बन्शू लोहार के सामने क्यों नतमस्तक हुआ नजूल विभाग अम्बिकापुर
- 01/01/1951 में जन्मे बंशु लोहार को 1967-68 में कैसे जारी हुआ पट्टा?
- राजस्व भू-नक्शा 243/10 रकबा 4 एकड़ 25 डिसमिल व खसरा 154 रकबा 2 एकड़ 30 डिसमिल भूमि की सुनवाई तत्कालीन नजूल अधिकारी नीलम टोप्पो कैसे किये तथा अपने तबादला से एक दिन पहले आदेश क्यों दिये?
- राजस्व की भूमि को नजूल भूमि में बदले में 6 महीने से भी कम समय लगने के पीछे राज क्या?
- बिना कब्जे के नजुल भूमि को बंशु लोहार को देने के पीछे राज क्या?
- आखिरकार खसरा नंबर 154 रकबा 2.30 एकड़ व 243/10 रकबा 4.25 एकड़ की भूमि के भ्रष्टाचार में आवेदक के आरोप का जॉच क्यों है लम्बित…?
- बन्शु लोहार के पट्टा निराकरण स्वीकृति आवेदन में अधूरा मोबाईल नम्बर किस भू-माफि या का…?
- छः महीने में बंशु लोहार के आवेदन का निराकरण कर क्यों करोड़ो में बेचा गया भूमि…?
- बंशु लोहार (विश्वकर्मा) पट्टा प्राप्त करते समय अंगूठा छाप था तो रजिस्ट्री के समय हस्ताक्षर कैसे किया…?
- बंशु लोहार निर्धन मजदूर के नाम पर पट्टा विवाद का निराकरण करा आनन-फ ानन में क्यों बेचा अभिषेक नागदेव,अनुशा नागदेव,शेखर अग्रवाल, महेश कुमार केडिया,सतीश शर्मा, व दिनेश कुमार को…?
- बंशु लोहार के द्वारा किये गये सभी रजिस्ट्री में दिये गये पेन कार्ड में हस्ताक्षर वाले स्थान पर पट्टी (हस्ताक्षर छुपाने) क्यों लगाया ?
- बंशु लोहार के परिजनों की माने तो उसके बैंक खाता से किसी गोलू सेठ ने पैसा क्यों निकाला?
-भूपेन्द्र सिंह-
अम्बिकापुर,05 फरवरी 2024 (घटती-घटना)। सरगुजा जिला मुख्यालय अम्बिकापुर में आये दिन भूमि विवाद से संबंधित सबसे ज्यादा मामला देखने-सुनने को मिलता है जिसका निराकरण होने में देर लगने के पीछे संबंधित विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारियों के साथ भू-माफिया का बड़ा रोल माना जाता है जिसका खामियाजा अमुमन उस भूमि में अपने खून पसीने की कमाई लगाने वाला आम जन ही भुगतता है जबकि उसके पैसे से ऐश करने वाले भू-माफि या आसानी से देखे जा सकते है। ऐसा ही एक मामला अम्बिकापुर के एम.जी.रोड स्थित राजमोहनी भवन के पीछे कई एकड़ में हो रहे दु्रर्तगति से भूमि समतलीकरण व अहाता निर्माण के रूप में देखा जा सकता है। जबकि कुछ वर्षो पहले तक वह सभी भूमि गोचर मद में दर्ज बताया व रिकार्ड में था भी लेकिन राजस्व विभाग के कारनामों के सामने सभी जनहित में काम करने वाले वेवस हो ही जाते हैं। रही बात शिकायत करने की तो ये भू-माफिया इतने पहुंच व पैसे वाले होते हैं कि सत्ता किसी भी पार्टी का हो राजस्व मंत्री से लेकर मंत्रालय,विभाग तक इनके जी-हुजूरी में ही अपना भला समझ मामले को जॉंच का चोला पहनाकर आम जनमानस के ऑखों में धूल झोंकने का कोई प्रयास नहीं छोड़ते। एक ऐसा ही मामला बंशु लोहार (विश्वकर्मा) का सामने आया है जिसमें कुछ महीने में ही आवेदन प्राप्ति के साथ निराकरण कर कई करोड़ में भूमि को बेच दिया गया।
