रायपुर/कोरिया@क्या सत्ता किसी दल की हो जुगाड बनाकर कुछ अधिकारी ही बार बार काटेंगे जलवा,अन्य को कभी नहीं मिलेगा मौका?

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  • सुर्खियों में रहने वाले चर्चित अधिकारियों को बनाया गया मंत्रियों का ओएसडी,सत्ता सुख भोगने में माहिर हैं यह अधिकारी।
  • साफ सुथरी छवि वाले अधिकारियों को नए अधिकारियों को नहीं मिला मौका,मौका उन्हीं को जिनके पास पुराना अनुभव,साथ ही सिफारिश
  • श्याम बिहारी जायसवाल को ओएसडी बतौर मिले आशुतोष पाण्डेय,चिरमिरी बैकुंठपुर एसडीएम बतौर कर चुके हैं काम
  • बैकुंठपुर में एक बिल्डर के साथ जमीन फर्जीवाड़ा में भी उक्त अधिकारी का आया था नाम,हस्ताक्षर को अपना नहीं बताकर बच निकले थे खुद।

-रवि सिंह-
रायपुर/कोरिया 11 जनवरी 2024 (घटती-घटना)। वर्तमान समय में राजनीति में एक परंपरा सी बन गई है और वह परंपरा है प्रशासनिक अधिकारियों का मंत्रियों से जुड़कर उनका खास बनकर उनकी राजनीति में दखल देना उनके क्षेत्र सहित उनके निर्वाचन क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को आमजनों को उपेक्षित करना उन्हे कहीं न कहीं निर्वाचित जनप्रतिनिधि से दूर करना। आज के परिवेश में प्रशासनिक अधिकारी भी अपने लिए राजनीतिक एक मैदान तैयार करके चल रहे हैं वहीं जैसे ही उन्हे उनके मैदान में खेलने का अवसर मिलता है वह खेलने उतर जाते हैं और फिर ऐसा खेलते हैं की वह अपनी ही स्वार्थ पूर्ति के लीन हो जाते हैं वहीं वह किसी न किसी नेता का राजनीतिक भविष्य भी ले बैठते हैं।प्रशासनिक अधिकारी आजकल अपनी पसंद की सत्ता में मुख्यमंत्री मंत्रियों के करीब रहना पसंद करते हैं जो वह क्यों पसंद करते हैं समझा जा सकता है वहीं यह ऐसे प्रशासनिक अधिकारी होते हैं जिन्हे सुर्खियां भी पसंद है साथ ही अपना हित इसलिए वह जैसे ही उन्हे मौका मिलता है राजनीति में उनके परिचय का कोई निर्वाचित होता है विधायक मंत्री या उसके ऊपर कुछ पद पाता है वैसे ही उसके साथ जुड़कर वह अपना हित साधने में लग जाता है, वहीं वह उन कार्यकर्ताओं उन पार्टी पदाधिकारियों सहित उस क्षेत्र की जनता की भी अनदेखी शुरू करा देता है उस जनप्रतिनिधि मंत्री विधायक से जिसने उन्हें चुना है और फिर क्या जैसा जैसा वह अधिकारी चाहता है वैसा ही होता है, बाकी जन सामान्य के ऐसे काम जो जरूरी हैं जिन्हे पूरा कराने के उद्देश्य से ही जनता ने अपना नेतृत्व चुना है वह अधूरे रह जाते हैं वह ऐसे संलग्न अधिकारियों के आगे पीछे घूमकर ही वह पूरा करने की आस लगाए रहते हैं वह काम कभी पूरे नहीं होते। धीरे धीरे जनप्रतिनिधि से ऐसे ही निराश होकर उनके क्षेत्र के लोग दूर होते जाते हैं और अंत में जब फिर चुनाव का समय नजदीक आता है तब जनप्रतिनिधि को याद आता है की उन्होंने जनता से वादे करके जीत अपनी सुनिश्चित की थी वहीं जितने के बाद उनके और जनता के बीच अधिकारियों की रुकावट थी और फिर उन्हे गलत परिणाम भुगतने तैयार रहना पड़ता है। ऐसा ही कुछ फिर देखने को मिल रहा है वर्तमान भाजपा सरकार में।
राजनीति में जो परंपरा बन हुई है यह खत्म कब होगी?
