पटना/पाण्डवपारा@प्राचीन वेदों के संचित ज्ञान व आधुनिकता के समन्वय से सपनों का भारत बनेगा : पंकज भारती

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डीएवी पाण्डवपारा में स्वामी दयानंद की 200 वीं जयंती मनाई गई
पटना/पाण्डवपारा,13 फरवरी 2024 (घटती-घटना)। विगत दिनों डीएवी पब्लिक स्कूल पाण्डवपारा में आर्य समाज के प्रणेता महर्षि दयानंद सरस्वतीजी की 200 वीं जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विविध कार्यक्रम यज्ञ-हवन, भजन विचाराभिव्यक्ति का आयोजन हुआ। पांच कुण्डीय यज्ञ की प्रथम श्रृंखला में आर्य समाज अमर रहे… ओम का झण्डा ऊंचा रहे… वेद की ज्योति जलती रहे के जयघोष लगाए गए। वैदिक रीति-रिवाज से वेद की ऋचाओं के सस्वर वाचन के साथ यज्ञ हवन प्रारंभ किया गया। यज्ञ में ऋ ग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद के मंत्र उच्चरित किए गए। यज्ञ के ब्रह्मा मुकेश चन्द्र शास्त्री एवं वेदप्रकाश थे। प्रमुख यजमान प्राचार्य पंकज भारती, संतोष कटकवार, नारायण अग्रवाल एवं श्रीमती मंजूषा सोनी सपत्नीक थे। अध्यक्षीय आसंदी से उद्बोधित करते हुए संस्था के प्राचार्य पंकज भारती ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी का समाज में प्रादुर्भाव उस समय हुआ जब देश पराधीन था, रूढि़वादी विचार अंधविश्वास चरम पर था। जातिगत छूआछूत का बोलबाला था। अशिक्षा, नारी प्रतिकार जारी था। जनता दिशाहीन होकर आधार तलाश रही थी। तब सरस्वती जी ने वेदों की ओर लौटने की बात कहकर शिक्षा का अलख जगाया। नारियों को वेद पढ़ने का अधिकार दिलाकर नारी सशक्तिकरण का संदेश दिया। आजादी के आंदोलन मे सक्रिय भूमिका निबाहने से अनेक क्रांतिकारी पैदा हुए। स्वामी जी के विचार आज भी प्रासंगिक है आर्य समाज के उद्देश्य को पूरा करने हेतु डी ए वी कृत संकल्पित है। आज सुयोग्य नागरिक बनाने के लिए प्राचीन वेदों के संचित ज्ञान एवं आधुनिकता के समन्वय से ही संभव हो पाएगा। सभा को आचार्य द्वय मुकेशचन्द्र शास्त्री, वेदप्रकाश आर्य ने सबोधित किए। शिक्षक हरीश तिवारी, छात्रा आकृति पाण्डेय ने स्वामी दयानंद के अवदान को रेखांकित किया। शिक्षिका श्रीमती केया बोस ने सस्वर भावपूर्ण भजन प्रस्तुत किए। कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालयीन छात्र छात्राओं के साथ शिक्षक, शिक्षिकाओं एवं अभिभावकों का अप्रतिम योगदान रहा।


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