अंबिकापुर@आईजी साहब! पुलिस पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कब काम करेगी?

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  • पांच एफआईआर वाले आरोपी को पकड़ने से आखिर पुलिस क्यों घबरा रही है,क्या पुलिस जमानत का मौका दे रही है आरोपियों कों?
  • अंबिकापुर सिटी कोतवाली के प्रभारी आरोपी को संरक्षण देने बैठे हैं या फिर पीडि़त को न्याय दिलाने की उनकी जिम्मेदारी है?
  • आरोपी आज भी पीडि़त को सोशल मीडिया पर दे रहा गंदी-गंदी गाली
  • आरोपी आज भी पीडि़त को सोशल मीडिया पर दे रहा गंदी-गंदी गाली
  • पुलिस जिसे फरार बता रही है वह फेसबुक व व्हाट्सएप से कॉल कर पीडि़त को रोज कर रहा परेशान
  • क्या भाजपा के नए गृह मंत्री सुधार पाएंगे पूरे छत्तीसगढ़ में पुलिस की कार्यप्रणाली को?
  • क्या आईजी,एसपी का भी अंबिकापुर कोतवाली प्रभारी को नहीं है डर?
  • कोतवाली पुलिस आरोपी के हित की करती है बात पर पीडि़त को करती है नजरंदाज

