सीएमएचओ पद पर नहीं हो रहा प्रमोशन…क्या जिसे चाहो उसे बनाओं प्रभारी सीएमएचओ?
कोरिया में ना तो फुल फ्लैश सीएमएचओ और ना ही फुल फ्लैश डीपीएम…जो फुल फ्लैश है उसे प्रभार नहीं मिल रहा…पर प्रभारी सीएमएचओ व डीपीएम का रुतबा बरकरार
क्या प्रभारी सीएमएचओ का प्रभारी डीपीएम बिलकुल खास हैं या करीबी रिश्तेदार हैं जिस वजह से उसे पद से नहीं हटा पा रहे हैं सीएमएचओ?
-रवि सिंह-
कोरिया,06 फरवरी 2024 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग अपंग साबित हो रहा है इसकी वजह यह है कि छत्तीसगढ़ में लगभग जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी प्रभारी हैं क्योंकि छत्तीसगढ़ में लंबे समय से सीएमएचओ पद के लिए प्रमोशन नहीं हुआ है यही वजह है कि जिसे पा रहे उसे प्रभारी सीएमएचओ बनाकर स्वास्थ्य विभाग को अपंग बना रहे हैं और मनमाना राज चल रहा है। प्रभारी बनकर भी सीएमएचओ सिर्फ अंधाधुन खरीदी व भ्रष्टाचार मचा रहे हैं उन्हें बिल्कुल भी भय नहीं है सरकार का किसी जांच करेगी तो वह जेल भी जा सकते है, कुछ यही हाल कोरिया जिले के डीपीएम का भी है यह भी प्रभारी डीपीएम है पर अपने आप को परमानेंट डीपीएम से कम नहीं समझते। काम तो ऐसा करते हैं जैसे लग रहा है कि प्रभारी डीपीएम नहीं फुल फ्लैश डीपीएम है, प्रभारी डीपीएम के रुतबे को देख ले तो समझा जा सकता है कि स्वास्थ्य विभाग की स्थिति क्या है? जब की परमानेंट डीपीएम आकर बैठे है पर प्रभार नहीं मिल रहा, कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी डीपीएम पर कांग्रेस शासन से जिला प्रशासन मेहरबान है, कांग्रेस शासन में ही उन्हें प्रभार डीपीएम से हटा कर नए डीपीएम की नियुक्ति भी की गई, परन्तु जब भाजपा की सरकार आई और नए डीपीएम अपना प्रभार लेने पहुंचे तो सीएमएचओ डॉ आरएस सेंगर ने उच्चाधिकारी से मार्गदर्शन लेने की बात कह उसे ज्वाईन करने नहीं दिया, अब आप सहज अंदाजा लगा सकते है, कि प्रभारी डीपीएम की जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग मे कितनी पैठ है।
प्रभारी डीपीएम और सीएमएचओं की कहानी है पुरानी
दरअसल,पूरी कहानी के पीछे प्रभारी डीपीएम और सीएमएचओं की रणनीति को समझने के लिए अक्टूबर 2022 मे जाना होगा, तत्कालिन सीएमएचओ डॉ रामेश्वर शर्मा को राज्य सरकार ने हटाया और उसी के ठीक पहले कोरिया के डीपीएम का स्थानांतरण रायगढ़ हुआ। तब प्रभारी डीपीएम नए जिले एमसीबी के डीपीएम के पद पर पदस्थ थे, इसी बीच कलेक्टर कुलदीप शर्मा का स्थानांतरण बालोद हो गया और नए कलेक्टर विनय कुमार लंगेह कोरिया कलेक्टर बनाए गए, अब फिर क्या था,नए कलेक्टर की बैठकों में खुद को सिरमौर बताकर उनका छोटा छोटा काम करते हुए धीरे धीरे एकदम से कलेक्टर का करीबी बन गए हटाए गए प्रभारी डिपिएम, और कलेक्टर ने कोरिया के डीपीएम का भी चार्ज संविदा के पद पदस्थ आयुर्वेदिक चिकित्सक प्रिंस जायसवाल को दे दिया, इधर आयुर्वेदिक चिकित्सक की कार्यशैली से पूरा एमसीबी और कोरिया जिले के हर कोई वाकिफ थे, आते ही एमसीबी जिले के खान नर्सिग होम पर छापा मार कर उस पर कार्यवाही कर दी गई, कार्यवाही को लेकर राज्य सरकार ने भी नाराजगी जताई और एमसीबी में प्रभारी डीपीएम का विरोध शुरू हो गया, तब के स्वास्थ्य मंत्री के पास कई दिग्गजों ने अपनी बात रखी, जिसके बाद कोरिया और एमसीबी दोनों जिलों में नए डीपीएम की नियुक्ति कर दी गई। 16 मई 2023 को राज्य सरकार से आदेश जारी हो गया।