क्या है बंशु लोहार आत्मज भुटकुल का पूरा मामला…
आवेदक की मानें तो नगर अम्बिकापुर में राज मोहनी भवन के पास मोहल्ला नमना कला अंबिकापुर में खसरा नंबर 243 स्थित है,उक्त भूमि पूर्व में 111.40 एकड़ भूमि थी। जो कालांतर में शासकीय प्रयोगों के लिए उपयोग में लाई गई और कुछ भूमि पर शासन के द्वारा पट्टा प्रदान किया गया तथा इसी से संबंधित भूमि पर व्यवहारवाद क्रमांक 41-ए-90 निर्णय दिनांक 23.09.1991 विचाराधीन था। जिस पर निर्णय पारित किया गया है और वर्तमान में उक्त भूमि का प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय,बिलासपुर में विचाराधीन है। उक्त भूमि वर्तमान नक्शे में दत्ता कॉलोनी की भूमि खसरा नंबर 243 को भूमि डिग्री भूमि 233 के भाग में फर्जी तौर से समाहित कर नक्शा तैयार किया गया है। जबकि 233 खसरा नंबर भूमि का प्रकरण व्यवहारवाद में विचाराधीन था। जिसका अभी निराकरण नहीं होना बताया जा रहा है। इसी दौरान तात्कालीन नजूल अधिकारी,अंबिकापुर के न्यायालय में भू-माफिया द्वारा बन्सु आ0 भुटकुल लोहार निवासी-फुन्दुरडिहारी,अंबिकापुर जिला सरगुजा के माध्यम से एक राजस्व प्रकरण./अ-6/2021-22 में दिनांक 06.10.2022 को आदेश पारित किया गया है कि बंशु आ0 भुटकुल के द्वारा नजूल भूमि खसरा नंबर 154,243/10 रकबा क्रमशः 0.934,1.710 भूमि का पट्टा तहसीलदार अंबिकापुर द्वारा राजस्व प्रकरण क्रमांक 1967-68 आदेश दिनांक 15.04.1968 के माध्यम से मोहल्ला नमना कला नगर अंबिकापुर में स्थित नजूल भूमि भू खण्ड क्रमांक खसरा नंबर 154, 243/10 रकबा क्रमशः 934, 1.710 का पट्टा प्रदान किया गया है। किन्तु राजस्व अभिलेखों में नाम विलोपित हो गया है। जिसके आधार पर तात्कालीन नजूल अधिकारी तथा नजूल अधिकारी के लिपिक तिवारी एवं हल्का पटवारी गणेश मिश्रा व राजस्व निरीक्षक नारायण सिंह द्वारा मिलकर शासन की 60 करोड़ रूपये की भूमि का 04 करोड़ रूपये का मिलकर भू-माफियाओं से अवैध धन की उगाही कर भ्रष्टाचार कर नियम विरूद्ध शासकीय भूमि को बंशु आ0 भुटकुल के नाम दर्ज करने का आदेश दिनांक 06.10.2022 को पारित करवा कर उक्त भूमि को अवैध प्लाटिंग कर 15-15 लाख रूपये प्रति डिसमिल से विक्रय किया जा रहा है। यह बहुत बडे भू-माफियाओं से मिलकर किया गया भूमि घोटाला है। जिसकी जांच कर दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध तथा इसमें सम्मिलित व्यक्तियों के विरूद्ध कार्यवाही किया जाना न्यायहित में जनहित के लिए आवश्यक है।
भूमि सरगुजा स्टेट सेटेलमेंट के अनुसार गोचर मद में था दर्ज
