दिखाई क्योंकि सभी को उन्होंने राजनीतिक पकड़ स्थानीय होने के नाते स्थानीय पकड़ का एहसाह करा दिया और कोई भी उन्हे रवानगी देने में रुचि नहीं दिखा सका वहीं एक तरह से उनसे भयभीत ही रहा, अब नए पुलिस अधीक्षक उन्हे रवानगी दिला पाते हैं या उनके ऊपर भी वह अपनी स्थानीय होने की धमक साथ ही स्थानीय राजनीतिक पकड़ का असर जमा ले जाते हैं देखने वाली बात होगी। वैसे नए पुलिस अधीक्षक को लेकर जैसी जानकारी प्राप्त हुई है वह पुलिस विभाग के नियमों को लेकर काफी जानकर भी हैं वहीं वह उसे पालन करने में भी तत्पर रहते हैं। अब स्टेनो चार साल बाद जिले से स्थानांतरित जिले के लिए रवाना हो सकते हैं ऐसी उम्मीद बढ़ गई है।
सरगुजा पुलिस महानिरीक्षक के आदेश का पालन न करना पड़ा है महंगा
स्थानांतरण आदेश का पालन न करने को लेकर हाल ही में पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा ने तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित किया है और जिसके बाद यह लगने लगा है की नई सरकार में गृह मंत्री के कड़े रुख के कारण अब पुलिस विभाग में ऐसे पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही होती रहेगी जो स्थानांतरण आदेश का पालन नहीं करेंगे। इसी कारण इस बात की भी संभावना बढ़ गई है की जल्द ही कोरिया के स्टेनो को रवानगी दे दी जाएगी।
नए पुलिस अधीक्षक स्टेनो को दिलाएंगे रवानगी,बढ़ गई उम्मीद
जिले के नए पुलिस अधीक्षक कोरिया अब जिले के अपने कार्यालय के स्टेनो को रवानगी दिलाएंगे ऐसी उम्मीद बढ़ गई है। नए पुलिस अधीक्षक ने आते ही यह जता दिया है की वह जिले की पुलिसिंग में कसावट लाने कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे,अब उनकी पुलिसिंग के बारे में सुनकर देखकर लगता है वह ऐसे भी उदाहरण पेश करेंगे जिससे पुलिस विभाग में अपनी पकड़ बनाकर कर्मी एक ही जगह वर्षों से जमे हुए हैं। कुल मिलाकर नए पुलिस अधीक्षक जल्द ही स्टेनो को रवानगी देंगे इसकी उम्मीद काफी बढ़ गई है।
दो वर्ष पूर्व जारी तबादला सूची की रवानगी को लेकर कुछ तथ्य
सूत्रों की माने तो ट्रांसफर लिस्ट में से सिर्फ एक को कार्यमुक्त एवं रवानगी नहीं दी गई है, बाकी सभी 56 को रवानगी दे दी गई थी, जब भी विकास नामदेव को रवानगी के संबंध में कोई भी आवेदन किसी के भी द्वारा प्रस्तुत किया जाता है तो यह लिखकर नस्तीबद्ध कर दिया जाता है कि जिला कोरिया में बल की कमी होने के कारण विकास नामदेव को कार्यमुक्त नहीं किया गया है प्रश्न यह है कि अगर बल की कमी थी तो एमसीबी जिले के गठन के समय दो बाबुओं का ट्रांसफर जिला एमसीबी क्यों किया गया? जबकि वहां एक ही बाबु की जरूरत उस दौरान थी, तबादले का नियम क्या सिर्फ निचले स्तर के पुलिसकर्मियों पर ही लागु होता है? क्या यह आफिस वर्क वाले बाबु विकास नामदेव के ऊपर तबादले का नियम लागु क्यों नहीं है? अविभाजित कोरिया जिले में लिपिक श्रेणी के बाबु जो पदस्थ थे उसमे विकास नामदेव, एस आर महेश, राजीव गुप्ता, फ्रांसिस जेवियर, कोमल देव सोनवानी, रंजीता एक्का, प्रशांत गुप्ता शामिल है जिसमे बंटवारे में जिला एमसीबी में एस आर महेश व प्रशांत गुप्ता भेजा गया था पर अभी जिला कोरिया में 05 आफिस कर्मचारी हैं, ऐसे में बल की कमी कैसे कहा जा सकता है?
वर्ष 2020 में हुआ था तबादला पर नहीं हुई रवानगी…पदोन्नति स्वीकार पर तबादला क्यों स्वीकार नहीं,सवाल?
पुलिस अधीक्षक कोरिया के स्टेनो विकास नामदेव पदोन्नति पाकर बड़े खुश हुए पहले यह सहायक उप निरीक्षक थे पदोन्नति पाकर उप निरीक्षक-अ के पद पर सुशोभित हुए जिसे उन्होंने स्वीकार भी किया और कंधे पर दो स्टार भी सजा लिए सारी सुविधाएं भी ग्रहण कर ली पर यदि ग्रहण नहीं किया और यदि स्वीकार नहीं किया तो अपना तबादला, ऐसे में सवाल यह उठता है की क्या स्टेनो को सिर्फ सुविधा चाहिए वह भी अपने शर्तों पर वह प्रशासन के आदेशों का पालन नहीं करेंगे कहीं ना कहीं पुलिस मुख्यालय छत्तीसगढ़ नए रायपुर के आदेशों की उन्होंने अवहेलना करते हुए आज भी वह कोरिया जिले में जमे हुए हैं। फिर भी उच्च अधिकारी इन पर कार्यवाही करने के बजाय इन्हें अभयदान दिए बैठे हैं क्या इसी वजह 14 वीं बटालियान छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल धनोरा बालोद स्थानांतरण स्थल नहीं गए? तबादला आदेश के अनुसार स्टेनो विकास नामदेव का तबादला 14 वीं बटालियन छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल धनोरा बालोद हुआ था पर आदेश को दरकिनार करते हुए आज भी यह कोरिया जिले में ही पुराने पद पर कार्य कर रहे हैं।
स्थानीय हैं स्टेनो,पद का प्रभाव और स्थानीय होने का मिलता है लाभ,पुलिस अधीक्षकों पर बना लेते हैं दबाव
सूत्रों की माने स्टेनो स्थानीय हैं और उनका संपर्क जिले के हर दल के नेताओं से है। शासन किसी भी दल की हो वह अपना प्रभाव जमा ले जाते हैं और स्थानीय होने के नाते स्थानीय नेताओं से स्थापित संपर्क के माध्यम से वह पुलिस अधीक्षक कोई उन पर दबाव बना ले जाते हैं। स्टेनो अपने पद से स्थानीय नेताओं को प्रभाव में रखते हैं और जब जब उनकी रवानगी की बात सामने आती है वह स्थानीय नेताओं को आगे कर देते हैं जो उनकी पैरवी में लग जाते हैं। कुल मिलाकर उन्हे स्थानीय होने का फायदा कैसे उठाना है वह जानते हैं। सूत्रों के माने तो कोरिया पुलिस अधीक्षक के स्टेनो काफी राजनीतिक पकड़ रखते हैं चाहे वह बीजेपी की सरकार हो या फिर कांग्रेस की दोनों में उनकी पकड़ काफी तगड़ी है स्थानीय नेताओं के साथ उनका संबंध निकल ही जाता है यही वजह है कि एक राजनीतिक पार्टी ने उनके राजनीतिक कार्यप्रणाली को लेकर निर्वाचन आयोग को शिकायत की है और उनके ऊपर कार्यवाही करते हुए इन्हें जिले से बाहर करने की मांग की है।


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