- क्या सेवानिवृत होने के बाद विवादों में रहने वाले एमसीबी जिले के सीएमएचओ हटेंगे?
- कांग्रेस शासन काल में शिकायतों व आंदोलन के बाद भी नहीं हटाए गए थे सीएमएचओ,क्या अब भाजपा शासनकाल में हटाए जाएंगे?
- जिला मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी इस्तीफा देने के बाद भी आज तक जिले में क्यों है विराजमान?
- जिला मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी स्वयं का क्लीनिक खोल धन कमाने में व्यस्त
- क्षेत्रवासियों के बेहतर स्वास्थ्य सुविधा शासकीय चिकित्सालय में क्यों नहीं देना चाहते सीएमएचओ एमसीबी…निजी अपने क्लीनिक में बुलाना उनकी पहली प्राथमिकता क्यों?
-रवि सिंह-
मनेन्द्रगढ़,19 जनवरी 2024 (घटती-घटना)। नवीन जिले एमसीबी में स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी जिस चिकित्सक के पास है वह सेवानिवृत्त हो चुके हैं और साथ ही वह निजी क्लीनिक जांच केंद्र के संचालक भी हैं। जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था सम्हालते हुए वह दो दो पदों की जिम्मेदारी भी निभाते चले आए हैं और फिलहाल बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं, चिकित्सक विवादों में भी रहने की फितरत रखते हैं साथ ही कई बार विवाद काफी बड़े भी इनके सामने आए हैं फिर भी वह पद पर बने हुए हैं और जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को बट्टा लगा रहे हैं। पुरवर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कई बड़ी शिकायतों और कई विरोध प्रदर्शनों के बावजूद इन्हे पद से नहीं हटाया गया था वहीं अब जबकि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो चुका है जिले की भी दोनो विधानसभाओं में भाजपा विधायक निर्वाचित हो चुके हैं साथ ही एक विधायक जिले के प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए हैं ऐसे में क्या अब जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए नए जिला मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी? वर्तमान सीएमएचओ जो वर्षों से ही एक ही जगह पदस्थ रहते चले आए वहीं खंड चिकित्सा अधिकारी से लेकर सीएमएचओ तक बनाए गए उनकी कार्यप्रणाली से लोग खुश नहीं हैं यह कई बार देखा गया है महसूस किया गया है।
ज्ञात हो की एमसीबी जिला नवीन जिला है वहीं अभी भी जिले में जिला स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं का आभाव है जिसके कारण मरीजों को कोरिया जिले के जिला चिकित्सालय के भरोसे ही रहना पड़ता है वहीं सीएमएचओ की कार्यप्रणाली जो जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बेहतर नहीं है वह निजी क्लीनिक और निजी जांच सेंटर में ही व्यस्त रहते हैं ऐसे में उन्हे अब जिम्मेदारी से मुक्त करना जरूरी हो गया है जिससे जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था सुदृढ़ हो सके। वर्तमान जिम्मेदारी सम्हाल रहे चिकित्सक शासकीय चिकिसालय में भी शुल्क लेकर कई ऑपरेशन करते आए हैं क्योंकि वह शल्य चिकित्सक हैं जिसका वह फायदा उठाते रहते हैं इसलिए भी उनका जिले के मुख्य पद से हटना आवश्यक हो गया है। लोगों को नई सरकार से उम्मीद है की वह जल्द ही जिले में नए सीएमएचओ की पदस्थापना करेगी और जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करने की कोशिश करेगी। स्वास्थ्य मंत्री जो जिला मुख्यालय के विधायक भी हैं उनसे जिले वासियों को उम्मीद है की वह अब जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करेंगे और मनमानी करने वाले प्रभारी अधिकारी की छुट्टी करेंगे।
निजी क्लीनिक,जांच केंद्र को देते हैं प्राथमिकता,तदुपरांत जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर देते हैं ध्यान
मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी एमसीबी जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की जिम्मेदारी अपने निजी क्लीनिक जांच केंद्र के कार्य निपटने के बाद निभाते हैं,अपने क्लीनिक सहित जांच केंद्र के लाभ के बाद इन्हे जिले के लोगों के स्वास्थ्य की चिंता होती है। जो शुल्क देकर इनके पास इलाज कराने तैयार होते हैं उनका इलाज यह मन से करते हैं वहीं जो इनकी फीस देने से मना करते हैं उन्हे फिर इलाज के लिए भटकना पड़ता है । कई बार ऐसी स्थिति भी निर्मित होती है की मरीज की हालत ज्यादा खराब भी हो जाती है। इनकी मनमानी रोकने वाला फिलहाल तो कोई नहीं है अब नए स्वास्थ्य मंत्री से ऐसी उम्मीद है की वह इनकी मनमानी पर नकेल लगाएंगे।
