बिलासपुर,07 फ रवरी 2024(ए)। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की सख्ती का अब प्रभावी असर देखने को मिलेगा। कोर्ट की नाराजगी और चीफ सेक्रेटरी को नोटिस जारी शपथ पत्र के साथ मांगे जवाब का असर दिखाई दे रहा है। राज्य शासन ने प्रदेशभर के थानों को नाइस मीटर की आपूर्ति कर दी है। इसके जरिए अब कानफोड़ू डीजे सहित तेज आवाज में बजने वाले ध्वनि विस्तार यंत्रों पर प्रभावी अंकुश लग सकेगा। इसके अलावा पुलिस अब कार्रवाई भी कर सकेगी।
छत्तीसगढ़ में ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए राज्य शासन नाइस मीटर का इस्तेमाल करेगी। इस डिवाइस से डीजे और तेज आवाज वाले उपकरणों की जांच की जाएगी। जिससे पता चल सकेगा कि कितनी तीव्रता से बजाई जा रही है। अभी तक 50 से 60 डेसीबल ध्वनि पर बजाने की अनुमति है। नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा ने तेज आवाज में बजने वाले डीजे और साउंड सिस्टम पर ऐतराज जताते हुए स्वत संज्ञान लिया है। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने राज्य शासन के मुख्य सचिव से शपथ पत्र में जवाब मांगा है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण रोकने का आदेश दिया है। जिसका पालन करने के लिए शासन स्तर पर क्या प्रयास किए गए हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति ने भी जनहित याचिका के साथ हस्तक्षेप याचिका दायर की है। जिसमें बताया कि शासन ने चार नवंबर 2019 को हर साउंड सिस्टम और पब्लिक एड्रेस सिस्टम में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए साउंड लिमिटर लगाना अनिवार्य किया है। बीते दिनों सुनवाई के दौरान कोर्ट को इस बात की जानकारी दी गई है कि कोर्ट के निर्देश का गंभीरतापूर्वक परिपालन नहीं किया जा रहा है। नियमों का पालन नहीं करने पर हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी से शपथपत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। अधिसूचना के अनुसार कोई भी निर्माता, व्यापारी, दुकानदार, एजेंसी, ध्वनि सिस्टम या पब्लिक एड्रेस सिस्टम को बिना साउंड लिमिटेड (ध्वनि सीमक) के विक्रय, क्रय, उपयोग या इंस्टाल नहीं कर सकता और न ही किराए पर दे सकता है। पुलिस अधिकारी, नगर निगम, नगर परिषद, नगर पंचायत, पंचायत यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी सरकारी या गैर सरकारी कार्यक्रम में ध्वनि अवरोधक लगाए बिना कोई भी साउंड सिस्टम नहीं लगाया जाएगा या किराए पर नहीं दिया जाएगा।
24 फरवरी को जनहित
याचिका पर होगी सुनवाई
शासन की अधिसूचना देखने के बाद डिवीजन बेंच ने कहा था कि नियम कागजों तक सीमित है। कोर्ट ने मुख्य सचिव से शपथ पत्र मांगा है कि इस अधिसूचना का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी। हाई कोर्ट की सख्ती के बाद राज्य शासन ने ध्वनि प्रदूषण पर रोकने सभी जिलों को नाइस मीटर दिया है। इसे संबंधित थानों में उपलब्ध कराया गया है। इस डिवाइस के माध्यम से पुलिस आसानी से जान सकेगी कि किसी भी आयोजन में बजने वाला साउंड सिस्टम कितनी आवाज में बज रहा है। तय पैमाने से अधिक आवाज होने पर मीटर तत्काल बताएगा और कार्रवाई करने में आसानी भी होगी।
इस अधिनियम में है जुर्माने का प्रविधान
अधिसूचना पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत जारी की गई है। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत बने नियमों का उल्लंघन करने पर 5 साल की सजा या 1 लाख का फाइन या दोनों लगाया जा सकता है। अगर नियमों का उल्लंघन जारी रहता है, तो प्रतिदिन 5000 रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है।