एमसीबी/ रायपुर@क्या खुद के दागी विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी का संलग्नीकरण समाप्त कर पाएंगे स्वास्थ्य मंत्री?

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-रवि सिंह-
एमसीबी/ रायपुर 17 फरवरी 2024 (घटती-घटना)।
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने शुक्रवार को विधानसभा में घोषणा की है कि उनके विभाग में संलग्नीकरण अतिशीध्र समाप्त किया जाएगा जहां जरूरत होगी वहां विभागीय अनुशंसा के बाद ही संलग्नीकरण किया जाएगा,इस घोषणा के बाद एक सवाल ने जन्म ले लिया है कि आखिर खुद स्वास्थ्य मंत्री के साथ विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के रूप में काम कर रहे अफसर जो कि फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे हैं क्या उनका संलग्नीकरण मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल समाप्त कर पाएंगे या फिर इन्ही दागदार अफसरों के भरोसे वे स्वास्थ्य विभाग संभालेगे। स्वास्थ्य मंत्री का स्टाफ इन दिनों काफी चर्चा में हैं घटती घटना में लगातार हो रहे खबर प्रकाशन के बाद आखिरकार पिछले दिनों उन्होने दो स्टॉफ को हटा दिया है लेकिन इसके बाद भी दागी अफसर टिके हुए हैं जो कि आश्चर्यजनक है। बतलाया जाता है कि उक्त दागी अफसर के भाई पिछली कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री के ओएसडी थे जिस कारण दागी अफसर के खिलाफ कार्यवाही नही हुई थी अब एक बार फिर दागी अफसर ने खुद को बचाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री के साथ अपना संलग्नीकरण करा लिया हैं। घटती-घटना इस की पुष्टि नहीं करता खबर सूत्रों से मिलिजानकारी व प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर तयार की गई है।
क्या फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे हैं विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी?
बतलाया जाता है कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संजय मरकाम को विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के पद पर संलग्न किया है,उन पर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने का पुख्ता प्रमाण घटती घटना के पास मौजूद है,अभी तक वे किस प्रकार शासकीय सेवा में बने हुए है यह भी सोचनीय विषय है बतलाया जाता कि श्री मरकाम द्वारा अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए जांच को दबवा दिया जाता है जिससे उनकी नौकरी बची हुई है। प्राप्त दस्तावेजो के अनुसार राज्य प्रशासनिक सेवा में डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित संजय कुमार मरकाम पिता रामचंद्र मरकाम निवासी कॉलेज रोड नवापारा सूरजपुर ने हेमुनगर बिलासपुर का पता बतलाते हुए जिला चिकित्सालय बिलासपुर से अपना दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाया था और खुद को श्रवण (सुनने) में दिव्यांग बतलाकर प्रमाण पत्र बनवाया था हलांकि उनके परिचितों का कहना है कि यह सिर्फ दिखावा था काफी कम ध्वनि को भी सुनने मे वे सक्षम हैं और उनसे धीरे बात करने पर भी वे जवाब दे सकते हैं जिससे उनका प्रमाण पत्र एकदम संदिग्ध है। बतलाया जाता है कि उक्त अफसर ने स्वास्थ्य मंत्री के यहां नियुक्ति के पूर्व मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के यहां भी ओएसडी के लिए प्रयास किया था लेकिन वहां दाल नही गल सकी जिसके बाद उनकी नियुक्ति स्वास्थ्य मंत्री के यहां की गई है।
संचालक स्वास्थ्य सेवांए ने भी लिखा था पत्र
मिली जानकारी के अनुसार फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के विरूद्व संचालक स्वास्थ्य सेवांए छत्तीसगढ शासन ने अध्यक्ष संभागीय मेडिकल बोर्ड संयुक्त संचालक सह अधीक्षक डॉ.भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर को एक पत्र के माध्यम से सूचित किया था जिसमें कार्यवाही का उल्लेख था,पत्र के अनुसार अवर सचिव छत्तीसगढ शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय महानदी भवन नया रायपुर द्वारा राज्य प्रशासनिक सेवा के 4 अधिकारियों का माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार एवं दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 91 के प्रावधानानुसार निर्धारित प्रमाण पत्र में दिव्यांगता प्रमाण पत्र का परीक्षण एवं समक्ष में जांच मेडिकल बोर्ड शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर मे कराने हेतु एक निश्चित तिथि एवं समय निर्धारित करने हेतु लिखा गया है। राज्य प्रशासनिक सेवा में डिप्टी कलेक्टर पद पर चयनित सुश्री रेखा चंद्रा,सुश्री अकांक्षा पांडेय,संजय कुमार मरकाम एवं अभिषेक तिवारी का दिव्यांगता का परीक्षण एवं जांच एक निश्चित तिथि एवं समय निर्धारित कर निर्धारित तिथि समय पर संबंधित अधिकारियों को संभागीय मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित होने हेतु सूचित करने कहा गया था एवं प्राप्त निष्कर्ष से अवगत कराने हेतु कहा गया था। संचालक स्वास्थ्य सेवांए द्वारा लिखे गए उक्त पत्र की प्रति घटती घटना के पास भी मौजूद है जिसे अध्ययन करने पर यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि स्वास्थ्य मंत्री के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी संजय कुमार मरकाम ने फर्जी तौर पर प्राप्त दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी हासिल किया है।
जांच के बाद कार्यवाही नही हुई,प्रभाव का हुआ गलत उपयोग
इस बारे में सूत्रों का कहना है कि विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी संजय कुमार मरकाम के खिलाफ चल रही जांच को प्रभाव के कारण दबवा दिया जाता है,पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में संजय कुमार मरकाम के भाई मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ओएसडी थे,इस कारण भी उनके खिलाफ कार्यवाही नही हो सकी। अब एक बार संजय कुमार मरकाम ने अपनी नौकरी बचाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री के साथ खुद को संलग्न करा लिया है,जिससे आगे जांच और कार्यवाही पर प्रश्न चिन्ह खड़ा होने के साथ साथ यह स्पष्ट नजर आने लगा है कि स्वास्थ्य मंत्री ने अपने साथ दागी अफसरो को ही संलग्न कर रखा है जो कि चर्चा का विषय बना हुआ है।
कैसे स्वास्थ्य विभाग सुधारेंगे मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल?
किसी भी मंत्री के कार्यालय में स्टाफ की भूमिका मुख्य होती है,स्टॉफ अगर दागदार है तो उनसे फिर किसी की भलाई का उम्मीद भी नही किया जा सकता है। बतलाया जाता है कि उक्त दागी अफसर पूर्व मे जहां पदस्थ रहे वहां भी उनका नाम सुर्खियों और जमीन घोटाले में शामिल रहा है। साथ ही मंत्री के विशेष सहायक आशुतोष पांडेय की कार्यप्रणाली भी काफी चर्चित और विवादित है। मंत्री ने स्टॉफ के रूप में काम कर रहे दो सेवकों को वापिस भी कर दिया है जो कि पूर्व में कांग्रेस सरकार में मंत्रियों के साथ कार्य कर रहे थे। प्रदेश के एक जिम्मेदार विभाग के मंत्री द्वारा आनन फानन में दागी अधिकारी कर्मचारियों की नियुक्ति का मामला भी संदेहास्पद है। ऐसे दागी स्टॉफ के भरोसे स्वास्थ्य मंत्री अपने विभाग को कैसे ठीक कर पाएंगे यह सोचनीय विषय है। वहीं एक अन्य कांग्रेसी युवा जो कि पानी पी पीकर आरएसएस,भाजपा एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत संघ प्रमुख मोहन भागवत के विषय में अनाप शनाप बाते करता है वह भी मंत्री के रायपुर बंगले में दलाल की तरह सक्रिय है और प्रदेश भर में डाक्टरों से संपर्क कर कुछ भी काम कराने का दावा करते फिर रहा है,स्वास्थ्य मंत्री का कांग्रेसी प्रेम भी इससे कहीं ना कहीं झलक रहा है। यह उनकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान है।
क्या फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र की जांच कराएंगे स्वास्थ्य मंत्री ?
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री इन दिनों अपनी कार्यशैली को लेकर किसी न किसी रूप में चर्चा में हैं,उन्होंने अपने विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के रूप में संजय मरकाम को पदस्थ किया है जिन पर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर शासकीय सेवा पाने का आरोप है। श्री मरकाम स्वास्थ्य मंत्री के साथ संलग्न हैं और उनका प्रमाण पत्र भी स्वास्थ्य विभाग से ही बनाया गया है,सवाल उठता है कि इसके बाद भी स्वास्थ्य मंत्री ऐसे दागदार अफसर को अपने साथ रखेंगे या फिर अभी तक जिस फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र मामले पर पर्दा डालकर रखा गया है, उस मामले की जांच कराएंगे। यदि स्वास्थ्य मंत्री यह कदम उठा पाते हैं तो निश्चित ही यह उनका बड़ा कदम होगा जिससे अलग संदेश जाएगा।


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