मरीजों से नहीं है अच्छा व्यवहार,कई बार विलंब से आने के कारण हो चुकी है मरीज की मौत
मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी शल्य चिकित्सक हैं वहीं जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं,इनका व्यवहार मरीजों के प्रति अच्छा नहीं है वहीं कई बार इनके विलंब से हॉस्पिटल पहुंचने के कारण मरीजों की जान भी चली गई है। विगत वर्षों एक मामले में एक घायल की मौत इनके घंटों विलंब से आने के कारण हुई थी वहीं तब इनका विरोध हुआ था जिसमे यह स्वास्थ्य मंत्री तत्कालीन वहीं क्षेत्रीय विधायक से सांठगांठ कर बच निकले थे जबकि उस मामले में इन्हे हटना पड़ता।
आरोप शिकायत से फर्क नहीं पड़ता,क्योंकि ऊंची पकड़ ही उनके बचने का एक मात्र सहारा है…
मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी एमसीबी की शिकायतें कई बार हुईं कई आंदोलन भी हुए लेकिन उन्हे इसका फर्क पड़ता नहीं दिखा। पुरवर्ती सरकार में वह स्वास्थ्य मंत्री के चौखट पर जाकर माथा टेक आते थे और बच निकलते थे। पिछली सरकार के कार्यकाल में अपनी शिकायतों से बचने के लिए इन्होंने ऐसा जुगाड लगाया था की शिकायत कर्ताओं को खुद क्षेत्रीय विधायक की मौजूदगी में सीएमएचओ से भरी सभा में माफी मांगनी पड़ी थी। सीएमएचओ अपनी ऊंची पकड़ के कारण तब तो उनसे भी माफी मंगवा कर बच निकले थे लेकिन अब देखना है की आगे उनका जुगाड नई सरकार में चलता है की नहीं। वैसे सीएमएचओ अभी भी अपना जुगाड को भिड़ाने में लगे हुए हैं और वह फिर से स्वतंत्र रहकर अपनी मनमानी कर सकें यह उनका प्रयास जारी है। वैसे स्वास्थ्य मंत्री साथ ही शहर विधायक उनकी मंशा पूरी होने देते हैं या नए सीएमएचओ की पदस्थापना कर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारते हैं यह देखने वाली बात होगी।
लगभग 30 साल से एक ही जगह पदस्थ
मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी एमसीबी 30 वर्ष से एक ही जगह पदस्थ हैं,खंड चिकित्सा अधिकारी सहित मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी की दोहरी जिम्मेदारी भी वह निभाते चले आए हैं लेकिन उनका तबादला अन्यत्र करने की कभी किसी ने हिम्मत नहीं की। निजी क्लीनिक जांच केंद्र दवा दुकान का भी वह संचालन करते आ रहे हैं वहीं शल्य चिकित्सक होने के नाते शासकीय चिकिस्तालय में आने वाले उन मरीजों को जिन्हे किसी कारण ऑपरेशन की जरूरत है उन्हे वह शुक्ल लेकर शल्य चिकित्सा का लाभ प्रदान करते रहे हैं जबकि उन्हे यह काम निशुल्क करना चाहिए था। शुक्ल लेकर निजी अपने क्लीनिक या शासकीय क्लीनिक या शहर के किसी भी निजी क्लीनिक में यह खुद ऑपरेशन करने जाते रहते हैं और यह इसलिए संभव होता है की शासकीय रूप से स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी सम्हालने के कारण अन्य निजी क्लीनिक संचालक इनके प्रभाव में रहते रहे हैं विरोध की स्थिति में वह कभी आने की सोच भी नहीं पाते थे। कुल मिलाकर शासन से वेतन लेकर इन्होंने निजी व्यवसाय जारी किया हुआ है और हर इलाज का शुल्क लेना इनकी फितरत है।
क्या राजनीतिक पार्टियों के फाइनेंसर है?
मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी 30 वर्षों से एक ही जगह जमे हुए हैं। इस बीच वह बीएमओ,सीएमएचओ भी बने रहे जिस पद पर आज भी विद्यमान हैं। पहले सरकार भाजपा की थी 15 वर्ष तब भी इनकी मनमानी वैसी ही थी जैसी तब थी जब पांच सालों के लिए कांग्रेस की सरकार प्रदेश में थी,अब पुनः भाजपा की सरकार है और अभी भी यह मनमानी अपनी बरकरार रखे हुए हैं,अब सवाल यह उठता है की क्या यह राजनीतिक दलों के फाइनेंसर हैं जिस वजह से इन्हें रोकने टोकने या इनकी मनमानी रोकने वाला कोई नहीं है,वैसे यदि ऐसा है तो यह जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है। जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए इन्हे अब हटाया जाना जरूरी है जिसकी उम्मीद अब नए स्वास्थ्य मंत्री से लोगों की है।