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एमसीबी @आईजी सरगुजा के स्थानांतरण आदेश को अप्रभावी करने के लिए कब तक चिकित्सा अवकाश में रहेंगे एमसीबी जिले के पुलिसकर्मी?

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-रवि सिंह-
एमसीबी 13 जनवरी 2024 (घटती-घटना)।
एमसीबी जिले से स्थानांतरित किए गए तीन पुलिसकर्मी आज तक अपनी नवीन पदस्थली पर नहीं पहुंच सके हैं, उन्होंने एमसीबी जिले से तो रवानगी ले ली है लेकिन वह अपनी आमद देने नवीन पदस्थापना जिले में नहीं पहुंचे हैं चिकित्सा अवकाश लेकर वह अपने स्थानांतरण आदेश में संशोधन चाहते हैं ऐसा बताया जा रहा है। जैसा की पहले भी खबरों के माध्यम से इस विषय पर अवगत कराया गया था की एमसीबी जिले के कुछ चर्चित प्रधान आरक्षक और आरक्षक का आईजी सरगुजा ने निरीक्षण उपरांत वापस लौटते ही स्थानांतरण कर दिया था और यह स्थानांतरण मिली शिकायतों के आधार पर किया गया था जिसके अनुसार उनकी कोई त्रुटि पाई गई थी या जिनकी कार्यशैली को लेकर कोई बात समाने आई थी, आईजी सरगुजा ने पूरे सरगुजा रेंज में ऐसे तबादले किए थे और जिसमे कई जिलों के पुलिसकर्मी शामिल थे जिन्हे एक जिले से दूसरे जिले में संभाग स्तर पर भेजा गया था जिससे बेहतर पुलिसिंग हो सके। अधिकांश पुलिसकर्मियों ने तो आईजी के आदेश का पालन करते हुए नवीन पदस्थापना स्थल पर जाकर अपनी रवानगी तत्काल दे दी थी वहीं एमसीबी जिले के तीन पुलिसकर्मी आज तक रवानगी देने नहीं पहुंचे जिन्हे बलरामपुर जिले के लिए स्थानांतरित किया गया है।
क्या एक उप निरीक्षक सुर्खियों में बने रहने वाले पुलिसकर्मियों के बन चुके हैं मसीहा…
स्थानांतरित पुलिसकर्मियों को मनचाही पदस्थापना दिलाने का उठा चुके जिम्मा? कई सुर्खियों में रहने वाले पुलिसकर्मियों का विभाग तबादला करता चला गया और वह अलग अलग जगह भेजे जाते गए। एक जगह वर्षों मनमानी करने के बाद विभाग ने ऐसे पुलिसकर्मियों को इसलिए अन्य जगह स्थानांतरित किया जिससे पुलिस पर से लोगों का विश्वास कम न हो विश्वास कायम बना रह सके। इसी तारतम्य में एमसीबी जिले कई पुलिसकर्मियों का समय समय पर तबादला किया गया जिसमे कुछ निरीक्षक से लेकर आरक्षक तक स्थानांतरित किए गए। हालिया जारी तबादला सूची में तीन पुलिसकर्मियों का तबादला आईजी सरगुजा ने किया जो फिलहाल चिकित्सा अवकाश लेकर तबादला आदेश निरस्त कराने में लगे हुए हैं और जिसका जिम्मा एक उप निरीक्षक ने ले रखा है जो मंत्रियो नेताओं से संपर्क कर तबादला रुकवाने में लगे हुए हैं, पुलिसकर्मियों के लिए फिलहाल मसीहा हैं वहीं अब यह भी बताया जा रहा है की उक्त उप निरीक्षक ने कई अन्य पुलिसकर्मियों के भी तबादले को निरस्त कराने या अन्य अच्छी जगह पदस्थ कराने का जिम्मा ले लिया है। सूत्रों का माने तो उप निरीक्षक ने एक ऐसे ही निरीक्षक के भी तबादले का जिम्मा अच्छी जगह कराने का लिया है जो फिलहाल बीजापुर में पदस्थ हैं और पहले एमसीबी में पदस्थ थे। उप निरीक्षक ने बताया जाता है की निरीक्षक को आश्वस्त कर दिया है यह तक एक मंत्री से मुलाकात भी कराया है की वह जल्द ही बीजापुर की जगह मैदानी क्षेत्र में नजर आएंगे और इसके लिए उनका प्रयास जारी है। अब देखना है की क्या सचमुच एक उप निरीक्षक अब मंत्री नेताओं से मिलकर पुलिस विभाग में अपनी धौंस जमाएगें या उनका प्रयास प्रयास ही रह जायेगा?
