रायपुर@क्वांटिफायबल डाटा मामले में पूर्व सीएम को घेरा

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रायपुर,13 फरवरी 2024(ए)।
पूर्व की कांग्रेस सरकार ने जिस मंटिफाइबल डाटा आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक किए बगैर उसके आधार पर विधानसभा में आरक्षण (संशोधन) विधेयक पारित कराया, वह मामला विधानसभा में गूंजा। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने विधानसभा में सवाल किया कि क्या आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक होगी? मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस पर विचार करने की बात कही है।


विधानसभा में अजय चंद्राकर ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से सवाल किया कि मंटिफायबल डाटा आयोग कब और किन उद्देश्यों से गठित किया गया? उसका कार्यकाल कितनी अवधि का था? उसके कार्यकाल को कितनी बार बढ़ाया गया और अंतिम बार कितनी अवधि के लिए कब तक बढ़ाया गया? रिपार्ट राज्य सरकार को कब सौंपी गई? किन-किन संस्थाओं को देनी थी? इसके चेयरमेन व सदस्य कौन-कौन थे तथा इनको क्या-क्या सुविधायें दी गयी एवं कितनी राशि व्यय की गयी?


मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने जवाब में बताया कि मंटिफायबल डाटा आयोग का गठन सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा 11 सितंबर 2019 द्वारा किया गया। इसका उद्देश्य राज्य की जनसंख्या में अन्य पिछड़े वर्गों तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों का सर्वेक्षण कर मंटिफायबल डाटा एकत्रित किया जाना था। इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई थी।


आयोग का कार्यकाल छह माह में प्रतिवेदन शासन को सौंपने हेतु गठन किया गया था, किन्तु प्रतिवेदन अपेक्षित होने के कारण आयोग का कार्यकाल 10 बार बढ़ाया गया, अंतिम बार 2 महीने की अवधि के लिए 31 दिसंबर 2022 तक के लिये बढ़ाया गया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट/प्रतिवेदन 21 नवंबर 2022 को राज्य सरकार को सौंपी।
आयोग के चैयरमेन सेवानिवृत्त जिला एवं सेशन जज थे। वहीं कोई सदस्य नियुक्त नहीं किया गया था। अध्यक्ष के मानदेय और अन्य सुविधाओं में 1 करोड़ 7 लाख 6 हजार रूपये खर्च किये गए। आयोग के प्रतिवेदन में अनुशंसा नहीं बल्कि निष्कर्ष दिए गए थे, जिसके आधार पर आरक्षण (संशोधन) विधेयक पारित कराया गया था।


विधानसभा में शासन की ओर से जवाब देते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर विचार करेंगे। इस दौरान अजय चंद्राकर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकार ने राजनीति के लिए मंटिफायबल डाटा बनाया गया था, किस डाटा का क्या उपयोग किया, भूपेश बघेल के अलावा कोई नहीं जानता, प्रदेश की जनता को अधिकार है कि क्या वस्तु स्थिति है मंटिफिएबल डाटा का, यह कोई राजनीति का विषय नहीं है। अजय चंद्राकर ने आरोप लगाया कि यह भूपेश बघेल का डाटा करप्शन है।


रायपुर। मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने मीडिया से चर्चा में कहा कि मैंने कहा था कांग्रेस सरकार के काले कारनामे उजागर होंगे। कांग्रेस सरकार में किस प्रकार से छत्तीसगढ़ को लूटा है, कैसे खजाने में डकैती डाली है। सामने आ रहा है। आज के प्रश्न में भी आबकारी मामले में मुख्यमंत्री ने बताया।
आबकारी राजस्व में कमी के मामले को लेकर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मामले में बड़े-बड़े लोग जेल में है। छत्तीसगढ़ के टैक्स पेयर की गाढ़ी कमाई पैसे में डाका डालने वालों को सजा मिलेगी।
जो राजस्व 2021 में आता था, वह 2022-23 में वह कम हो गया। यह छत्तीसगढ़ के लोगों के साथ धोखा विश्वासघात है। छत्तीसगढ़ की खजाने के साथ चोरी-डकैती है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। पहले भी ईडी ने शराब घोटाले को पकड़ा है।


विधानसभा के प्रश्नकाल में भाजपा विधायक और पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने शराब दुकानों से मिलने वाले राजस्व का मामला उठाया। धरमलाल कौशिक ने पूछा कि साल 2021-22 में 52 करोड़ 27 लाख और साल 2022-23 में केवल 24 लाख ऑनलाइन शराब बिक्री से राजस्व मिला।
आखिर ऐसा कैसे हो गया, क्या इसकी जांच कराएंगे? जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले की जांच कराई जायेगी। वहीं धरमलाल कौशिक ने कहा कि राजधानी के वीआईपी रोड में टाइम लिमिट से ज्यादा वक्त तक बार खुल रहे हैं, गोली चल रही है, घटनाएं घट रही है। इस पर सख्ती करेंगे? रात-रात तक लड़के लड़कियां नाच रहे हैं। जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले की जांच करवायी जायेगी। सख्ती से नियमों का पालन करने निर्देश दिए जाएगे।


छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज पीडीएस राशन दुकानों में गड़बड़ी का मामला उठा। सत्ता पक्ष के विधायक मोतीलाल साहू ने प्रश्नकाल में पूछा कि प्रदेश के कई पीडीएस संचालक राशन के बदले हितग्राहियों को पैसा देते हैं। ऐसे कार्यों पर रोक लगाने के लिए सरकार क्या कर रही है और ऐसे दुकान संचालकों पर सरकार क्या कार्रवाई करेगी। जवाब में खाद्य मंत्री दयाल दास बघेल ने कहा कि राशन कार्ड को आधार से लिंक किया जा रहा है ये कार्य 98 प्रतिशत पूरा हो चुका है। पीडीएस की गड़बड़ी रोकने निगरानी टीम बनाई गई है, जो जांच के बाद दोषी दुकान संचालक पर कार्रवाई करती है।


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