- समाज के खिलाफ सोशल मीडिया में लिखने वाला समर्थक निज सहायक का है खास मित्र
- सत्ता जाते ही गर्मी उतरी तो आपा खोया,पूरे पांच वर्ष था बोलबाला,बदल गई थी बोली और चाल ढाल…
- जिला अस्पताल के हर कार्य, खरीदी, बिक्री, सप्लाई आदि में था हस्तक्षेप
– रवि सिंह –
कोरिया 24 दिसम्बर 2023 (घटती-घटना)। सत्ता जाते ही अब पूर्व विधायक समर्थको की हालत खराब हो गई है, राजनीतिक जानकारों की मानें तो पूरे पांच वर्ष अवैध वसूली से अपना घर चलाने और वाहन की पेट्रोल डलाने वाले चंगू-मंगू कार्यकर्ता अब आपा खोने लगे हैं। एक ताजा मामला इन दिनों विधायक समर्थक और तथाकथित निज सहायक के परम मित्र का देखने को मिल रहा है जिसके अनुसार पिछले दिनो हुए एक मामले को लेकर निज सहायक के मित्र द्वारा अपने समाज पर ही उंगली उठाई जा रही है, सोशल मीडिया में समाज के प्रति अनर्गल बातें लिखी जा रही हैं, पूर्व विधायक अंबिका सिंहदेव की अंधभक्ति उक्त समर्थक में स्पष्ट देखी जा रही है, पोस्ट में बौखलाहट भी देखने को मिल रही है तो वहीं उसके कृत्य से अब विवाद की स्थिति भी निर्मित हो गई है। समाज द्वारा अंबिका सिंहदेव के खिलाफ शिकायत पर कार्यवाही नही होने से समाज में पुलिस प्रशासन के प्रति भी आक्रोश पनप रहा है। समाज इस मामले पर अब आगे की रणनीति तय कर रहा है।
यह था मामला
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस से जुड़े एक युवा नेता किशन तिवारी और उसके मित्र आलोक दुबे द्वारा पैलेस मार्ग में पूर्व विधायक अंबिका सिंहदेव पर धमकी,चमकी किये जाने और मारपीट का आरोप लगा था, जिसके बाद सिटी कोतवाली में युवको ने रिपोर्ट दर्ज कराया था। इस बात की खबर से आक्रोशित समाज ने भी एक जिला स्तरीय बैठक कर अंबिका सिंहदेव के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया एवं पुनः सिटी कोतवाली में मामला दर्ज कराने हेतु पत्र दिया था। बतलाया जाता कि ब्राम्हण समाज की यह बैठक प्रेमाबाग परिसर में रखी गई थी जहां युवको द्वारा आपबीती बताई गई थी, जिसके बाद समाजिक जनों ने निंदा प्रस्ताव पारित किया था इसी बैठक में अंबिका सिंहदेव समर्थक और निज सहायक भूपेंद्र सिंह के परम मित्र ज्ञानेंद्र शुक्ला उर्फ ‘जानी’ भी पहुंचा था जहां उसके द्वारा अंबिका सिंहदेव के बचाव में बात रखने की कोशिश की जा रही थी,समाज के बीच भी गर्मी दिखला रहे इस समर्थक के द्वारा काफी तैस में आकर विवाद की स्थिति निर्मित करने की कोशिश की जा रही थी जिसके बाद वहां से उसे भगाया गया था। उक्त घटना के बाद से ही ज्ञानेंद्र शुक्ला उर्फ जानी के द्वारा सोशल मीडिया मंे समाज के खिलाफ लगातार बातें लिखी जा रही हैं। अंबिका सिंहदेव के बचाव में लिखी जा रही बातों से यह देखने में मिल रहा है कि वह अंधभक्त भी है और उसके लिए पहले अंबिका सिंहदेव और फिर बाद में समाज है। हलाकि जैसा सामाजिक जनो का कहना है कि इस युवक का समाज से कोई लेना देना नही है और ना ही वह पहले कभी सामाजिक कार्यक्रम में सक्रिय देखा गया है। अंबिका