नई दिल्ली@दिल्ली में सेक्स रैकेट का भंडाफ ोड़

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नई दिल्ली,28 जनवरी 2024 (ए)। झारखंड में पहाड़ों पर रहने वाली आदिम जनजाति समुदाय की लड़कियों को दिल्ली में अच्छी नौकरी दिलाने का झांसा देकर दिल्ली लाकर घरेलू सहायिका की नौकरी दिलवा शोषण करने का बड़ा मामला सामने आया है। मानव तस्करी का यह नया मामला सामने आया है।
विलुप्त हो रही इस जनजाति की गरीबी का फायदा उठाकर मानव तस्करी के धंधे से जुड़¸े आरोपित उन्हें दिल्ली लाकर पहले उनका यौन शोषण करते थे फिर उन्हें अवैध प्लेसमेंट एजेंसी के जरिये अमीर लोगों के यहां घरेलू सहायिका की नौकरी लगवा देते थे।


घरेलू सहायिका मुहैया कराने के एवज में प्लेसमेंट एजेंसी मालिक लोगों से 11 माह का एक मुश्त कमीशन के तौर 40-50 हजार रुपये तो लेता ही था, साथ ही पांच से छह हजार रुपये मालिक तनख्वाह के रूप में वह तीन माह का एडवांस पेमेंट भी ले लेता था। उक्त पेमेंट भी प्लेसमेंट एजेंसी मालिक खुद ही रख लिया करता था।
वह न तो घरेलू सहायिका और न ही उनके स्वजन को पेमेंट देता था। झारखंड पुलिस ने इस मामले में कुछ गैर सरकारी संस्थाओं व दिल्ली पुलिस के सहयोग से दिल्ली के विभिन्न थाना क्षेत्रों से 14 नाबालिग लड़कियों को मुक्त कराया है।


इस मामले में झारखंड पुलिस ने फिलहाल मानव तस्करी की धारा में मुकदमा दर्ज कर प्लेसमेंट एजेंसी मालिक रजनी शाहा, उसके साथ काम करने वाला एजेंट अंसारूल व झारखंड के साहेबगंज में तैनात ग्राम सेवक महेश शाहा को गिरफ्तार कर लिया है। तीनों को ट्रांजिट रिमांड पर झारखंड ले जाया गया है।
पिछले एक हफ्ते में अलग-अलग जगहों से 14 लड़कियां मुक्त कराई गई हैं, उनकी उम्र 12-17 साल है। रेस्क्यू ऑपरेशन अभी जारी है। मुक्त कराई गई लड़कियों में दो ने रजनी शाहा व उसके साथी गोविंद पर कई बार दुष्कर्म करने का आरोप लगाया है।
महेश शाहा व रजनी शाहा दोनों मानव तस्करी मामले का मास्टरमाइंड हैं। दोनों झारखंड के साहेबगंज के रहने वाले हैं। रजनी ने आदिम जनजाति समुदाय की युवती चुडकी से शादी कर मानव तस्करी के मकसद से पत्नी को लेकर एक साल पहले दिल्ली आ गया था और फतेहपुर बेरी इलाके में चुडकी एचआर सर्विसेज नाम से फर्जी प्लेसमेंट एजेंसी खोल लिया था।इसी प्लेसमेंट एजेंसी की आड़ में रजनी एक साल के दौरान 36 आदिम जनजाति समुदाय की नाबालिग लड़कियों को दिल्ली में घरेलू सहायिका की नौकरी लगवा चुका है। इनमें चंद बालिग लड़कियां भी शामिल हैं, जिन्होंने अपनी मर्जी से घरेलू सहायिका की नौकरी करने की बात कही है। इसलिए एनजीओ व पुलिस उन्हें रेस्क्यू नहीं कर पाई।


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