जबकि उक्त भूमि नगर सीमा से सटी हुई है,जिसके अनुसार वह भूमि राजस्व पुस्तक परिपत्र के अनुसार किसी भी परिस्थिति किसी को 01 वर्ष से अधिक के लिए कृषि कार्य से अतिरिक्त पट्टे पर प्रदान नहीं की जा सकती साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि उक्त भूमि सरगुजा स्टेट सेटेलमेंट के अनुसार गोचर मद में दर्ज है, जिसका किसी भी स्थिति में पट्टा प्रदान नही किया जा सकता है। इन सब तथ्यों का प्रकरण में विद्यमान होने के बाद भी तात्कालीन नजूल अधिकारी ने उक्त विधि विरूद्ध आदेश पारित कर शासन को 60 करोड़ रूपये की क्षति पहुंचाई है जिसकी जांच उच्च स्तरीय स्तर पर कर कार्यवाही किया जाना आवश्यक जान पड़ता है। क्योंकि यह राजस्व पत्रों की हेराफरी कर भू-माफियाओं से मिलकर तात्कालीन नजूल अधिकारी तथा उनका लिपिक और नमनाकला का हल्का पटवारी गणेश मिश्रा एवं राजस्व निरीक्षक(नजुल) नारायण सिंह और भू माफिया के द्वारा किया गया भूमि घोटाला बताया जा रहा है,जिसकी जांच करने से स्पष्ट रूप से पता चलेगा कि किस तरह से राजस्व अधिकारी भू माफियाओं से मिलकर सरगुजा जिले और खास तौर से अंबिकापुर तहसील में भूमि का करोड़ो घोटाला कर रहे हैं।
क्या छः रजिस्ट्री में शामिल गवाह संदेह के दायरे में…?
बंशु आत्मज भुटकुल लोहार के भूमि रजिस्ट्री में दस्तखत किए गवाह रमन शुक्ला,नितिश गुप्ता,अभिषेक नागदेव,आकाश कुमार अग्रवाल,तुलसी अग्रवाल,बंशु लोहार(विश्वकर्मा) को व्यक्तिगत पहचानते-जानते थे या भूमि के बंदरबाट में शामिल होने के एवज में बिना सोचे-समझे गवाही देकर रजिस्ट्रार के समक्ष दस्तखत कर उक्त भूमि के रजिस्ट्री को वैध बनाने में मदद किए?
फर्जी तौर से आगे के पन्नों में नाम उल्लेखित करने का लेख आदेश में क्यों किया गया…?
बन्सु आ0 भुटकुल लोहार निवासी-फुन्दुरडिहारी,अंबिकापुर जिला सरगुजा के मामले में उल्लेखनीय है कि राजस्व प्रकरण क्रमांक 107/अ-19/1967-68 आदेश दिनांक 15.04.1968 के अनुसार अंबिकापुर स्थित भूमि खसरा नंबर 243/10 रकबा 4.25 एकड़ भूमि बंशु आ0 भुटकुल लोहार को भूमि प्राप्त हुई। खसरा पंचशाला वर्ष 1967-68 से वर्ष 1972-73 के आधार पर वर्ष में 241 के बाद 243/11 के बीच का पन्ना पृष्ठ क्रमांक 89 एवं 90 नहीं पाया गया,जिसके आभाव में खसरा कमांक 243/10 के स्वामित्व के संबंध में उल्लेखित नहीं किया जा सका। जो यह प्रमाणित करता है, कि उक्त वर्ष के खसरा पंचशाला में उसका नाम दर्ज नहीं है,जिस कारण से उक्त खसरा पंचशाला पृष्ट क्रमांक 89 व 90 को फाड़ कर हटा दिया गया है ताकि सच्चाई प्रदर्शित न हो सके और फर्जी तौर से आगे के पन्नों में नाम उल्लेखित करने का लेख आदेश में किया गया है। यहां पर यह भी उल्लेखनीय है कि उक्तभूमि में वर्तमान में कई लोग निवासरत है तथा घनी आबादी की भूमि है, उस पर उसका कब्जा बताया जा रहा है तथा यह भी उल्लेखित किया जा रहा है कि चालू नक्शे के अनुसार भू-खण्ड कमांक 243/10 में आवेदक का कभी कजा नहीं रहा है। उसका चालू नक्शे के अनुसार 243/1 रकबा 38 एकड़,15 डिसमिल जो कि शासकीय नजूल भूमि का भाग है जो मौके पर खुली एवं परत भूमि है। उस भूमि पर