उच्च न्यायालय के आदेश को भी तहसील न्यायालय खड़गवां ने किया दरकिनार
-राजेन्द्र शर्मा-
खड़गवां,16 जनवरी 2024 (घटती-घटना)। कृषि हेतु आवंटित भूमि पर बनने व्यवसायिक दुकान का निर्माण किए जाने की स्थानीय ग्रामीणों ने छत्तीसगढ़ शासन के मुख्यमंत्री संभाग आयुक्त सरगुजा कलेक्टर से लिखित शिकायत की है शासन के द्वारा कृषकों को भू आवंटित भूमि पर व्यवसायिक दुकान निर्माण कार्यों पर रोक लग कर इसकी जांच कर राज्य शासन ने कृषक को भूमि जिस उद्देश्य के लिए आवंटित की है उसका उपयोग ना कर दूसरों को गुपचुप तरीके से बिक्री कर भू आवंटित भूमि पर व्यवसायिक दुकान निर्माण किया जा रहा है इस तरह के भू आवंटित भूमि के पट्टे को निरस्त करने की मांग की है। शासन ने कृषकों भूमि जीविकापार्जन के लिए प्रदान कि है उसे बिक्री कर व्यवसायिक दुकान निर्माण कार्य के लिए प्रदान नहीं किया गया है। इस भू आवंटित भूमि का उपयोग किया जा रहा है। इसकी जांच कर इस पट्टे को निरस्त कर भूमिहीन किसान को भूमि प्रदान करें जिससे भूमि हीन किसान अपनी जीविका पार्जन कर सकें ।
इन गरीब कृषकों की गरीबी का पूरा फायदा उठाकर उन्हें राशि देकर बाद में राशि का याज दर सहित राशि वापस करने का दबाव बना कर सड़क किनारे की जमीनों पर कब्जा कर व्यावसायिक दुकान का निर्माण कर रहे हैं भूमि खसरा नंबर 428/3 रमेश कुमार के नाम पर अंकित है इस खसरा नंबर 428/3 रकबा 0.31हे के कुछ भाग पर व्यवसायिक दुकान का निर्माण कार्य किया गया है वो दूसरे व्यक्ति के द्वारा जो इस भूमि को खरीदी किया है । इस व्यक्ति के द्वारा इस खसरा नंबर 428/3 रकबा 0.31हेश से लगभग इससे कुछ भाग वहां पर पांच से सात डिसमिल जमीन इस पट्टे दार रमेश कुमार से गुपचुप तरीके से खरीदी गई है।जबकि राजस्व विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी को इन सब की जानकारी होने के बाद भी निर्माण स्थल पर अपने जांच रिपोर्ट में पट्टे दार के द्वारा स्वयं व्यवसायिक दुकान बनाया जाना बताया गया है।
जबकि राजस्व निरीक्षक के द्वारा कृषक भूमि पर व्यवसायिक दुकान बनाने का कोई दस्तावेज पट्टे दार ने प्रस्तुत नहीं किया और इस भू आवंटित भूमि पर व्यवसायिक दुकान या पक्का मकान बनने कि अनुमति नहीं होने का जांच प्रतिवेदन में राजस्व निरीक्षक ने अपने जांच प्रतिवेदन में उल्लेख किया गया है और जांच प्रतिवेदन तहसील न्यायालय में प्रस्तुत भी किया गया उसके बाद भी किसी प्रकार की कार्यवाही का ना होना ये साफ प्रदर्शित करता है कि तहसील न्यायालय से ही भ्रष्टाचार कर शासन के द्वारा आवंटित भूमि पर व्यवसायिक दुकान निर्माण किसी दूसरे व्यक्ति के द्वारा किया जा रहा है जिसके कुछ सबूत भी मौजूद है जांच पर उपलध करा दिए जाएंगे ?
