- सत्ता जाते ही पांच सालों तक अटल चौक पर छाई रहती थी विरानी,चौक की पुताई भी इस दौरान होते नहीं दिखी थी…
- गाहे बगाहे अटल जी की जयंती पर अटल चौक में जुटते थे भाजपाई,रंग रोगन की फिर भी इस दौरान किसी ने जहमत नहीं उठाई
- सत्ता वापसी के साथ ही याद आए फिर अटल जी,जगह जगह मना सुशासन दिवस

–रवि सिंह –
बैकुंठपुर 25 दिसम्बर 2023 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ में पांच साल बाद फिर भाजपा सत्ता में वापसी कर पाई है और सत्ता में वापसी करते ही भाजपा नेताओं कार्यकर्ताओं में फिर से नया जोश उत्पन्न होता नज़र आ रहा है। पांच साल तक भाजपाइयों को जहां स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई की जहां यदा कदा ही याद आई वहीं उनकी जन्म जयंती भी कभी कभार ही इस दौरान भाजपाइयों ने मनाई। इस बार सत्ता वापसी के पहले ही चुनावी घोषणा पत्र में ही 25 दिसंबर का भाजपा ने उल्लेख कर रखा था और इस दिवस सुशासन दिवस के रूप में आयोजन करने का निर्णय लिया था इसी दिन प्रदेश के किसानों को धान के बकाया बोनस की राशि जो भाजपा शासन काल के दौरान नहीं दी गई थी दो वर्ष का उसका भी भुगतान करने की घोषणा की गई थी। प्रदेश में भाजपा सत्ता में वापसी कर पाई और उसने अपने घोषणा पत्र को अमली जामा पहनाना शुरू भी किया। 25 दिसंबर को धान के बकाया दो वर्ष के बोनस की राशि जहां किसानों के खाते में अंतरित की गई वहीं प्रदेश भर के सभी अटल चौकों पर पुष्प माला अर्पित कर स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई को भाजपाइयों ने याद किया। इसी क्रम में कोरिया जिले में भी सभी अटल चौकों पर सुबह से साफ सफाई भाजपाई करते नजर आए और वहीं कई वर्षों बाद अटल चौकों की पुताई हुई ऐसा देखने को मिला। विगत कई वर्षों से जो अटल चौक रंग रोगन के अभाव में खंडहर से होते जा रहे थे वह इस वर्ष सत्ता वापसी के बाद साफ सुथरे और रंग रोगन किए हुए नजर आए। ऐसा नहीं है की पिछले वर्षों में स्वर्गीय अटल जी को भाजपाइयों ने याद नहीं किया लेकिन उनकी याद और स्मृति में बने अटल चौकों को लेकर किसी भाजपाई ने ध्यान नहीं दिया की उसकी साफ सफाई हो या उसका रंग रोगन हो। एक तरह से अटल चौक अपनी पहचान ही खोते चले जा रहे थे जो इस वर्ष भाजपा की सत्ता में वापसी के साथ ही जीवंत नजर आने लगे। इस बार लगभग सभी अटल चौकों पर स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई को याद करने भाजपाई जुटे हुए नजर आए।
बता दें की छत्तीसगढ़ राज्य का गठन स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई की सोच और राज्यों के विकेंद्रीकरण नीति के तहत हुई थी और जब प्रदेश की सत्ता पर भाजपा ने कब्जा जमाया तब से उसने इस मामले को लेकर हमेशा श्रेय लेने का प्रयास किया और इसी उद्देश्य से भाजपा ने सत्ता में रहते हुए प्रदेश के हर ग्राम में एक चौक को अटल चौक के रूप में पहचान देने का प्रयास किया। भाजपा जब 2018 में सत्ता से बेदखल हुई तभी से अटल चौकों की स्थिति खराब नजर आने लगी थी वहीं इसको लेकर न सत्ताधारी दल ने ध्यान दिया था न ही भाजपाइयों ने ही ध्यान दिया था। वैसे इस बार कोरिया जिले के पटना क्षेत्र में भी जगह जगह अटल चौकों पर आयोजन किया गया।इस आयोजन के दौरान जो अच्छी बात नजर आई वह यह नजर आई की जो पांच सालों तक कभी अटल चौकों पर साफ सफाई या रंग रोगन के लिए उपस्थित नहीं होते थे ध्यान नहीं देते थे वह भी फोटो खिंचाने आगे नजर आए।।वैसे सभी अटल चौकों पर ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि या पंचायत स्तर के कर्मचारी भी नजर आए जो पांच सालों तक शायद ही नजर आए रहे हों,वैसे इस पूरे आयोजन में साफ सफाई का जिम्मा साथ ही रंग रोगन का जिम्मा अटल चौकों का ग्राम पंचायतों के हिस्से का जिम्मा था और लगभग सभी जगह पंचायतों ने ही रंग रोगन कराया वहीं उसके बाद यह भी सवाल उठने लगा की पांच सालों तक इन पंचायत प्रतिनिधियों को स्वर्गीय अटल जी की याद क्यों नहीं आई क्या उन्हे शासकीय शासन आदेश उपरांत ही आती है।
क्या अब पांच सालों तक इसी तरह होंगे आयोजन,या फिर पहले की तरह भूल जायेंगे स्वर्गीय अटल जी को भाजपाई?
25 दिसंबर को प्रदेश की सत्ता में वापसी होते ही सुशासन दिवस मनाया जायेगा यह भाजपा का संकल्प था,भाजपा ने सत्ता में वापसी की और अपने संकल्प को पूरा करते हुए उसने 25 दिसंबर को सुशासन दिवस मनाया जिसके अंतर्गत हर अटल चौक पर भाजपाई नजर आए। पांच सालों तक जो भाजपाई अटल चौक को भुला ही बैठे थे एकाएक उनको अटल चौक की याद आई और उन्होंने अटल चौक पर जाकर स्वर्गीय अटल जी को याद किया। अब सवाल यह उठता है की क्या उन्हे आगे स्व अटल जी की याद आती रहेगी वह हर वर्ष अटल चौक पर साफ सफाई रंग रोगन कर स्वर्गीय अटल जी को याद करेंगे या इस बार चूंकि शासन का आदेश था इसलिए याद किया उन्होंने आगे वह भूल जायेंगे।