सूरजपुर@चल रही थी शादी की तैयारी,गठित दल ने रुकवाया बाल विवाह

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बालिका को बाल विवाह नहीं करने एवं उसके कानूनी व्यावधान से कराया गया अवगत


सूरजपुर,04 फरवरी 2024 (घटती-घटना)। जिले में बाल विवाह के लिए जिले के कलेक्टर रोहित व्यास के निर्देशन में प्रशासनिक तंत्र अलर्ट पर है। जिला कार्यक्रम अधिकारी चन्द्रबेस सिंह सिसोदिया के मार्गदर्शन में महिला बाल विकास विभाग,जिला बाल संरक्षण इकाई,चाईल्ड लाईन एवं पुलिस की टीम को सूचना मिलते ही उम्र का सत्यापन कर,उम्र कम पाए जाने पर संबंधित ग्राम जाकर संयुक्त टीम द्वारा बालिका या बालक का कथन कर, विवाह ना करने कि समझाईश दी जाती है,परिजनो को बालविवाह के दुष्परिणामों और कानून की जानकारी दी जाती है और बाल विवाह करने पर होने वाले कानुनी कार्यवाही के बारे मे बताया जाता है। परिवार द्वारा विवाह नही करने की सहमति देने के पश्चात पंचनामा एवं अभिभावकों का कथन लिया जाता है।
इसी क्रम में ग्राम रविन्द्रनगर,पो. अजबनगर, निवासी रोहित मंडल के घर पर नाबालिक का बाल विवाह किये जाने की सूचना जिला कार्यक्रम अधिकारी को प्राप्त हुई। जैसे ही जानकारी प्राप्त हुई,बाल विवाह रोकने हेतु गठित दल को अलर्ट कर कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिये गये। दल द्वारा ग्राम में पहूॅच कर देखा गया तो शादी की तैयारी चल रही थी। बालिका के पिता से पूछताछ करने पर बताया गया कि वह शादी नही कर रहे बल्कि सगाई का कार्यक्रम है। परंतु बालिका के पिता रोहित मंडल को बाल विवाह नहीं करने एवं उसके कानूनी व्यावधान से अवगत कराया गया। जिस पर रोहित मंडल द्वारा बताया गया की वह अपनी बेटी की शादी आज कर रहे है। संयुक्त टीम द्वारा बाल विवाह अधिनियम 2006 के तहत समझाइस देते हुए इस विवाह की तिथि को 06 माह और आगे बढ़ाने के संबंध में समझाईस दिया गया। संयुक्त टीम द्वारा दिये गये समझाईश को मानते हुए अब शादी नहीं कर के आगामी 6 माह बाद जब बालिका की आयु 18 वर्ष पूर्ण हो जाने के पश्चात शादी करगें पर अपनी सहमती दी। इस शादी को नहीं करने के संबंध में पंचनामा तैयार किया गया। जिस पर परिवारजनों एवं बालिका के पिता ने हस्ताक्षर किया।
आप अवगत है कि बाल विवाह केवल एक सामाजिक बुराई ही नहीं अपितु कानूनन अपराध भी है। बाल विवाह से बच्चों का सर्वागीण विकास प्रभावित होता है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनिमय 2006 के अंतर्गत बाल विवाह करने वाले वर एवं वधु के माता-पिता, सगे संबंधी, बाराती यहॉ तक कि विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी काननी कार्यवाही की जा सकती है। इसके अतिरिक्त यदि वर या कन्या बाल विवाह पश्चात विवाह को स्वीकार नहीं करते है तो बालिंग होने के पश्चात विवाह को शून्य घोषित करने हेतु आवेदन कर सकते है। बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण,शिशु-मृत्यु दर एवं मातृ-मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है एवं बाल विवाह बालकों के सर्वोाम हित में नहीं है। अतः इसकी पूर्ण रोकथाम किया जाना आवश्यक है।
उक्त कार्यवाही में जिला बाल संरक्षण इकाई से संरक्षण अधिकारी संस्थागत अखिलेश कुमार सिंह, चाईल्ड लाईन से टीम समन्वयक कार्तिक मजूमदार, प्रकाश राजवाडे,शितल सिंह, महिला बाल विकास विभाग से पर्यवेक्षक दुर्गावती कूजूर,पुलिस थाना-जयनगर से हेड कान्सटेबल ब्रिज किशोर ध्रव,श्याम सिंह एवं दिनेश ठाकुर उपस्थित रहे।


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