मेडिकल इंटर्न के चिकित्सकों पर रहता है मरीजों का भार
अंबिकापुर,28 दिसम्बर 2023 (घटती-घटना)। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय संबद्ध जिला अस्पताल की आपातकालीन चिकित्सा सेवा भगवान भरोसे है। ऐसा नहीं है कि यहां मरीजों को चिकित्सा सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है, लेकिन इसका श्रेय मेडिकल के उन छात्रों को जाता है, तो इंटर्न कर रहे हैं। देखा जाए तो इंटर्न करने वालों को पर्ची में दवा लिखने का अधिकार नहीं है। कैज्युलिटी मेडिकल आफिसर (सीएमओ) अगर मौजूद हैं, तो एक कमरे में दुबके रहते हैं। ऐसे हालातों के बीच जरूरत पड़ने पर जेआर, एसआर चिकित्सक को बुलाने मशक्कत करनी पड़ती है।
संभाग के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल में आपातकालीन चिकित्सा सेवा परिसर की शुरूआत करने का उद्देश्य लोगों को त्वरित चिकित्सा सेवा मुहैया कराना था। इसके विपरीत इस परिसर को मेडिकल इंटर्न करने वालों के लिए प्रयोगशाला बनाकर रख दिया गया है। अस्पताल के जिम्मेदारों के सामने कई बार यहां की अव्यवस्थाएं सामने आ चुकी हैं। ड्यूटी के समय जिम्मेदार चिकित्सकों के नदारद रहने की बात भी सामने आई है, लेकिन किसी प्रकार की ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसी शिकायतें पूर्व प्रदेश के उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के समक्ष भी आ चुकी हैं, इस पर उन्होंने नाराजगी भी जाहिर की थी। सरकार बदलने के बाद भी पुराने ढर्रे पर काम चल रहा है। हाल में विधायकों के दल ने इस अस्पताल का भ्रमण किया था, लेकिन वे इन कमियों को भांप नहीं पाए। चिकित्सा परिसर में चिकित्सकों व स्टॉफ के बीच कम्युनिकेशन गैप भी देखने को मिलता है। कहने को आपातकालीन चिकित्सा सेवा सुदृढ़ रहे, इसके लिए मासिक रोस्टर के अनुरूप चिकित्सक व कर्मचारियों की ड्यूटी लगती है, लेकिन रोस्टर के अनुरूप चिकित्सा सेवा देने वालों की मौजूदगी सुनिश्चित करने में अभी तक प्रबंधन को कामयाबी नहीं मिल पाई है। हाल में सुशासन दिवस पर अस्पताल में आयोजित कार्यक्रम के दिन भी ऐसे हालात सामने आए थे। सुबह साढ़े नौ बजे तक चिकित्सक की गैर मौजूदगी सामने आने के बाद मेडिकल के इंटर्न छात्रों ने यहां का मोर्चा संभाला था। अस्पताल अधीक्षक इससे अनभिज्ञ नहीं है। बुधवार को भी आपातकालीन चिकित्सा सेवा का मुख्य दायित्व कुछ ऐसे ही संचालित होते नजर आया। एक चिकित्सक या कहें सीएमओ, एक कमरे में धुनी रमाये बैठे रहते हैं।
हकीकत नहीं स्वीकारता प्रबंधन
आपातकालीन चिकित्सा परिसर में कैज्युलिटी मेडिकल आफिसर (सीएमओ) के अलावा जेआर की ड्यूटी लगती है। इनका साथ देने के लिए मेडिकल इंटर्न, प्रशिक्षण लेने वाले चिकित्सक रहते हैं। ये चिकित्सा कार्य का अभ्यास करने के लिए अस्पताल में इंटर्न करते हैं। इन्हें दवा की पर्ची लिखने का अधिकार नहीं रहता है। यह अधिकार जेआर, पीजी या एसआर चिकित्सक के पास रहता है। विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि जिम्मेदारों की गैर मौजूदगी में मेडिकल इंटर्न बतौर सहयोग देने वाले पर्ची में दवा तक लिख देते हैं। हालांकि प्रबंधन इसे नहीं स्वीकारता है। ऐसे हालातों के बीच कभी बड़ी चूक हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा, इसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।