बैकुण्ठपुर,@स्वामी विवेकानंद ने सही कहा था…मैं जो दे गया वह डेढ़ हजार वर्ष की खुराक है: रूप

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डॉ. रामचंद्र सिंहदेव कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र कोरिया में मनाया गया राष्ट्रीय युवा दिवस
बैकुण्ठपुर,13 जनवरी 2024 (घटती-घटना)। युगपुरुष विश्व बंधुत्व वसुदेव कुटुंबकम के सूत्र वाहक महान दार्शनिक विभूति स्वामी विवेकानंद के जन्म जयंती पर शहर के खरवत गेज डेम परिसर स्थित स्व0 डॉ रामचंद्र सिंहदेव कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र में राष्ट्रीय सेवा योजना अंतर्गत बीते 12 जनवरी 2024 को राष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन किया गया कार्यक्रम में सर्वप्रथम युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद के छायाचित्र पर मुख्य अतिथि एस0के0 ‘रूप’द्वारा दीप प्रज्वलन एवम माल्यार्पण किया गया। उक्त कार्यक्रम की अध्यक्षता अधिष्ठाता डॉ डी0के0 गुप्ता ने की। पश्चात कार्यक्रम की रूपरेखा पर सारगर्भित प्रकाश डाला डॉ संजय कुमार धृतलहरे ने। अधिष्ठाता के द्वारा युवा दिवस पर छात्रों को संबोधित करते हुए कहा गया कि स्वामी जी के मार्ग का अनुसरण करते हुए विद्यार्थी अपना भविष्य उज्जवल करें। राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यों और महाविद्यालय कार्यों पर भी प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वर्ल्ड रिकॉर्ड धारी साहित्यकार कवि, एक दैनिक खबर के सूरजपुर संस्करण संपादक एस. के.‘रूप’ ने युवाओं को संबोधित करते हुए स्वामी विवेकानंद के उपदेशों और ग्राह्य नीतियों को स्पष्ट करते हुए जीवन संघर्ष आदि पर विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए कहा कि ‘स्वामी विवेकानंद जी का संपूर्ण जीवन एक ऐसा महा अध्याय है जिसका एक पन्ना भी युवा अपने हृदय में उतार ले तो वह सफल ही नहीं अपितु बदलावकारी भी होगा और अपने प्रभाव द्वारा जग वंदनीय होकर जीवमात्र पर दया नही, शिवज्ञान से जीव सेवा के स्वामी जी के ही मूल मंत्र को सफल करेगा।उन्होंने स्वामी जी के जन्म के प्रभाव, युवावस्था की घटनाएं, पढ़ाई पिता का अवसान, स्वामी रामकृष्ण से मिलन, ईश्वरीय अनुभूति, खेतड़ी नरेश से विवेकानंद का नाम मिलना और सनातन वैदिक धर्म के प्रतिनिधि के रूप में विश्व सर्व धर्म सम्मेलन शिकागो अमेरिका में 11 सितंबर 1893 को विभिन्न देश के बड़े-बड़े धर्म गुरुओं के सामने भारत देश को विश्व गुरु बनने तक के सफर के साथ, प्रकाशीय वक्ता तूफानी हिंदू सन्यासी का नाम, विदेश की जमीन पर स्वामी विवेकानंद के बैनर पोस्टर फ्लेक्सी छपना, वहां के समाचार पत्रों ने स्वामी विवेकानंद को स्पष्ट रूप से यह कह दिया था कि हम नहीं जानते थे कि भारत देश में स्वामी विवेकानंद सरीखे लोग भी हैं इसके साथ ही सन 1893 से 1897 तक विदेश में उनका आदर सत्कार प्रवचन भाषण उद्बोधन का सतत चलना, इसी तरह प्राचीन भारतीय वैदिक संस्कृति धर्म को लेकर जाने वाले स्वामी जी कैसे नव विश्व गुरु भारत तक आ गए इस पर मुख्य अतिथि ने विस्तार पूर्वक प्रकाश डालते हुए युवाओं को प्रेरित किया। श्री रूप ने कहा कि ‘स्वामी विवेकानंद ने स्वयं कहा था कि मैं जो दे गया वह डेढ़ हजार वर्ष की खुराक है, यह संभव है लेकिन उस खुराक को समझ पाने में ही एक सबल,और सफल राष्ट्र का निर्माण संभव है उन्होंने कहा कि मात्र 39 वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानंद ने महा समाधि ले ली किंतु युवाओं को ब्रह्मचर्य वीर्यओजवान, बलशाली स्नायु फौलादी,दुर्बलता को दूर कर अनंत साहस, अनंत धैर्य,अनंत शक्ति व अनंत आत्मविश्वास से उçाष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत कठोपनिषद के सूत्र वाक्य को दिया ।श्री रूप ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि स्वामी जी के अनुसार अगर आप समय से आगे चलने को प्रतिबद्ध होते हैं तो उपहास विरोध और स्वीकृति के दौर से गुजरना पड़ता ही है। कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ. संजय कुमार घृतलहरे, सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रभारी द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, इंजी. कमलेश कुमार के साथ-साथ महाविद्यालय के प्राध्यापकगण डॉ. राहुल आर्य, डॉ. एन. के. मिश्रा, पुनेश्वर सिंह पैकरा, डॉ.संदीप नवरंग, डॉ. जान्हवी, अंकुर गुप्ता, ममता साहू सहित कौशल कुमार (प्रयोगशाला परिचारक), पी. के. ध्रुव (सहा. वर्ग- 1) विजय प्रकाश सलीब कुजूर, पूनम सिंह, प्रभात गुप्ता, उर्मिला, राजेश्वरी, के.के.साहू, सुदामा, विष्णु, सूरज एवं महाविद्यालय के छात्र-छात्रायें आदि उपस्थित रहे। राष्ट्रीय सेवा योजना, कार्यक्रम अधिकारी डॉ. राहुल आर्य द्वारा राष्ट्र निर्माण में युवा की महत्व पर प्रकाश डाला गया।
500 रूपए का नगद पुरस्कार प्रदान किया
कार्यक्रम में युवाओं ने मुख्य अतिथि से संवाद भी किया। श्री रूप ने छात्र-छात्राओं से कुछ प्रश्न किया जिसका सही और शदस: सही जवाब देने के कारण बीएससी प्रथम वर्ष के छात्र दिनेश कुमार तिर्की को मंच पर बुलाकर सराहना करते हुए 500 रु0का नगद पुरस्कार प्रदान किया जिससे छात्र प्रसन्न हुआ और अन्य को प्रेरणा भी मिली।


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