अंबिकापुर@अम्बिकापुर राजमोहिनी के पीछे की नजूल भूमि के गबन मामले कलेक्टर ने की एफ आईआर की अनुशंसा

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-भूपेन्द्र सिंह-

अंबिकापुर,16 फरवरी 2024 (घटती-घटना)। सरगुजा जिले के अंबिकापुर शहर का बहुचर्चित मामला बंशु आ.भुटकुल लोहार भूमि मामला का आया है जिस पर नजूल भूमि का गबन करने का आरोप लगा है यह मामला इसलिए चर्चित है क्योंकि यह शहर के हृदय स्थल राजमोहिनी के पीछे की भूमि का मामला है जो चोरी छुपे नियम विरुद्ध तरीके से बंशु लोहार के नाम हो गया था, इसके पीछे बहुत बड़े भूमाफिया का हाथ है और कई राजस्व के अधिकारी कर्मचारी भी इस मामले में संलिप्त थे,जिस मामले को लेकर दैनिक घटती-घटना ने लगातार खबर प्रकाशित कर कमियों को उजागर करने का काम किया था,जिस पर सरगुजा कलेक्टर ने मामले में संज्ञान लेते हुए इस मामले में जांच करवा कर एफ आईआर दर्ज करने की अनुशंसा कर दी है पर इसमें कुछ दस्तावेजों की कमी है जिसे पूरा कर एफआईआर दर्ज करने अपर कलेक्टर सुनील कुमार नायक को जिम्मा दिया गया है।
बता दें की अंबिकापुर शहर के हृदय स्थल में राजमोहिनी भवन स्थित है उसके ठीक पीछे की नजूल भूमि का एक निजी भूमि में तब्दील हो गई और जो भूमाफियाओं के और राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता की वजह से हो सकी जिसको लेकर घटती-घटना ने मामले को लगातार उजागर किया जिसके बाद वर्तमान कलेक्टर का ध्यान इस ओर आकृष्ट हुआ और उन्होंने मामले को गंभीर मानकर मामले में जांच का आदेश दिया जिसके बाद अब मामले में एफआईआर की तैयारी है। पूरे मामले में घटती-घटना का समाचार आधार बना और अब कार्यवाही की तैयारी प्रशासन कर रहा है। मामला नजूल भूमि के गबन से जुड़ा होने की वजह से कलेक्टर ने एसडीएम स्तर की जांच कराई और प्रथम दृष्टया मामला सही पाया गया। एसडीएम की जांच के बाद कलेक्टर ने एफआईआर की अनुशंसा कर दी है। अब अपर कलेक्टर सुनील कुमार नायक को जिम्मेदारी दी गई है कि वह मामले में एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी करें। मामले में कार्यवाही के बाद एक बार फिर घटती घटना की मुहिम पर लोगों का भरोसा बढ़ा है। घटती-घटना लगातार भ्रष्टाचार से जुड़े मामले उजागर निष्पक्षता से करता चला आ रहा है और इस मामले में भी घटती-घटना ने यह साबित किया की सत्य की जीत तभी संभव है अन्याय की हार तभी संभव है जब लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अपना काम निष्पक्षता से करता रहे। अब यदि राजमोहिनी के पीछे की 111 एकड़ गोचर भूमि की भी निष्पक्ष जांच कराई जाए तो उसमे भी कई राज उजागर हो सकते हैं वहीं वह भूमि भी शासन को वापस मिल सकती है।
क्या है बंशु लोहार आत्मज भुटकुल का पूरा मामला
आवेदक की मानें तो नगर अम्बिकापुर में राज मोहनी भवन के पास मोहल्ला नमना कला अंबिकापुर में खसरा नंबर 243 स्थित है,उक्त भूमि पूर्व में 111.40 एकड़ भूमि थी। जो कालांतर में शासकीय प्रयोगों के लिए उपयोग में लाई गई और कुछ भूमि पर शासन के द्वारा पट्टा प्रदान किया गया तथा इसी से संबंधित भूमि पर व्यवहारवाद क्रमांक 41-ए-90 निर्णय दिनांक 23.09.1991 विचाराधीन था जिस पर निर्णय पारित किया गया है और वर्तमान में उक्त भूमि का प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय,बिलासपुर में विचाराधीन है। उक्त भूमि वर्तमान नक्शे में दत्ता कॉलोनी की भूमि खसरा नंबर 243 को भूमि डिग्री भूमि 233 के भाग में फर्जी तौर से समाहित कर नक्शा तैयार किया गया है। जबकि 233 खसरा नंबर भूमि का प्रकरण व्यवहारवाद में विचाराधीन था। जिसका अभी निराकरण नहीं होना बताया जा रहा है। इसी दौरान तात्कालीन नजूल अधिकारी,अंबिकापुर के न्यायालय में भू-माफिया द्वारा बंशु आ0 भुटकुल लोहार निवासी-फुन्दुरडिहारी,अंबिकापुर जिला सरगुजा के माध्यम से एक राजस्व प्रकरण./अ-6/2021-22 में दिनांक 06.10.2022 को आदेश पारित किया गया है कि बंशु आ0 भुटकुल के द्वारा नजूल भूमि खसरा नंबर 154,243/10 रकबा क्रमशः 0.934,1.710 भूमि का पट्टा तहसीलदार अंबिकापुर द्वारा राजस्व प्रकरण क्रमांक 1967-68 आदेश दिनांक 15.04.1968 के माध्यम से मोहल्ला नमना कला नगर अंबिकापुर में स्थित नजूल भूमि भू खण्ड क्रमांक खसरा नंबर 154, 243/10 रकबा क्रमशः 934, 1.710 का पट्टा प्रदान किया गया है। किन्तु राजस्व अभिलेखों में नाम विलोपित हो गया है। जिसके आधार पर तात्कालीन नजूल अधिकारी तथा नजूल अधिकारी के लिपिक तिवारी एवं हल्का पटवारी गणेश मिश्रा व राजस्व निरीक्षक नारायण सिंह द्वारा मिलकर शासन की 60 करोड़ रूपये की भूमि का 04 करोड़ रूपये का मिलकर भू-माफियाओं से अवैध धन की उगाही कर भ्रष्टाचार कर नियम विरूद्ध शासकीय भूमि को बंशु आ0 भुटकुल के नाम दर्ज करने का आदेश दिनांक 06.10.2022 को पारित करवा कर उक्त भूमि को अवैध प्लाटिंग कर 15-15 लाख रूपये प्रति डिसमिल से विक्रय किया जा रहा है। यह बहुत बडे भू-माफियाओं से मिलकर किया गया भूमि घोटाला है। जिसकी जांच कर दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध तथा इसमें सम्मिलित व्यक्तियों के विरूद्ध कार्यवाही किया जाना न्यायहित में जनहित के लिए आवश्यक है।