क्या बेटा बेटा के पीछे बेहद चालाकी?– डॉ रामेश्वर शर्मा के हटने के बाद डॉ आरएस सेंगर ने सीएमएचओ का प्रभार लिया और बहुत की मीठे लहजे मे चलाकी सामने आने लगी, इधर पूरे विभाग को डीपीएम ने अपने कब्जे में ले लिया था, जमकर खरीदी की जा रही थी, विभाग के सीएमएचओ अधिनस्थों को बेहद मीठे लहजे में बेटा बेटा कह कर चालाकी से डीपीएम के खिलाफ बोलकर नियम विरूद्ध काम करवाने लगे, अब विभाग में हर आदेश में पहले डीपीएम को दिखाने को बोलकर काम होने लगा। अब जब भाजपा की सरकार आई तो 16 मई 2023 के तहत आदेश के तहत बनाए गए डीपीएम जब प्रभार लेने पहुंचे तो सीएमएचओ ने यहां बड़ी चालाकी दिखाई और अब भी उसे ज्वाईन नहीं करने दिया, अब उनके द्वारा इस मामले में उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन लेने की बात कह कर उसे चलता कर दिया। जिससे साफ है कि संविदा के पद पदस्थ आयुर्वेदिक चिकित्सक प्रिंस जायसवाल और सीएमएचओं डॉ आर एस सेंगर की मिली भगत से विभाग में जमकर वित्तीय अनियमितताएं अब तक जारी है। सूत्रों की माने तो दोनों के खिलाफ शिकायत भी भाजपा की नई सरकार से की गई है। अब देखना है स्वास्थ्य विभाग दोनों के खिलाफ किस तरह का एक्शन लेता है।
डीपीएम राकेश वर्मा ज्वाइन के लिए भटक रहे
16 मई 2023 को डायरेक्टर एनएचएम विलास संदीपान भोस्कर द्वारा जारी आदेश में मनेन्द्रगढ़ के नए डीपीएम ने अपना प्रभार ले लिया, परन्तु कोरिया के डीपीएम के प्रभार के लिए अब तक राकेश वर्मा को भटकना पड रहा है। तकनिकी तौर पर समझए किस तरह राज्य सरकार के आदेष को जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की मनमानी चली। नियमों के अनुसार डीपीएम का प्रभार एनएचएम के लेखापाल को दिया जाता है, सूत्र बताते है कि प्रभार लेते समय इस नियम का जिक्र भी किया गया, परन्तु नियमों को दरकिनार करते हुए संविदा के पद पदस्थ आयुर्वेदिक चिकित्सक प्रिंस जायसवाल को डीपीएम का प्रभार सौप दिया गया, जब कलेक्टर से उपर के राज्य स्तर के अधिकारी का आदेश आया तो यह आदेश शून्य हो गया, और 16 मई 2023 के आदेष मे समय सीमा का जिक्र भी नहीं था, बावजूद इसके नए डीपीएम को कोरिया ज्वाईन नहीं करने दिया गया।
किसे हटाना है किसे कहां रखना है यह भी डीपीएम के इशारे पर-कोरिया जिले के सीएमएचओ को प्रभारी डिपिएम निर्देश देते हैं और उन्हीं के निर्देश पर वह काम करते हैं यह भी बताया जाता है। जिले के सीएमएचओ अपनी मंशा से काम नहीं कर पाते उन्हे हर निर्णय को डीपीएम के समक्ष रखना ही पड़ता है। बताया जाता है की विभाग में किसे कहां क्या जिम्मेदारी देनी है किससे क्या काम लेना है यह डीपीएम तय करते हैं।डीपीएम के निर्देश के बिना उनकी सहमति के बिना सीएमएचओ एक भी निर्णय नहीं ले पाते हैं। कुल मिलाकर सीएमएचओ केवल रबर स्टाम्प की तरह काम कर रहे हैं।
डीपीएम की बढ़ती संपत्ति उनके भ्रष्टाचार में लिप्त होने की तरफ करती है इशारा
कोरिया जिले के डीपीएम की संपत्ती लगातार बढ़ती जा रही है। जिले के स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी सम्हालते हुए वह लगातार अपनी संपत्ती में इजाफा कर रहे हैं ऐसा सूत्रों का दावा है। यह सबकुछ भ्रष्टाचार के बल पर संभव हो पा रहा है यह कहना गलत नहीं होगा। कुल मिलाकर जिले के लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सम्हालने के नाम पर केवल अपनी जेब भरने का काम हो रहा है जो देखा जा रहा है।