राजनीति में जो परंपरा बन हुई है यह खत्म कब होगी? प्रशासनिक अधिकारियों में भी राजनितिक दल के नेताओ की एक टैग लगा जाता है, वह टैग है किसी पार्टी के समर्थन का, जब सरकार बदलती हैं तो पार्टी के साथ प्रशासनिक अधिकारी भी बदलते हैं, पर एक चीज देखा जाता है वह है की जो प्रशासनिक अधिकारी तेज व मौक परसत होते हैं वह जनप्रतिनिधियों का उपयोग करना भली भांति जानते हैं और मौके के साथ जनप्रतिनिधियों को अपने गिरफ्त में करना भी जानते हैं, जो प्रशासनिक अधिकारी जिस पार्टी का अंदर खाने से समर्थन करता है वह उसे पार्टी के आने पर सुखभोक्ता है और वह सुख होता है अच्छा पद व रुतबा पाने का…पर यह परंपरा सिस्टम के लिए काफी हानिकारक है और सिस्टम को खराब करने के लिए पर्याप्त है, यह परंपरा कब खत्म होगी इसका पता नहीं पर इस बार जब सरकार बदली तो इस बात की चर्चा जरुर थी कि इस बार प्रशासनिक कसावट लाने के लिए फ्रेशर को मौका दिया जाएगा, जो नेताओ का सही सलाह दे सके और सरकार जनता हित में ठीक से काम कर सके, पर ऐसा होता दिख नहीं रहा एक बार फिर जब मंत्रियों के ओएसडी का आदेश आया तो इस बात की चर्चा तेज हो गई और विरोध भी शुरू हो गया।
नियुक्त ओएसडी पुरानी भाजपा सरकार में वर्तमान मंत्री जब विधायक थे उस समय वह एसडीएम थे क्या उसे समय की घनिष्ठता काम आई?
वैसे तो विरोध सारे मंत्रियों के ओएसडी को लेकर है, पर हम इस समय बात कर रहे हैं सरगुजा संभाग के स्वास्थ्य मंत्री के नियुक्त हुए ओएसडी की, नियुक्त हुए तीन ओएसडी में से एक ओएसडी का नाम काफी चर्चा में है और चर्चा में हो भी तो क्यों ना क्योंकि पुरानी भाजपा सरकार में वर्तमान मंत्री जब विधायक थे उस समय वह एसडीएम थे क्या उसे समय की घनिष्ठता आज काम आई? पर विरोध इस बात का भी नहीं है विरोध तो सिर्फ इस बात का है कि यह अधिकारी काफी सुर्खियों में रहने वाले अधिकारी हैं, कोरिया में रहते हुए उनके ऊपर एक बिल्डर के साथ जमीन मामले में नाम सामने आया था मतलब की कहा जाए तो आरोप से घिरे हुए थे, पर इसके बावजूद इन्हें ओएसडी बनाकर क्या साबित करना चाह रहे हैं शासन और क्या संदेश देना चाह रहे हैं यह समझ के पार हैं? भले ही उस आरोप में वह अपने हस्ताक्षर से मुकर कर आरोपों से बच निकले से है पर दागी अधिकारियों में जाने जाते है। यह हम नहीं कह रहे यह तो क्षेत्र में चर्चा का विषय है।
क्या एक बड़े विभाग के मंत्री के साथ जुड़ने कुछ अधिकारी कर्मचारी पहले से सेटिंग कर रखे थे?
हाल में कुछ मंत्रियों के ओ एस डी और निज सचिव कौन होंगे यह शासन स्तर पर तय हुआ है जिसका आदेश जारी हुआ है और जारी आदेश में मनेंद्रगढ़ विधायक साथ ही स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को जिन अधिकारियों के साथ अब आगे अपनी पारी खेलनी है उनका नाम देखकर यह समझा जा सकता है की किस तरह एक बड़े विभाग के मंत्री के साथ जुड़ने कुछ अधिकारी कर्मचारी पहले से सेटिंग कर रहे थे और भाजपा से शीर्ष नेताओं से संपर्क कर साथ ही संबंधित विधायक मंत्री से मिलकर वह खुद को उनके साथ सेट करने की जुगाड में लगे हुए थे। यह वह अधिकारी और कर्मचारी हैं जो भाजपा शासनकाल में विधायक मंत्रियों के ओएसडी साथ ही निज सचिव रह चुके हैं और इनका व्यवहार आम लोगों के प्रति मंत्री विधायक के साथ रहने के बाद भी ऐसा था की यह कहीं न कहीं जनता की नाराजगी का कारण ही बने चले आए थे और जिनके साथ भी यह अधिकारी कर्मचारी अपना नाम जोड़ पाने में सफल हुए वह दोबारा सफल नही हुए बल्कि उन्हें हार का सामना करना पड़ा। भाजपा जब वर्ष 2018 में सत्ता से