तहसीलदार ने मात्र 16 दिन में हटाया स्थगन आदेश
उसके बाद खड़गवां तहसीलदार के द्वारा महज 16 दिनों में मामले से स्थगन आदेश हटा दिया गया वो भी अपने आदेश में ये कहते हुए की मकान का निर्माण कार्य किया जाना नहीं पाया गया है जबकि इस मामले में राजस्व निरीक्षक का जाच प्रतिवेदन एवं पंचनामा स्थगन आदेश आदि सभी दस्तावेज संलग्न होने के बाद न्यायालय तहसीलदार खड़गवां ने महज चंद दिनों में स्थगन आदेश हटा दिया गया जबकि जांच राजस्व निरीक्षक के जांच प्रतिवेदन में किसी भी प्रकार के कोई अनुमति के दस्तावेज नहीं होने की पुष्टि होने के बाद भी इतनी जल्दी स्थगन का हटाया जाना अपने आप में एक सवाल खड़े कर रहा है ? प्रशासन के बिना अनुमति के धड़ल्ले से कृषि भूमि पर व्यावसायिक दुकान तैयार किया गया है जबकि उक्त भूमि पर व्यावसायिक दुकान निर्माण पूर्णतः भूमि पर प्रतिबंधित हैं।
अधिकारियों के सामने ही हो रहा कारनामा
इस भूमि के आवंटित पटे में स्पष्ट निर्देश भी लिखे गए हैं कि पट्टेदार को उक्त भूमि का उपयोग केवल कृषि प्रयोजनों के लिए ही करेगा वह उक्त भूमि या उसके किसी भाग का उपयोग किसी अन्य प्रयोजन के लिए नहीं करेगा? पटेदार उक्त भूमि या उसके किसी भाग पर स्थायी स्वरूप की कोई संरचना खडी नहीं करेगा किन्तु वह कृषि प्रयोजनों के लिए अस्थायी शेड का निर्माण कर सकेगा? पटेदार भूमि में अपने अधिकार या उसके किसी भाग को बिक्री भेंट बंधक उप – पट्टा या अन्य प्रकार से अंतरित नहीं करेगा और ऐसी प्रत्येक बिक्री भेंट बंधक उप-पट्टा या अन्य प्रकार से किया गया अंतरण निष्प्रभावी होंगा? उसके बाद भी उक्त भूमि पर धड़ल्ले से राजस्व विभाग के अधिकारियों सामने किया जा रहा है। पूर्व में हुई शिकायत में राजस्व अधिकारियों के द्वारा खसरा नंबर 428/3 रकबा 0.31 हे.पर शासन द्वारा भू-बंटन की भूमि है इसके कुछ हिस्से में व्यवसायिक दुकान का निर्माण किया गया है।
जांच प्रतिवेदन के बाद भी किया गया दुकान निर्माण
जांच प्रतिवेदन में राजस्व निरीक्षक ने शासन द्वारा प्रदाय भूमि का उल्लेख किया है और पक्का मकान बनना 1380 वर्ग फीट में बन रहा है इसका भी उल्लेख अपने जांच रिपोर्ट में न्यायालय में पेश किया गया है ।उसके बाद भी व्यवसायिक दुकान निर्माण कार्य किया गया है। उस जांच प्रतिवेदन में राजस्व निरीक्षक के द्वारा स्पष्ट उल्लेख भी किया गया है कि ये भू आबंटित कृषि से भूमि है जो किसान को जीविकापार्जन हेतु प्रदान है इस पर जो मकान का निर्माण किया जा रहा है कृषि कार्य हेतु प्राप्त भूमि है कृषि कार्य भूमि के भिन्न प्रयोजन हेतु भूमि का प्रयोग किया जा रहा है एवं भिन्न प्रयोजन उपयोग हेतु कृषक के द्वारा किसी प्रकार का कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया है। इस जांच प्रतिवेदन के आधार से न्यायालय तहसीलदार खड़गवां में मामला क्रमांक 262 / 2022–2023 को मकान निर्माण कार्य पर स्थगन आदेश दिनांक 8.6.2023 को दिया गया था।