कोरिया/ पटना@पटना पहुंचे संत गुरू आचार्य प्रशमेश प्रभशुरी श्रवर जी महाराज, श्रद्वालू ने लिया उनका आशीर्वाद

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-संवाददाता-
कोरिया/ पटना,06 फरवरी 2024 (घटती-घटना)।
संत गुरू आचार्य श्री प्रशमेश प्रभशुरी श्रवर जी महाराज का पहली बार हुआ नगर आगमन व प्रवचन। उन्होंने संदेश देते हुए कहा कि जीयो और जीने दो। मुंबई से आचार्य सम्मेद शिखर जी महा तीर्थ (झारखंड) से 2 संत गुरु भगवंत और 21 साध्वी जी भगवंत ग्राम पंचायत टेंगनी के सामुदायिक भवन में उपस्थित जनों को जीयो और जीने दो का संदेश देते हुए कहा कि भगवान महावीर के प्रारम्भिक तीस वर्ष राजसी वैभव और विलास के दलदल में कमल के समान रहे। उसके बाद बारह वर्ष घनघोर जंगल में मंगल साधना और आत्म जागृति की आराधना में वे इतने लीन हो गए कि उनके शरीर के कपड़े गिरकर अलग होते गए। भगवान महावीर की बारह वर्ष की मौन तपस्या के बाद उन्हें केवल ज्ञान प्राप्त हुआ। केवल ज्ञान प्राप्त होने के बाद तीस वर्ष तक महावीर ने जनकल्याण हेतु चार तीर्थों साधु -साध्वी , श्रावक-श्राविका की रचना की। इन सर्वोदय तीर्थों में क्षेत्र ,काल, समय या जाति की सीमाएं नहीं थीं। भगवान महावीर का आत्म धर्म जगत की प्रत्येक आत्मा के लिए समान था। उनका कहना था कि हम दूसरों के प्रति भी वही व्यवहार व विचार रखें जो हमें स्वयं को पसंद हों। यही उनका जीयो और जीने दो का सिद्धांत है । उन्होंने न केवल इस जगत को मुक्ति का सन्देश दिया, अपितु मुक्ति की सरल और सच्ची राह भी बताई । आत्मिक और शाश्वत सुख की प्राप्ति हेतु सत्य,अहिंसा,अपरिग्रह ,अचौर्य और ब्रह्मचर्य जैसे पांच मूलभूत सिद्धांत भी बताए । इन्हीं सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारकर महावीर जिन कहलाए । जिन से ही जैन बना है अर्थात जो काम,तृष्णा ,इन्दि्रय व भेद जयी है वही जैन है। भगवान महावीर ने अपनी इन्दि्रयों को जीत लिया और जितेंद्र कहलाए। उन्होंने शरीर को कष्ट देने को ही हिंसा नही माना बल्कि मन , वचन व कर्म से भी किसी को आहत करना उनकी दृष्टि से हिंसा ही है ।क्षमा के बारे में भगवान महावीर कहते हैं- मैं सब जीवों से क्षमा चाहता हूँ। जगत के सभी जीवों के प्रति मेरा मैत्रीभाव है। मेरा किसी से वैर नहीं है। मैं सच्चे हृदय से धर्म में स्थिर हुआ हूँ। सब जीवों से मैं सारे अपराधों की क्षमा माँगता हूँ। सब जीवों ने मेरे प्रति जो अपराध किए हैं, उन्हें मैं क्षमा करता हूं। विहार मे बैकुंठपुर चर्चा पटना एवं सूरजपुर के धर्मर्थी रास्ते की सेवा कर रहे हैं महेंद्र बैद,जगत जैन,दिव्य जैन,सुनील जैन,आशीष बैद,मनोज छजेर,राकेश,धर्मचंद,सूरजपुर से श्रीपाल दोषी,श्रवण जैन,जीतू डागा, जेठू डागा, पटना से गोपाल शर्मा,रामनारायण कुशवाहा, प्रदीप जैन, सुनील जैन, अनिल जैन, मनेंद्रगढ़ से सुंदर लाल दुग्गड़, गणेशमल दुग्गड़ सहित तेरापंथ बैकुन्ठपुर, सुरजपुर व पटना से बिमला जैन, कांता जैन, पिंकी जैन, इन्दु जैन सहित अन्य महिलाओं ने अपनी सेवाऐं दी व आचार्य जी का आशिर्वाद प्राप्त किया।


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