कोरिया/एमसीबी@क्या कांग्रेस सरकार की तर्ज पर भाजपा सरकार में भी होगी राइस मिल संचालकों से अवैध वसूली?

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-रवि सिंह-
कोरिया/एमसीबी,06 फरवरी 2024 (घटती-घटना)।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में राइस मिलिंग मामले में बहुत खेल देखा गया था पर मामला पूरी तरीके से दबा रहा, यह बात अब खुलकर सामने आने लगी है जब सरकार बदल गई है इस मामले में कोरिया व एमसीबी जिले के दो दलालों की सक्रियता सामने आ रही है, अब ऐसे में सवाल यह उठता है क्या पूर्ववर्ती सरकार की तरह इस सरकार में भी राइस मिलिंग के भुगतान में भ्रष्टाचार चलता रहेगा या फिर सब कुछ नियम के तहत होगा? एमसीबी व कोरिया के दो दलाल जिनका चावल मिलिंग वाला नहीं सोसाइटी से मार्केट में बिकने वाला पहुंचता है वह भी बिना भी मलिटी परीक्षण के, पर वही दूसरे राइस मिलर के लिए पूरे नियमों का पालन अधिकारी करवाते हैं आखिर इन दोनों दलालों में ऐसा क्या है? जिसके लिए अधिकारियों के पास कोई नियम कानून नहीं है? इन दोनों दलालों के करतूत को लेकर एक बार बैकुंठपुर में उनकी गाडि़यों के साथ तोड़फोड़ भी कुछ राइस मिलर संचालकों द्वारा कर दिया गया था, क्योंकि इनकी वजह से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। यह घटना काफी पुरानी नहीं है पर 2 साल पुरानी बताई जा रही है। धान खरीदी से लेकर मिलिंग तक में कितना बड़ा खेल या कहे तो सिंडिकेट चल रहा है यह किसी से छुपा नहीं है। इससे सरकार को काफी नुकसान हो रहा है फिर भी इस पर रोक लगा पाने में मौजूदा शासन नाकाम दिख रही है। बोरा से लेकर राइस मिलिंग तक में जमकर भ्रष्टाचार है पर यह बात इसलिए दब जाती है क्योंकि यह आम आदमी से दूर की बात है सिर्फ इसमें राइस मिल संचालक व अधिकारियों का सिंडिकेट चल रहा है पर संरक्षण मंत्रियों का होता है ऐसा सूत्रों का कहना है।
राइस मिलरों की समस्याएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं…
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोरिया और एमसीबी जिले के राइस मिल व्यवसाईयों की समस्याएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं एक तरफ जिला प्रशासन का दबाव है कि अधिक से अधिक धान का उठाव कर उसकी मीलिग कर गोदामों तक पहुंचाया जाए, ताकि इस वर्ष का उत्पादन सुरक्षित हो सके लेकिन बिचौलियों और दलालों ने उस पूरे सिस्टम को बर्बाद कर डाला है एक तरफ चुनाव के पूर्व ये उम्मीद की जा रही थी कि कांग्रेस शासन में खूब भ्रष्टाचार है भाजपा सरकार आएगी भ्रष्टाचार कम होगा थोड़ी राहत मिलेगी लेकिन सभी व्यापारियों के मनसा के विपरीत भ्रष्टाचार कम होने के बजाय बढ़ता दिख रहा है एक रुपए किलो की राशि तो इन दलालों को देनी ही पड़ेगी उसके अतिरिक्त पुराने भुगतान प्राप्त करने के लिए 10 प्रतिशत और राशि दिए जाने की मांग की जा रही है नहीं दिए जाने पर पैसा डूब जाएगा ऐसी धमकी दी जा रही है समय रहते ही शासन प्रशासन इस और ध्यान नहीं दिया तो बिचौलियों और दलालों के विरुद्ध पूरा राइस मिल संगठन आंदोलन के लिए बाध्य हो जाएगा और धान परिवहन एवं मिलिंग पूरी तरह से बंद कर दी जाएगी इस बात की प्रबल संभावना दिख रही है।
दो जिले के प्रभार वाले डीएमओ की भूमिका संदिग्ध
दोनों जिलों में पदस्थ डीएमओ की स्थिति संदिग्ध है वे बीते दिवस चावल परिवहन का पैसा मार्क फेड से वर्ष खरीफ वर्ष 21-22 का करोड़ों में आया था मात्र तीन लोगों को यह पैसा दे दिया गया यह कहां का न्याय है आखिर सरकार की जिम्मेदार कुर्सी पर बैठे लोग ऐसा कृत्य कैसे कर सकते हैं वहां पर बैठने के बाद तो सभी को एक नजर से और सभी का भुगतान एक बराबर किया जाना चाहिए था आखिर किसके इशारे पर इन लोगों ने मात्र तीन राइस मिल संचालकों को पूरा भुगतान कर दिया और बाकी फाइलों में कमी बताकर उन्हें आज तक रायपुर कार्यालय में भेजा नहीं गया राइस मिल संचालकों के अनुसार उन्होंने सभी फाइलें महीना पूर्व कंप्लीट करके मार्क फेड के दफ्तर में जमा कर दिए हैं लेकिन उन फाइलों को ना भेज कर अब उनमें कुछ पेपर कम होने की कमी बताकर जानबूझकर उन्हें परेशान कर और इन दलालों की फाइलों को पूरा भुगतान कर दिया गया है इनका ऐसा कृत्य यह दर्शाता है कि