कब्जा होने के कारण उसे 243/10 जो कि राजस्व भूमि बतायी गई थी के स्थान पर 243/1 में से रकबा 1.710 हेक्ट0 यानी 4 एकड़,25 डिसमिल भूमि नजूल का नामांतरण किया जाना उचित प्रतीत होने से नाम दर्ज करने का आदेश दिया गया है। यह कैसे संभव है,कि किसी को यदि कोई पट्टा राजस्व भूमि का 243/10 का यदि मिला भी होगा तो उसे उसके स्थान पर लगभग 55 साल के बाद नया भू-खण्ड 243/1 मे से 04 एकड़,25 डिसमिल भूमि में नाम दर्ज करने का आदेश दे दिया जाये साथ ही उसे राजस्व भूमि की तरह संबंधित अधिकारी ने भू माफियाओं से मिलकर तत्काल बेचने के उद्देश्य से दिनांक 07.10.2022 का नवीन संशोधन का उल्लेख करते हुए उसे 20 वर्ष पूर्ण करने के आधार पर भू स्वामी अधिकार भी प्रदान कर दिया है। राजस्व विभाग के जानकारों की मानें तो नियम विरुद्ध तरीके से लगभग 60 करोड़ रूपये की भूमि का फर्जी तौर से नामांतरण कर दिया गया। जिस व्यक्ति के नाम जमीन का नामांतरण किया गया उसका कजा कभी भी उस जमीन पर नहीं था लेकिन विभागीय सूत्रों की माने तो चार करोड़ रूपये की सेटिंग में कुछ कर्मचारियों ने फर्जी तरीके से जमीन का नामांतरण कर दिया। नामांतरण से पहले ही जमीन पर दूसरे लोगों का निर्माण था। राजस्व अभिलेखों में नाम अंकित होते ही संबंधित व्यक्ति ने उक्त जमीन को नियम विरुद्ध तरी?े से बेचना भी शुरू कर दिया है। मामले में नजूल अधिकारी व कार्यालय के एक लिपिक और नमनाकला के हलका पटवारी तथा नजूल निरीक्षक की भूमिका संदिग्ध है। मामले की शिकायत कमल सिंह व मनीष सिंह ने अलग-अलग आवेदन के माध्यम से उक्त भूमि गबन के संबंध में कलेक्टर सरगुजा से शिकायत की है पर शिकायत के एक महीना बीत जाने के बाद भी मामले में कोई ठोस कार्यवाही होता नजर नहीं आ रहा है। जबकि शिकायतकर्ताओं की मानें तो उक्त भूमि गबन के मामले में उच्च स्तरीय जांच हो जाने पर एक बड़े फ र्जीवाड़े के साथ उक्त भूमि के खरीद-फ रोख्त में शामिल नजूल विभाग के तत्कालीन अधिकारी-कर्मचारी सहित धनाड्यों के साथ दस्तावेज में कूटरचना करने वाले लोगों को जेल जाने से नहीं रोका जा सकता पर यहां सबसे बड़ी विडम्बना मामले में देखने को मिल रहा है कि इतने बड़े भूमि गबन के मामले में वह कहावत कि ‘‘बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे’’ पर अटका हुआ है।
जिला कलेक्टर सरगुजा भोस्कर विलास संदिपान ने उक्त मामले में बताया की राजमोहनी वार्ड के उक्त भूमि पर आवेदक के शिकायत एवं समाचार-पत्रों में प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेते हुए एसडीएम अम्बिकापुर फागेश सिन्हा को जांच हेतु कहा गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कार्यवाही की जायेगी।
भोस्कर विलास संदिपान, कलेक्टर सरगुजा