बाहर हुई थी तब से लेकर अब तक यह इंतजार में थे और भाजपा की सत्ता में वापसी के साथ ही यह फिर से सक्रिय हुए और अंततः इन्हे सफलता मिली और यह मनेंद्रगढ़ विधायक साथ ही स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी बनने में सफल हो गए। वैसे इसके पूर्व भाजपा शासनकाल में यह उच्च शिक्षा मंत्री के ओएसडी थे और वहां इनका आमजनों से जो व्यवहार था वह कहीं से एक जनप्रतिनिधि के मतों में इजाफा करने वाला नहीं था जो लोगों का ही कहना है। खैर फिलहाल बस्तर में उप संभागायुक्त के पद पर कार्य कर रहे जिस अधिकारी की बात की जा रही है जिन्हे स्वास्थ्य मंत्री का ओ एस डी बनाया गया है उनका नाम आशुतोष पाण्डेय है और वह अब स्वास्थ्य मंत्री के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाने वाले हैं।
कोरिया जिले में रह चुके हैं एसडीएम,चिरमिरी सहित बैकुंठपुर में निभा चुके हैं जिम्मेदारी
बस्तर में उप संभागायुक्त आशुतोष पाण्डेय अपने जुगाड के लिए जाने जाते हैं, सूत्रों का कहना है की वह पहले भी भाजपा शासनकाल में उच्च शिक्षा मंत्री के ओएसडी बनकर काम कर चुके हैं वहीं जैसे ही भाजपा पुनः सत्ता में आई वह फिर जुगाड लगाकर अब मनेद्रगढ़ विधायक साथ ही स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी बनने में सफल हो गए हैं। आशुतोष पाण्डेय कोरिया जिले में अपनी सेवा दे चुके हैं वहीं वह बैकुंठपुर सहित चिरमिरी में बतौर एसडीएम काम कर चुके हैं। उन्होंने इस बार अपने पुराने संपर्क को जुगाड का आधार बनाया है या वह अपने पिछले जुगाड और संपर्क के सहारे स्वास्थ्य मंत्री तक पहुंच पाए हैं यह तो स्पष्ट नहीं है लेकिन माना जा रहा है की जुगाड में माहिर आशुतोष पाण्डेय जुगाड से कुछ भी संभव कर पाने में सफल होते रहे हैं और इस बार भी उनका जुगाड सफल साबित हुआ है और वह स्वास्थ्य मंत्री के साथ अब जिम्मेदारी निभाएंगे साथ ही नक्सल प्रभावित क्षेत्र से भी नकलने में सफल हो गए।
बैकुंठपुर के एक बिल्डर के साथ जमीन मामले में हुए थे बदनाम,जांच में कई बार होना पड़ा था उपस्थित
स्वास्थ्य मंत्री के ओएसडी बनाए गए आशुतोष पाण्डेय बैकुंठपुर एसडीएम रहते हुए एक बिल्डर के साथ जमीन फर्जीवाड़ा मामले में बदनाम हो चुके हैं। मामले में जांच के दौरान आशुतोष पाण्डेय भी अपने बयान के लिए उपस्थित हुए थे और तब वह रायगढ़ नगर निगम आयुक्त थे। जमीन फर्जीवाड़ा मामले में इन्होने उस हस्ताक्षर को ही फर्जी बताकर खुद को बचाया था जिसके आधार पर इनका नाम फर्जीवाड़ा में शामिल हुआ था। हस्ताक्षर को लेकर दिए बयान के बाद यह मामले में बरी हुए थे।राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारी संघ के हैं प्रांताध्यक्ष,उच्च अधिकारी भी कहीं न कहीं रहते हैं प्रभाव में,कुछ कहने के लिए करना होता है उन्हे विचार
आशुतोष पाण्डेय राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारी संघ के प्रांताध्यक्ष हैं क्या इसी कारण उनका प्रभाव प्रदेश के उच्च अधिकारियों पर भी हमेशा रहता है। उन्हे कुछ कहने से उच्च अधिकारी भी परहेज करते हैं क्योंकि वह संघ के अध्यक्ष होने का दबाव अधिकारियों पर डालते हैं और कई बार इसका अनुचित लाभ भी उठाते हैं।
इसी वर्ष अगस्त माह में मिलना है आई ए एस अवार्ड
सूत्रों से मिलिजानकारी के अनुसार आशुतोष पाण्डेय को इसी वर्ष अगस्त माह में आईएएस अवार्ड होना है। राज्य प्रशासनिक सेवा में चयन उपरांत नियम अनुसार इनको पदोन्नति मिलनी है जिसका समय अगस्त माह में तय है।


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