जबकि उक्त भूमि नगर सीमा से सटी हुई है,जिसके अनुसार वह भूमि राजस्व पुस्तक परिपत्र के अनुसार किसी भी परिस्थिति किसी को 01 वर्ष से अधिक के लिए कृषि कार्य से अतिरिक्त पट्टे पर प्रदान नहीं की जा सकती साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि उक्त भूमि सरगुजा स्टेट सेटेलमेंट के अनुसार गोचर मद में दर्ज है, जिसका किसी भी स्थिति में पट्टा प्रदान नही किया जा सकता है। इन सब तथ्यों का प्रकरण में विद्यमान होने के बाद भी तत्कालीन नजूल अधिकारी ने उक्त विधि विरूद्ध आदेश पारित कर शासन को 60 करोड़ रूपये की क्षति पहुंचाई है जिसकी जांच उच्च स्तरीय स्तर पर कर कार्यवाही किया जाना आवश्यक जान पड़ता है। क्योंकि यह राजस्व पत्रों की हेराफरी कर भू-माफियाओं से मिलकर तात्कालीन नजूल अधिकारी तथा उनका लिपिक और नमनाकला का हल्का पटवारी गणेश मिश्रा एवं राजस्व निरीक्षक(नजुल) नारायण सिंह और भू माफिया के द्वारा किया गया भूमि घोटाला बताया जा रहा है,जिसकी जांच करने से स्पष्ट रूप से पता चलेगा कि किस तरह से राजस्व अधिकारी भू माफियाओं से मिलकर सरगुजा जिले और खास तौर से अंबिकापुर तहसील में भूमि का करोड़ो घोटाला कर रहे हैं।