सिंहदेव पर आरोप लगने के बाद जरूर वह समाज को घेर रहा है जो कि निंदनीय है। बतलाया जाता है कि ज्ञानेंद्र शुक्ला द्वारा अंबिका सिंहदेव के निर्देशन और निज सहायक भूपेन्द्र सिंह के मार्गदर्शन में लगातार समाज पर टिप्पणी की जा रही है। लोगो का कहना है कि खुद अंबिका सिंहदेव द्वारा समाचार चैनलो के माध्यम से पीडि़त युवक से पारिवारिक संबंध होने का हवाला दिया गया है और घटना से इंकार किया गया था लेकिन इतने दिन बीत जाने के बाद भी वह युवक के घर नही गईं और उल्टे समर्थक द्वारा सोशल मीडिया में पोस्ट कराया जा रहा है जो कि उनकी गंदी मानसिकता का परिचायक है। आप एक जनप्रतिनिधी है और उस नाते किसी भी समाज के खिलाफ कुछ लिखवाना राजनीति के लिहाज से उचित नही है। इससे अंबिका सिंहदेव और ब्राह्मण समाज के बीच दूरी और बढ रही है। सोशल मीडिया पोस्ट में दिख रही बौखलाहट-यदि अंबिका सिंहदेव समर्थक ज्ञानेंद्र शुक्ला के सोशल मीडिया पोस्ट पर नजर डाली जाए तो देखने को मिलता है कि उसके द्वारा सामाजिक बैठक के बाद से ही समाज को घेरने की कोशिश की जा रही है। उसके द्वारा समाज के विषय में कई आपत्तीजनक बाते लिखी गई हैं जो कि विवाद का कारण बन सकती हैं।
अंबिका के निर्देशन में कलेक्टर को ज्ञापन,समाज का नाम लेकिन ज्ञापन से समाज ने बनाई दूरी,बताया अवैध
विश्वस्त सूत्रो ने बतलाया कि ब्राम्हण समाज द्वारा किय गए विरोध के बाद एक प्लानिंग के तहत अंबिका सिंहदेव समर्थक समाज से जुड़े कुछ लोगो को एक ज्ञापन कलेक्टर को देने हेतु कहा गया जिसमे संपूर्ण मामले की जांच कलेक्टर से कराने की मांग की गई है। उक्त पत्र में चुनिंदा ऐसे लोगो के हस्ताक्षर हैं जो कहीं ना कहीं से अंबिका सिंहदेव से जुड़े है और सामाजिक बैठक से नदारद थे। पत्र के बारे में समाज के जिलाध्यक्ष और जिम्मेदार पदाधिकारियों को तक नही बताया गया सिर्फ अंधभक्ति में समाज का उपयोग करते हुए ज्ञापन दिया गया है जिससे कि आपसी मतभेद पैदा हो रहा है और लोग इसके लिए अंबिका सिंहदेव को ही जिम्मेदार मान रहे हैं। पत्र में किया गया हस्ताक्षर भी एक ही व्यक्ति द्वारा किया गया प्रतीत हो रहा है। इस पत्र को समाज ने अवैध बतलाते हुए दूरी बना ली है।
कई जगह था ज्ञानेंद्र शुक्ला का हस्तक्षेप
पूरे मामले में जिस ज्ञानेंद्र शुक्ला उर्फ जानी शुक्ला का नाम सामने आ रहा है उसकी गतिविधियां किसी से छिपी नही है। वह अंबिका सिंहदेव के निज सहायक रहे भूपेन्द्र सिह का परम मित्र है और जिसके द्वारा पूरे पांच साल तक शासकीय कार्यालयों में अधिकारी कर्मचारी के बीच हस्तक्षेप किया जा रहा था। जिला अस्पताल में उसके द्वारा पूरा हस्तक्षेप किया गया जिससे कि वहां की स्थिति बिगड़ गई थी। जिला अस्पताल से ही घर के खर्च का संचालन भी होता था जैसा कि सूत्रो का कहना है। बहरहाल पूरे मामले पर समाम मे युवक के प्रति खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है आने वाले समय में समाज द्वारा नए सिरे से रणनीति बनाने की बात भी कही जा रही है।