एमसीबी जिले के तीनो पुलिसकर्मी अपने स्थानांतरण आदेश में संशोधन के जुगाड़ में
एमसीबी जिले के तीनो पुलिसकर्मी अपने स्थानांतरण आदेश में संशोधन के जुगाड में लगे हुए हैं वहीं वह अपनी पहली पदस्थापना से हटना नहीं चाहते इसलिए उन्होंने चिकित्सा अवकाश लेकर फिलहाल अपना प्रयास जारी रखा हुआ है जिसमे उनका तबादला रुकवाने का जिम्मा एक उप निरीक्षक के जिम्मे है जो अब पुलिसकर्मियों को उनकी पसंद की जगह लाने ले जाने लगातार नेताओं मंत्रियो के संपर्क में हैं और तबादला निरस्त कराकर वह आईजी सरगुजा को भी यह जतलाना चाहते हैं की उनका संपर्क और उनकी पकड़ ऊंची है और वह जैसा चाहेंगे वही अब संभाग स्तर पर होगा पुलिस विभाग में अन्य अधिकारियों को वह अपने हिसाब से चलने नहीं देंगे यह उनकी तरफ से स्पष्ट है। वैसे जिले के जिन तीन पुलिसकर्मियों ने बलरामपुर जिले में आमद देने की बजाए चिकित्सा अवकाश लिया हुआ है जिससे उन्हे अपनी पहूंच पकड़ और उप निरीक्षक की ऊंची पहुंच पकड़ का लाभ मिल सके तबादला आदेश निरस्त हो सके वह तीनो एकसाथ बीमार होने का आवेदन दिए हैं जो जांच का विषय है क्योंकि एकसाथ उन्हीं तीन पुलिसकर्मियों का स्वास्थ्य खराब हुआ है जिनका तबादला एमसीबी जिले से बलरामपुर जिला किया गया है। यह तीन पुलिसकर्मी वैसे कोरिया जिले के विभाजन से पूर्व संयुक्त कोरिया जिले के उन्हीं क्षेत्रों में लगातार पदस्थ थे जहां जिला विभाजन के बाद भी आज भी यह पदस्थ थे वहीं सभी का गृह निवास भी आसपास था जिसकी वजह से इनकी मनमानियां भी ज्यादा थीं आम लोग इनसे परेशान ही थे।
तीनों पुलिसकर्मी पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान ही काफी चर्चित रहे
जब इन्हे बलरामपुर जिले के लिए स्थानांतरित किया गया है यह भारी छटपटाहट में हैं और यह किसी भी हाल में वहां जाने से बचना चाहते हैं जिससे उन्हे फिर से अपने पुराने कार्यस्थल पर ही काम करने का मौका मिल जाए और वह फिर अपनी मनमानी करते हुए लोगों को परेशान करते रहें। यह तीनों पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान ही काफी चर्चित हुए थे वहीं इनके चर्चित होने के पीछे की वजह पूर्व की कांग्रेस सरकार के नेताओं से इनकी अच्छी सांठगांठ और पहचान जिसका लाभ लेकर यह मनचाही जगह पर काम करते चले आ रहे थे। पूरे पांच साल के कांग्रेस शासनकाल में यह इस कदर चर्चित बने रहे की यह अपनी मनमानी में कभी लगाम लगाते ऐसा कोई प्रयास किसी ने नहीं किया वहीं जैसे ही इनका तबादला हुआ यह इसलिए परेशान नजर आए क्योंकि नई जगह इन्हे वह स्वतंत्रता नहीं मिल पाएगी जो स्थानीय होने के नाते यह यहां पा रहे थे। वैसे अब सत्ता परिवर्तन के बाद भी इनका जुगाड बनाया जा रहा है एक उप निरीक्षक लगातार मंत्री सहित नेताओं के संपर्क में हैं जिससे इनकी वापसी इनके गृह जिले में हो सके जिसके लिए बकायदा सौदा हुआ है जो सूत्रों का कहना है और जिसके आधार पर ही इन्हे अपना तबादला आदेश निरस्त कराना है।
तीनों पुलिसकर्मियों का चिकित्सा अवकाश सवाल के घेरे में
आईजी सरगुजा के आदेश के बाद इनकी एमसीबी जिले से रवानगी हुए आज दो हफ्ते के लगभग का समय बीत गया यह अभी भी चिकित्सा अवकाश लेकर नवीन पदस्थली जाने से बचते नजर आ रहे हैं और उम्मीद लगाकर बैठे हैं की जिस उप निरीक्षक ने इनका तबादला रुकवाने का जिम्मा लिया है वह जरूर तबादला रुकवा पाएंगे और यह अपने गृह क्षेत्र में ही फिर मनमानी कर पाएंगे। तीनों पुलिसकर्मियों के चिकित्सा अवकाश को लेकर अब यह भी सवाल उठ रहा है की क्या जब इनका तबादला हुआ तभी इनकी तबियत खराब हुई और एकसाथ खराब हुई क्या इन्होंने चिकित्सा अवकाश केवल इसलिए लिया हुआ है की वह अनुचित तरीके से अवकाश लेकर तबादला आदेश निरस्त होने तक नौकरी में बने रहें। वैसे इन्हे चिकित्सा प्रमाण पत्र जिसमे इनकी अस्वस्थता का उल्लेख है की भी जांच होनी चाहिए वहीं इनका स्वास्थ्य परीक्षण विभागीय रूप से कराकर इनकी फिटनेश देखनी चाहिए की क्या यह सचमुच बीमार हैं या यह केवल तबादला आदेश निरस्त होने तक ही चाहकर बीमार हैं। वैसे यदि इसी तरह चिकित्सा अवकाश का सहारा लेकर हर वह कर्मचारी जिसका तबादला कहीं नियम अनुसार किया गया है वह बैठे रहे तो समझा जा सकता है की विभागीय आदेशों को लेकर कर्मचारी कितना गंभीर है। वैसे पुलिस विभाग में कम से कम अनुशासन के हिसाब से ऐसे कर्मचारियों पर लगाम लगाने की जरूरत है क्योंकि ऐसे ही कर्मचारियों की वजह से विभाग का अनुशासन भंग होता है और आगे ऐसी पुनरावृत्ति भी देखने को मिलती है।


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