रायपुर@आयुष्मान योजना के क्लेम भुगतान के लिए नोडल एजेंसी की हॉस्पिटल को-ऑर्डिनेटर ने जमकर की वसूली

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रायपुर,21 फरवरी 2024 (ए)।
छत्तीसगढ़ में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना के नाम पर स्टेट नोडल एजेंसी की बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। योजना के तहत 61 अस्पतालों को 129 करोड़ रुपए के भुगतान पर जांच एजेंसी ने सवाल खड़े किए हैं। जांच समिति की रिपोर्ट आने से पहले स्टेट नोडल एजेंसी हॉस्पिटल को-ऑर्डिनेटर प्रियंका लालवानी को क्लेम भुगतान वाली जिम्मेदारी से हटा दिया गया है। हालाकि अब तक उन पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई है। हॉस्पिटल को-ऑर्डिनेटर प्रियंका पर आरोप है कि उन्होंने 61 अस्पतालों को 129 करोड़ का क्लेम कर दिया। इस पूरे कारनामे में अपने पति डॉ. विनोद लालवानी के अस्पताल को भी फायदा पहुंचाया है। इतना ही नहीं उनके अस्पताल के डॉक्टर को क्लेम चेक करने के लिए बुलाया है। इतना ही नहीं विशेषज्ञ डॉक्टरों से क्लेम वेरीफाई कराने की बजाए मेडिकल कॉलेज से पास जूनियर डॉक्टरों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से 39 फ्रेशर डॉक्टरों को बुलाकर वेरीफाई कराया। अपने पति और सिंडिकेट में शामिल अस्पतालों के सौ फीसदी क्लेम कुछ ही दिनों में अप्रूव कर दिए गए है। जबकि कई अस्पतालों के क्लेम को रिजेक्ट कर दिया गया। क्लेम पेंडिंग रखकर इस पूरी गड़बड़ी को अंजाम दिया गया। एक साथ दो-तीन महीने की पेंडिंग की वजह से क्लेम की संख्या बढ़ जाती थी। इसी दौरान वेरीफिकेशन के नाम पर कारनामे को अंजाम दिया गया। मनचाहे अस्पतालों को पूरा क्लेम दिया गया। इसके बदले उनसे मोटी रकम वसूली गई। जिन्होंने रकम नहीं दिया, उनका क्लेम रिजेक्ट कर दिया गया। प्रियंका लालवानी, उनके पति डॉ. विनोद लालवानी और उनके साथी डॉक्टरों ने बाकी अस्पतालों का क्लेम अप्रूव करने के नाम पर वसूली का खेल किया है। सेटिंग किए गए अस्पतालों को पूरा क्लेम दे दिया गया। आयुष्मान भारत की स्टेट नोडल एजेंसी ने वित्तीय वर्ष 2022-23 और अप्रैल 2023 से जुलाई 2023 के दौरान 14 माह में 61 अस्पतालों के 42,372 क्लेम की ऐवज में 129 करोड़ का वो भुगतान कर दिया जिसे संदिग्ध माना गया था। इसमें ऐसे अस्पताल भी शामिल थे जहां मल्टी या सुपर स्पेशिलिटी सुविधाएं तक नहीं थी। गड़बड़ी पकड़े जाने के बाद तीन सदस्यीय समिति जांच के लिए बनाई गई थी। इस जांच में एक तकनीकी विशेषज्ञ को भी रखा जाना था। जांच शुरू हुई तो शुरुआत में ही बड़ी गड़बड़ी सामने आई। इस पर तकनीकी विशेषज्ञ जांच टीम से हट गए। इसके बाद दो सदस्यीय समिति ने ही जांच की। इस संबंध में जब जिम्मेदारों से बात करने की कोशिश की गई तो किसी ने फोन नहीं उठाया। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल और स्वास्थ्य संचालक ऋतुराज रघुवंशी को मैसेज भी किया गया, लेकिन किसी ने मैसेज का भी जवाब नहीं दिया।


मामला सामने आया तो पूरे जांच के लिए अगस्त में तीन सदस्यों की समिति बनाई गई। इसमें एसएनए के तत्कालीन नोडल, नर्सिंग होम एक्ट की नोडल एजेंसी के सहायक संचालक और एक आईटी विशेषज्ञ को रखा गया।


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