भूपेन्द्र सिंह-
अंबिकापुर,07 जनवरी 2024 (घटती-घटना)। भारत देश में न्याय के लिए कानून व्यवस्था बनाई गई है पर कानून व्यवस्था यदि न्याय दिलाने के लिए काम ना करें तो फिर ऐसी व्यवस्था का क्या काम? इस व्यवस्था के आड़ में इस विभाग को देखने वाले सिर्फ अपना पैकेट गरम कर रहे हैं पर वहीं न्याय पाने वाला सिस्टम से लड़ाई लड़ रहा है,ऐसा कब तक चलेगा यह बड़ा सवाल है? क्योंकि कांग्रेस की सत्ता में न्याय दिलाने वाली पुलिस पूरी तरीके से फेल थी पर अब जब सत्ता परिवर्तन हुआ है तो पुलिस व्यवस्था जनता को न्याय दिलाने के लिए ही होगी इस बात की उम्मीद अभी तक की जा रही है,क्या पुलिस विभाग की व्यवस्था बदलेगी या फिर पुराने ही सत्ता के समान चलते रहेगी? ऐसा ही एक मामला इन दोनों अंबिकापुर कोतवाली का सामने आया है जहां कांग्रेस की सरकार में अपराध दर्ज हुआ था और सत्ता परिवर्तन होने के बाद भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है.. गिरफ्तारी नहीं हो पाई है यह तो ठीक है पर जिसे पुलिस फरार बता रही है वह प्रतिदिन सोशल मीडिया के जरिए व्हाट्सएप व फेसबुक के माध्यम से पीडि़त को परेशान करना नहीं छोड़ रहा है,वीडियो कॉल पर गाली-गलौज कर रहा है और व्हाट्सएप में भी गाली दी जा रही है अब सवाल यह उठता है कि सरगुजा में पहला साइबर थाना बनाया गया है पर क्या साइबर थाना की मदद से कोतवाली पुलिस उस आरोपी को पकड़ नहीं सकती या फिर पकड़ना ही नहीं चाहती? वैसे जिन आरोपियों की बात कर रहे हैं वह ट्रांसपोर्टर हैं और उनका पुलिस के कर्मचारियों से पुराना सांठ गांठ रहा है संबंध मधुर है क्या इसी वजह से आरोपियों को संरक्षण दिया जा रहा है ताकि वह न्यायालय से जमानत ला सके? पर यदि ऐसा हो रहा है तो फिर आप समझ सकते हैं कि न्याय के लिए बना पुलिस विभाग लोगों को कितना न्याय दिलाएगी। कप्तान साहब,त्रस्त है आवेदक का परिवार भयभीत है और कोतवाल साहब लगभग दो महीनों से आरोपी की खोजबीन करवा रहे है,पीडि़त के परिवार के कई सदस्यों को आरोपी अपना शिकार बना चुके हैं, और आगे बड़ी घटना को अंजाम देने का फरमान भी जारी कर दिये, इनका मनोबल इतना बढ़ा है कि एक और प्रकरण बलरामपुर थाने में इसी बीच दर्ज हो गया,अंततः आवेदक के परिवार वालों ने आरोपियों का पता बताने वाले को इनाम देने का सोच लिये,क्या यही सुशासन है साहब?
पुलिस से कैसे करें न्याय की उम्मीद?
अंबिकापुर पुलिस पूरी तरीके से एजेंट बनकर काम कर रही है अपराधी वहां पर आते हैं पर लोगों को डरा धमका कर या फिर सांठ-गांठ कर उसे मामले को वहीं पर दबा दिया जाता है, यही वजह है कि वहां पर कानून व्यवस्था पूरी तरीके से चरमरा चुकी है वहां पर बैठे पुलिस कप्तान भी इसे गंभीरता से नहीं ले पा रहे हैं आलम यह होता जा रहा है की अंबिकापुर सिटी कोतवाली के अंतर्गत गुंडागर्दी हावी होती जा रही। और सबसे अजीब बात तो यह है कि पुलिस को जहां लोगों के न्याय के लिए आनी चाहिए वहां पर वह आरोपियों को ही संरक्षण करते देखे जाते हैं, पुलिस पर शहर के लोगों का यह भी आरोप है कि वहां पर पुलिस एजेंट की तरह काम करती है और पैसे लेने देने पर अपराध दर्ज होते हैं और धाराएं बढ़ती और कम होती हैं।
आखिर पुलिस क्यों नहीं गिरफ्तार कर रही आरोपियों को?
घटना के लगभग दो महीने बाद भी पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई है इसकी वजह न जाने क्या है? पर लोगों का मानना है कि पुलिस आरोपियों को संरक्षण दे रही है परिजनों का कहना है कि आरोपियों की गिरफ्तारी न होने की वजह से आरोपी दिनदहाड़े घूम रहे हैं और घरों में घुस के गाली-गलौज कर रहे हैं पर पुलिस इस पर कुछ भी नहीं कर रही है।
सरगुजा आईजी व पुलिस कप्तान को लेना होगा संज्ञान
सरगुजा आईजी व जिले के पुलिस कप्तान को भी इस मामले में संज्ञान लेना होगा ताकि पीडि़त को न्याय मिल सके और अपराधी को सजा…पीडि़त को सिर्फ अब यह उम्मीद सरगुजा पुलिस अधीक्षक से ही रह गई है क्योंकि स्थानीय अधिकारी व पुलिस तो आरोपी को संरक्षण देने में जुटे हुए जान पड़ते हैं।
जांच अधिकारी की खानापूर्ति भी सवालों में
मामला गंभीर है एक व्यक्ति को काफी चोटे आई हैं पर इसके बावजूद जांच अधिकारी हाथ पर हाथ धरे-धरे बैठे हुए हैं आरोपी को पकड़ने में उनकी दिलचस्पी बिल्कुल नहीं है और ऐसा लग रहा है कि आरोपी को संरक्षण भी यही दे रहे हैं।
यह है मामला…
मिली जानकारी के अनुसार मायापुर अंबिकापुर निवासी सुमित गुप्ता अपने मित्र सूरज गुप्ता को 17 नवंबर मतदान दिवस के दिन सुबह 10ः00 बजे उसके घर घुटरापारा छोड़ने जा रहा था इसी बीच चांदनी चौक नानंदाउ पान ठेला के पास मायापुर निवासी विक्की गुप्ता उर्फ विकेश एवं घुटरापारा निवासी दीपक उर्फ दीपू गुप्ता मिल गए और सुमित गुप्ता को पुरानी लड़ाई झगड़ा की बात को लेकर गाली-गलौज करने लगे,जिस पर वह मामले को जैसे तैसे कर शांत कर वहा से निकलकर इसकी शिकायत अंबिकापुर कोतवाली में देने पहुंचा जहां पर थाना प्रभारी मौजूद नहीं थे पर उसने लिखित शिकायत दे कर आया पर वहां पर मौजूद पुलिसकर्मी ने उसे पावती नहीं दी कहा कि 1 घंटे बाद आकर ले जाना, 1 घंटे बाद जब वह अपने शिकायत की पावती लेने जा रहा था उसी समय फिर से मायापुर निवासी विक्की गुप्ता व दीपक गुप्ता मिल गए और सुमित गुप्ता को गाली गलौज करने के बाद उसे लड़ाई करने लगे और एक युवक ने लोहे की रोड से उसके ऊपर प्राण घाती घमला कर दिया और फिर उसे हाथ मुका और डंडे से खूब मारे जिस वजह से सुमित बुरी तरीके से घायल हो गया और उसे घायल अवस्था में ही जिला अस्पताल मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए ले जाया गया, जहां पर डॉक्टरों ने गंभीर चोट भी बताई इसके बाद उसके परिजन वहां पहुंचे और परिजनों ने मारपीट की घटना की शिकायत फिर थाने में दर्ज कराई जिसके बाद मामला तो पुलिस ने पंजीकृत कर लिया पर आरोपियों को पकड़ने में उनकी दिलचस्पी बिल्कुल भी नहीं है,खुले आम वह घूम रहे हैं और पीडि़त को गाली गलौज उसके घर में जाकर कर रहे हैं और धमकी दे रहे हैं की रिपोर्ट वापस ले लो नहीं तो ठीक नहीं होगा ऐसे में अंबिकापुर के कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठता है कि आखिर क्या पुलिस आरोपियों को संरक्षण देती है इतने गंभीर मामले में उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही।
आरोपी है आदतन
जिस आरोपी को लेकर पीडि़त परेशान है वह आरोपी आदतन है इसके ऊपर अंबिकापुर सहित बलरामपुर थाने में 5 अपराध अभी तक दर्ज है अब इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आरोपी कितने स्वच्छ छवि का है जिसे पुलिस गिरफ्तार करने से बच रही है या फिर हो सकता है कि पुलिस प्रयास कर रही है पर आरोपी पकड़ा ना जा रहा हो,पर यदि आरोपी अपने फोन से पीडि़त को धमका रहा है गाली-गलौज कर रहा है फिर भी पुलिस नहीं पकड़ पा रही है तो फिर पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठना लाजिमी है।


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