नजूल अधिकारी देव सिंह ऊईके अम्बिकापुर ने बंशु आत्मज भुटकुल के प्रकरण के सम्बन्ध में कहा कि यह प्रकरण हमारे समय का नहीं है। उसमें स्थगन आदेश हेतु हम कलेक्टर साहब से मागदर्शन मांगने गये थे पर स्थगन आदेश जारी नही किया गया और कलेक्टर साहब ने एसडीएम को बुलाकर प्रकरण का मूल दस्तावेज जांच हेतु दे दिया हैं तथा इस प्रकरण के सम्बन्ध में…मै और कुछ भी जानकारी नही दे सकता हूं। एसडीएम अम्बिकापुर ही इसके सम्बन्ध में बता सकते हैं।
देव सिंह उईके, नजूल अधिकारी (डिप्टी कलेक्टर)अम्बिकापुर
फ ागेस सिन्हा एसडीएम अम्बिकापुर ने कहा कि इस बंशु आत्मज भुटकुल की फ ाईल जांच हेतु प्राप्त हुई है पर जब से यह प्रकरण जांच हेतु मुझे प्राप्त हुआ,उसके बाद से मैं अवकाश में था कुछ दिन पूर्व ही आया हंू। प्रकरण की निष्पक्ष जांच की जायेगी,जांच के बाद ही मंै कुछ बता पाऊंगा।
फंगेस सिन्हा, एसडीएम अम्बिकापुर
उप पंजीयक सिद्धार्थ शंकर मिश्रा ने बताया कि रजिस्ट्री में पेन कार्ड दस लाख के उपर हुए भूमि बिक्री में अनिवार्य है हम मात्र पेन कार्ड नं. एन्ट्री करते है,पेन कार्ड में कोई कूटरचना है तो न्यायालय में परिवाद दायर किया जा सकता है तथा रजिस्ट्री में लगाये गये चेक क्र. से हमे मतलब नहीं है और पक्षकार को कोई दिक्कत नहीं है तो हमे भी कोई दिक्कत नहीं होती। आगे पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि पक्षकार हस्ताक्षर करता है या अंगुठा लगाता हैयह हमारे जांच का विषय नहीं है। हमारा काम भूमि स्वामी के द्वारा भूमि बिक्री का दस्तावेज पेश किया जाता है तो हम विक्रेता से पूछते है कि आप अपनी भूमि कितने में बेच रहे हो आप को पैसा मिला या नहीं विक्रेता के संतुष्ट होने पर ही भूमि की रजिस्ट्री की जाती है। वहीं उन्होंने आगे बताया कि हमारे यहां क्रेता-विक्रेता के समस्त दस्तावेजों का सत्यापन कर रजिस्टर्ड दस्तावेज लेखक भूमि रजिस्ट्री हेतु हमारे समक्ष प्रस्तुत करते हैं जिसके समस्त दस्तावेजो के जांच का जिम्मा उन पर ही होता है।
सिद्धार्थ शंकर मिश्रा,उप पंजीयक,अम्बिकापुर
नाला की भूमि पर पट्टा कैसे बना?
बंशु लोहार को मिले जमीन में उठते सवाल…?
– बंशु आत्मज भुटकुल लोहार फु न्दुरडिहारी निवासी है तो परसा का आधार और पेनकार्ड व निवास क्यों लगाया व दिखाया गया है?
– बंशु लोहार की जमीन के आसपास के रहवासी कितने दिनों से बंशु लोहार को जानते व पहचानते हैं?
– क्या कृषि भूमि को नजूल भूमि में लाने का अधिकार नजूल अधिकारी को था ?
– क्या गवाह बंशु लोहार को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं?
– क्या बंशु लोहार फु न्दुरडिहारी निवासी के तौर पर राजस्व निरीक्षक नारायण सिंह ने पहचान की थी?
– उक्त खाली (परती) भूमि पर कब्जा कैसे प्रदर्शित हुआ ?
– क्या अधिकारी व कर्मचारी के मिली-भगत से शासकीय भूमि का गबन किया गया ?
– भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 109 व 110 नामांतरण के लिए होता है तो राजस्व भूमि का अंतरण नजूल भूमि में कैसे हुआ?