मार्कफेड के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी भी पूरी तरह से उनकी गुलामी कर रहे हैं और जमकर भ्रष्टाचार मचा के रखे हैं बताया यह भी जाता है कि यह सभी अधिकारी और कर्मचारी खास कर्मचारी बारी बारी इनके साथ इनके राइस मिलों में रात गुजारते हैं और शहडोल सहित रायपुर से इनके लिए इनके मांग के अनुरूप व्यवस्थाएं भी उपलध कराई जाती हैं विभाग के कई भ्रष्ट अधिकारी अय्याशी के लिए इनके फार्म हाउस और राइस मिलों में रात हसीन करने लगातार पहुंच रहे हैं जिसका वीडियो भी जल्द ही बाजार में उपलध होने की संभावना बताई जाती है खबर तो यहां तक आ रही है कि इन दलालों ने पूर्व के एक डीएमओ को हनी ट्रैप करा चुके हैं वह अधिकारी भी इनके ऐश गाह में रात दिन ही वही पड़ा रहता था जिसका इन्होंने पूरे 5 साल खूब फायदा उठाया है चुनाव के पूर्व उसका स्थानांतरण हो गया है उसके बाद यह नए डीएमओ को अपने चुंगल में इस तरह फंसा लिए हैं और फिर से मनमानी करना प्रारंभ कर दिए हैं डीएमओ रात में इनकी डलूबीएम कार में लगातार घूम कर ऐश कर रहे हैं।
जो उनकी बात नहीं मानते उनकी फाइल घूमती रह जाती है
एक राइस मिल संचालक जिसकी मिल नेशनल हाईवे में रेलवे फाटक के पास है वह पिता पुत्रों ने इन्हें काला धन देने से मना कर दिया था इन दोनों दलालों ने कहा कोई बात नहीं मत दीजिए हम कहां मांग रहे हैं उसके बाद जो घटना घटी बड़ी भयानक थी इन्होंने जो पहले मार्क फेड सहित अन्य कार्यालय में दी थी फाइल गोल होने लग गई फाइलें दर-दर भटकती रही फाइलों पर रोज नई-नई कमी बताई जाने लग गई फाइलों में जो पेपर लगे थे वह पेपर गोल होने लग गए अधिकारी उन पर उल्टा रिकवरी की बात करने लग गए कहने वालों की कलेक्टर साहब आप से बड़ा नाराज हैं आपके राइस मिल में कभी भी छापा पड़ सकता है, आपके सभी पेपरों की जांच होगी आपके पेपर लगभग फर्जी हैं उसके राइस मिल में जांच के बहाने अधिकारी पहुंचने लगे करोड़ों रुपया जुर्माने की बात कही जाने लगी उसके चावल के सिंपल फेल किए जाने लगे चावल में कमी बताई जाने लगी इन सभी अप्रत्याशित घटनाओं से दोनों पिता पुत्र काफी परेशान हो गए उन्होंने देखा कि वे इन दोनों दलालों को भुगतान न करके बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं हार मान कर इन सभी उपरोक्त लिखित आफतों से बचने के लिए फिर इन दलालों के शरण में जा पहुंचे, दलालों ने पहले उनको खूब धमकाया और मंत्री जी सहित प्रदेश के बड़े अफसरो का हवाला देकर संगठन से बाहर नहीं जाने की धमकी दी वरना गंभीर परिणाम भुगतने को तैयार रहने को भी कहा और संगठन में बने रहने के फायदे गिनाए तब जाकर इनको मिलने वाले काले धन का भुगतान लिया…तो उसके बचे भुगतान को इन दलालो ने करवा दिया इस तरह का आतंक इनका इस पूरे क्षेत्र में व्याप्त है।
दो दलालों की ब्लैकमेलिंग राइस मिलों पर भारी
मिल रही जानकारी के अनुसार मनेद्रगढ़ के दो राइस मिल व्यापारी जो जबरदस्ती सभी राइस मिलरो से उनकी राइस मिल और कागजों में कमी बताकर अधिकारियों से जांच और कार्यवाही की धमकी देकर पिछले 5 साल से दोनों जिले के व्यापारियों से लगभग 20 करोड रुपए की लैकमेलिंग और उगाही कर चुके हैं वे इस बार नई सरकार आते ही अपना टारगेट और बढ़ा रहे हैं अब इनका कहना यह है कि 1 किलो आपको देना ही पड़ेगा उसके अतिरिक्त यदि आपको पिछला भुगतान लेना है तो जितनी भी राशि है उसका 10 प्रतिशत अभी दे दो तो भुगतान हो जाएगा वरना कांग्रेस शासन काल का मामला है वैसे भी नई सरकार वह भुगतान करने के मूड में नहीं है, ऐसा करके वे सभी राइस मिल संचालकों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है बेचारा चावल व्यापारी अब अपने आप को ठगा महसूस करने लग गया है, कई मील संचालक तो मिल बंद करने की बात कर रहे हैं तो कई यह सोच रहे हैं कि आखिर हमने इस व्यवसाय को क्यों चुना कुछ तो अपने राइस मिल को बेचकर नए व्यवसाय करने का मन बना रहे हैं इन दलालों ने अपना वज्र साम्राज्य स्थापित करने के लिए दूसरे राइस मिलों को जानबूझकर परेशान करने का नया-नया तरीका ईजाद कर इन से फिर से करोड़ों रुपए उगाही करने की तरकीब ढूंढ निकाली है जिससे सभी राइस मिल संचालक परेशान हो चले हैं।


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