वही यह मामला इतना चर्चित हो चुका है कि इसमें कई लोगों पर कार्यवाही होनी है जिस वजह से अंदर खाने में इसमें सम्मिलित लोग डरे हुए हैं यही वजह है कई महत्वपूर्ण फाइल भी कहीं गुम ना हो जाए,ऐसा अंदेशा लगाया जा रहा है, अब देखना यह है कि जो फाइल व दस्तावेज आवेदक मांग रहा है उसे अभी तक नहीं मिली है, पर यदि वह फाइल व दस्तावेज है तब तो एसडीएम साहब ने निष्पक्ष जांच की होगी और यदि नहीं है तो फिर यह भी सवाल है कि आखिर उन दस्तावेजों के के बिना एसडीएम साहब ने कैसे निष्पक्ष जांच की है?

बंशु आत्मज भुटकुल लोहार के भूमि रजिस्ट्री में दस्तखत किए गवाह रमन शुक्ला,नितिश गुप्ता,अभिषेक नागदेव,आकाश कुमार अग्रवाल,तुलसी अग्रवाल,बंशु लोहार (विश्वकर्मा) को व्यक्तिगत पहचानते-जानते थे या भूमि के बंदरबाट में शामिल होने के एवज में बिना सोचे-समझे गवाही देकर रजिस्ट्रार के समक्ष दस्तखत कर उक्त भूमि के रजिस्ट्री को वैध बनाने में मदद किए?

बंशु लोहार का पट्टा किन दस्तावेजों के आधार पर बना इसकी जांच की जाए तो सारे मामले खुल जाएंगे और जो दस्तावेज के आधार पर बना है पट्टा, उसी दस्तावेज को पाने के लिए लगातार आवेदक आवेदन कर दस्तावेज मांग रहा है पर विभाग देने को तैयार नहीं है अब इसके पीछे की वजह क्या है इसका तो पता नहीं पर क्या वह फाइल गुम हो गई है? ऐसा संदेह हो रहा है क्योंकि यदि फाइल मिल गई तो उसमें छेड़छाड़ करने वाले लंबा नप सकते हैं।

