- अपनी महंगी कार में लगाकर चलते हैं पद का बोर्ड…झाड़ते हैं रुतबा?
- प्रतिदिन सूरजपुर जिले से एमसीबी जिले आकर करते हैं काम,देर शाम फिर लौट जाते हैं सूरजपुर
- मुख्यालय में रहना भी स्वीकार नहीं एमसीबी के जिला शिक्षा अधिकारी को
-रवि सिंह-
एमसीबी,12 फरवरी 2024 (घटती-घटना)। नवीन जिले एमसीबी में जिला शिक्षा अधिकारी का रुतबा देखते ही बनता है। जिला शिक्षा अधिकारी अपना रुतबा जमाने और दिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं जो जिले में चर्चा का भी विषय है। जिला शिक्षा अधिकारी अपनी निजी महंगी गाड़ी में जिला शिक्षा अधिकारी का बोर्ड वह भी बड़े बड़े अक्षरों में लिखा बोर्ड लगाकर चलते हैं साथ ही वाहन में वह शासकीय कार्य वाला वाहन भी लिखवाकर रखें हैं जो शायद नियम अनुसार सही नहीं है। ऐसा वह अपना रुतबा दिखाने ले लिए करते हैं जैसा बताया जा रहा है।
बताया जाता है की उन्हे नवीन जिले का जिला शिक्षा अधिकारी तो बनाया गया है लेकिन उन्हे वाहन शासकीय प्रदान नहीं की गई है लेकिन वह इसका उपाय भी निकाल चुके हैं और अपनी ही निजी वाहन को वह शासकीय वाहन बताकर बोर्ड लगाकर चलते हैं। सूत्रों की माने तो वह वाहन अधिग्रहण कर सकते हैं लेकिन वह ऐसा नहीं करते हुए अपने निजी वाहन को ही अपने प्रयोग में लाते हैं। सूत्रों का तो यह भी कहना है की जिले के आला अधिकारियों के लिए जो वाहन अधिग्रहित है वह समग्र शिक्षा मद से भुगतान प्राप्त कर रही है वहीं जिला शिक्षा अधिकारी अपनी निजी वाहन को ही शासकीय वाहन बनाकर चल रहे हैं। अब समग्र शिक्षा से किन अधिकारियों के वाहन का भुगतान हो रहा है यह तो स्पष्ट नहीं है लेकिन सूत्रों का कहना है की वाहन किराए का भुगतान समग्र शिक्षा मद से हो रहा है। एमसीबी जिले में शिक्षा विभाग कई तरह की मनमानी भी कर रहा है,यह भी बात सूत्रों से पता चल रही है। बताया जा रहा है की वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी कई मामलों में सुर्खियां बटोर रहे हैं। एक मामला ऐन विधानसभा चुनाव के पूर्व डीएमएफ मद से करोड़ों की खरीदी का भी है जिसमे काफी जल्दबाजी में खरीदी प्रकिया अपनाई गई क्योंकि आदर्श आचार संहिता लगने का भय था जिससे खरीदी प्रभावित हो सकती थी। यह खरीदी जांच का विषय भी हो सकती है ऐसा भी सूत्रों का कहना है क्योंकि इसमें तत्कालीन कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी ने मिलकर खरीदी की थी। जिले में शिक्षकों के अवकाश मामलों में भी जमकर शिक्षकों का शोषण हो रहा है यह भी कहना है सूत्रों का। बताया जाता है की महिलाओं को मिलने वाले संतान पालन अवकाश में भी वसूली का खेल हो रहा है जिससे अंदर खाने महिला शिक्षक काफी रूष्ट भी हैं।
मुख्यालय में नहीं रहते जिला शिक्षा अधिकारी एमसीबी…
जिला शिक्षा अधिकारी एमसीबी खुद जिला मुख्यालय में निवास नहीं करते हैं। वह प्रतिदिन सूरजपुर जिले से आना-जाना करते हैं यह बताया जाता है जो लोग प्रतिदिन देखते भी हैं। अपनी निजी वाहन से वह यह दूरी तय करते हैं और कोरिया जिले से होकर वह एमसीबी जिला पहुंचते हैं। अब यदि शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी ही जिला मुख्यालय में नहीं रहेंगे तो वह कैसे शिक्षकों को मुख्यालय में रहने का दवाब बना पाएंगे यह भी एक सवाल है। और जब वह खुद नियमों का पालन नहीं करेंगे तो जिले की शिक्षा व्यवस्था को वह कैसे बेहतर कर सकेंगे यह भी एक सवाल है। नियम से उन्हे जिला मुख्यालय में ही निवास करना चाहिए जिससे शिक्षकों को भी मुख्यालय में रहने की प्रेरणा मिल सकेगी और जिले की शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ होगी।
निजी वाहन में पद का बड़ा बोर्ड और वाहन में शासकीय कार्य लिखवाना कहां तक सही
जिला शिक्षा अधिकारी एमसीबी अपनी निजी वाहन में अपने पद का बड़ा सा बोर्ड लगाकर चलते हैं। वाहन में शासकीय सेवा में वाहन है ऐसा भी प्रदर्शित करने का प्रयास लिखकर किया गया है। अब सवाल यह उठता है की यह कहां तक सही है। क्या निजी वाहन में पदनाम का बोर्ड लगाना नियम अनुसार सही है। क्या ऐसा करना कानून की दृष्टि से सही है। शासकीय रूप से अधिग्रहित वाहन होने पर ऐसा लिखना सही भले कहा जा सकता है लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी का वाहन अधिग्रहित नहीं है शासकीय रूप से यह स्पष्ट है इसलिए ऐसा लिखकर चलना गलत यह कहना है जानकारों का।
शिक्षकों के अवकाश मामलों में भी वसूली की सुगबुगाहट,जमकर होती है वसूली
सूत्रों का कहना है की एमसीबी जिले के शिक्षक कार्यालय की वसूली से भी परेशान हैं। जिले के शिक्षकों के अवकाश मामले हों या अन्य कोई कार्य सभी में जमकर वसूली हो रही है जिससे शिक्षक भी अंदरखाने परेशान हैं। कार्यालय में काम से जाने पर पहले शुल्क देना अनिवार्य है फिर काम हो पाना संभव होता है यह बताया जा रहा है।