बंशु आ0 भुटकुल लोहार निवासी-फुन्दुरडिहारी,अंबिकापुर जिला सरगुजा के मामले में उल्लेखनीय है कि राजस्व प्रकरण क्रमांक 107/अ-19/1967-68 आदेश दिनांक 15.04.1968 के अनुसार अंबिकापुर स्थित भूमि खसरा नंबर 243/10 रकबा 4.25 एकड़ भूमि बंशु आ0 भुटकुल लोहार को भूमि प्राप्त हुई। खसरा पंचशाला वर्ष 1967-68 से वर्ष 1972-73 के आधार पर वर्ष में 241 के बाद 243/11 के बीच का पन्ना पृष्ठ क्रमांक 89 एवं 90 नहीं पाया गया,जिसके आभाव में खसरा कमांक 243/10 के स्वामित्व के संबंध में उल्लेखित नहीं किया जा सका। जो यह प्रमाणित करता है, कि उक्त वर्ष के खसरा पंचशाला में उसका नाम दर्ज नहीं है, जिस कारण से उक्त खसरा पंचशाला पृष्ट क्रमांक 89 व 90 को फाड़ कर हटा दिया गया है ताकि सच्चाई प्रदर्शित न हो सके और फर्जी तौर से आगे के पन्नों में नाम उल्लेखित करने का लेख आदेश में किया गया है। यहां पर यह भी उल्लेखनीय है कि उक्तभूमि में वर्तमान में कई लोग निवासरत है तथा घनी आबादी की भूमि है, उस पर उसका कजा बताया जा रहा है तथा यह भी उल्लेखित किया जा रहा है कि चालू नक्शे के अनुसार भू-खण्ड कमांक 243/10 में आवेदक का कभी कब्जा नहीं रहा है। उसका चालू नक्शे के अनुसार 243/1 रकबा 38 एकड़,15 डिसमिल जो कि शासकीय नजूल भूमि का भाग है जो मौके पर खुली एवं परत भूमि है। उस भूमि पर कजा होने के कारण उसे 243/10 जो कि राजस्व भूमि बतायी गई थी के स्थान पर 243/1 में से रकबा 1.710 हेक्ट0 यानी 4 एकड़,25 डिसमिल भूमि नजूल का नामांतरण किया जाना उचित प्रतीत होने से नाम दर्ज करने का आदेश दिया गया है। यह कैसे संभव है,कि किसी को यदि कोई पट्टा राजस्व भूमि का 243/10 का यदि मिला भी होगा तो उसे उसके स्थान पर लगभग 55 साल के बाद नया भू-खण्ड 243/1 मे से 04 एकड़,25 डिसमिल भूमि में नाम दर्ज करने का आदेश दे दिया जाये साथ ही उसे राजस्व भूमि की तरह संबंधित अधिकारी ने भू माफियाओं से मिलकर तत्काल बेचने के उद्देश्य से दिनांक 07.10.2022 का नवीन संशोधन का उल्लेख करते हुए उसे 20 वर्ष पूर्ण करने के आधार पर भू स्वामी अधिकार भी प्रदान कर दिया है। राजस्व विभाग के जानकारों की मानें तो नियम विरुद्ध तरीके से लगभग 60 करोड़ रूपये की भूमि का फर्जी तौर से नामांतरण कर दिया गया। जिस व्यक्ति के नाम जमीन का नामांतरण किया गया उसका कब्जा कभी भी उस जमीन पर नहीं था लेकिन विभागीय सूत्रों की माने तो चार करोड़ रूपये की सेटिंग में कुछ कर्मचारियों ने फर्जी तरीके से जमीन का नामांतरण कर दिया। नामांतरण से पहले ही जमीन पर दूसरे लोगों का निर्माण था। राजस्व अभिलेखों में नाम अंकित होते ही संबंधित व्यक्ति ने उक्त जमीन को नियम विरुद्ध तरी?े से बेचना भी शुरू कर दिया है। मामले में नजूल अधिकारी व कार्यालय के एक लिपिक और नमनाकला के हलका पटवारी तथा नजूल निरीक्षक की भूमिका संदिग्ध है। मामले की शिकायत कमल सिंह व मनीष सिंह ने अलग-अलग आवेदन के माध्यम से उक्त भूमि गबन के संबंध में कलेक्टर सरगुजा से शिकायत की है पर शिकायत के एक महीना बीत जाने के बाद भी मामले में कोई ठोस कार्यवाही होता नजर नहीं आ रहा है। जबकि शिकायतकर्ताओं की मानें तो उक्त भूमि गबन के मामले में उच्च स्तरीय जांच हो जाने पर एक बड़े फर्जीवाड़े के साथ उक्त भूमि के खरीद-फरोख्त में शामिल नजूल विभाग के तत्कालीन अधिकारी-कर्मचारी सहित धनाड्यों के साथ दस्तावेज में कूटरचना करने वाले लोगों को जेल जाने से नहीं रोका जा सकता पर यहां सबसे बड़ी विडम्बना मामले में देखने को मिल रहा है कि इतने बड़े भूमि गबन के मामले में वह कहावत कि ‘‘बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे’’ पर अटका हुआ है।


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