- पांच राज्यों के चुनाव में तीन राज्यों में बीजेपी ने अप्रत्याशित जीत दर्ज की वहीं तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों का चयन भी अप्रत्याशित रहा
- जो आज तक के राजनीतिक इतिहास में नहीं हुआ होगा वह इस समय भाजपा करके दिखा रही है
- भाजपा के पक्ष में परिणाम से लेकर मुख्यमंत्री चयन तक सब कुछ अप्रत्याशित
- एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी एकजुटता और संगठन की शक्ति का परिचय दिया और नाम चयन में बिना बाधा के सबकुछ संपन्न हुआ
-रवि सिंह-
रायपुर/सरगुजा,22 दिसम्बर 2023 (घटती-घटना)। भारतीय जनता पार्टी एक अलग ही रुख में नजर आ रही है जहां पर कुछ भी संभव है कुछ ऐसा ही भारतीय जनता पार्टी में इस बार देखने को भी मिला पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के विधायक पद के लिए प्रत्याशी के चयन उनको टिकट वितरण चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्रियों के चेहरे से लेकर मंत्रिमंडल के विस्तार तक में पार्टी ने सभी को अचंभित कर दिया, जहां पर लोगों के पसंद को दरकिनार कर पार्टी ने अपनी ही मर्जी चलाई। पुराने मुख्यमंत्रियों का चेहरा बदलकर नए मुख्यमंत्री बनाए गए और नए मुख्यमंत्री के साथ दो-दो उपमुख्यमंत्री भी दे दिए गए, ऐसा इतने साल के राजनीति में कभी देखने को नहीं मिला, एक अलग ही प्रयोग करती नजर आई इस बार भाजपा, भाजपा का प्रयोग दिन प्रतिदिन जारी है, जहां तीन राज्यों में उन्होंने मुख्यमंत्रियों को बदलकर नया प्रयोग किया तो वहीं उन्होंने मंत्रिमंडल के विस्तार में भी प्रयोग कर दिखाया और ऐसे ऐसे लोगों को मंत्रीमंडल में शामिल किया जिनका नाम लोगों ने सोचा नहीं था और जिसको लेकर लोगों ने कल्पना की थी, उन्हें मंत्रिमंडल में जगह तक नहीं मिली। इस बार भी जब छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल के विस्तार वाली विधायकों के नाम की सूची आई तो लोग आश्चर्यचकित रह गए, नए नाम तो जोड़े गए पर कुछ पुराने नाम ऐसे थे जिन्हें दरकिनार नहीं किया जा सकता था पर उन्हें दरकिनार भी किया गया अब इसकी वजह जो भी हो पर पूरी सूची को देखकर लोग अचंभित रह गए। भाजपा का लगातार प्रयोग कहीं भाजपा के लिए खतरा तो नहीं या फिर भाजपा और मजबूती से आगे बढ़ रही। वैसे नए लोगों को युवा वर्ग को भाजपा आगे कर रही है और जिसका लाभ भाजपा को यह मिल सकेगा की युवा वर्ग भाजपा की तरफ आकर्षित होगा क्योंकि युवा वर्ग को लगेगा की भाजपा में किसी का भी नंबर कब लग जाए यह कहना मुस्किल है और जो काम करेगा मन से उसका नम्बर लगना तय है इस तरफ युवा वर्ग का ध्यान जरूर जायेगा।
नए विधायकों को मिली मंत्रिमंडल में जगह
छत्तीसगढ़ में इस बार मंत्रीमंडल का विस्तार मामला हो या मुख्यमंत्री सहित उप मुख्यमंत्रियों का चयन मामला हो, नए चेहरों को मौका दोनो ही बार मिला। भाजपा ने अपने मंत्रीमंडल विस्तार मामले में युवा वर्ग को आगे किया और उनपर ज्यादा विश्वास जताया। नए चेहरों पर दांव खेलकर भाजपा ने साबित कर दिया की वह अब अगली पीढ़ी को राजनीति सौंपने जा रही है वहीं अब भाजपा में पुराने बुजुर्ग नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी मिलना मुस्किल है। वैसे युवा वर्ग नए चेहरों को मौका देकर भाजपा ने अपनी संगठनात्मक एकजुटता साथ ही संगठन की बात को नेताओं के बीच स्वीकार करने की प्रतिबद्धता कैसे कायम होती है यह जता दिया। एक विरोध सामने नहीं आया जबकि 36 विधायक और थे जिन्हे मंत्री बनने की कहीं न कहीं से उम्मीद जरूर थी लेकिन भाजपा ने सभी को चौंकाया।
पुराने कई नेताओं को नहीं मिला मंत्रिमंडल में स्थान
भाजपा ने छत्तीसगढ़ में मंत्रीमंडल विस्तार के दौरान बिल्कुल नया उदाहरण प्रस्तुत किया। अधिकांश नए चेहरों को मौका मिला है इस बार मंत्रीमंडल विस्तार में। भाजपा ने अपने ही पुराने नेताओं पूर्व की सरकार में मंत्री रह चुके कई वरिष्ठ नेताओं को इस बार मंत्रीमंडल में स्थान नहीं दिया जो विधानसभा चुनाव जीतकर आए थे और जिन्हे उम्मीद थी की उन्हे मौका मिलेगा। भाजपा ने अपने ही बड़े नेताओं को मंत्रीमंडल में स्थान न देकर साबित कर दिया की भाजपा में काम करने के लिए ऊर्जावान होना युवा होना और अधिकतम समय देना पार्टी के लिए जनता के बीच जरूरी है जो युवा नेता ही दे सकते हैं पुराने बुजुर्ग नेता नहीं। भाजपा ने बैकुंठपुर विधानसभा से दिया था पूर्व में मंत्री अब मनेन्द्रगढ़ से दिया दूसरी बार पहला मंत्री
भाजपा ने अपने पूर्व के कार्यकाल में बैकुंठपुर विधानसभा से बैकुंठपुर विधायक को मंत्री पद प्रदान किया था अब भाजपा ने मनेंद्रगढ़ विधानसभा के विधायक को मंत्री पद प्रदान किया है। मनेंद्रगढ़ विधायक कोई पहली बार कैबिनेट मंत्री बन सकेगा यह भाजपा ने साबित कर दिया पद प्रदान कर दिया। मनेंद्रगढ़ वासियों के लिए यह बड़ी उपलब्धि है क्योंकि जहां पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने मनेंद्रगढ़ को जिला बनाकर अपने लिए दांव खेला था वहीं भाजपा ने सत्ता में वापसी के बाद मनेंद्रगढ़ वासियों को उनके समर्थन उपरांत निराश नहीं किया उन्हे उनके विधानसभा के लिए मंत्री पद दे दिया। भाजपा ने मनेंद्रगढ़ शहर से मिली पहली बार के अच्छे समर्थन के लिए भी धन्यवाद स्वरूप मंत्री पद मनेंद्रगढ़ विधायक को दिया ऐसा कहना गलत नहीं होगा। मनेंद्रगढ़ शहर से भाजपा को पहली बार अच्छा समर्थन मिला है और यह बड़ी वजह है मंत्रीमंडल में मनेंद्रगढ़ विधायक का नाम शामिल होने के लिए।
अमर अग्रवाल,राजेश मूणत,रेणुका सिंह, लता उसेंडी,अजय चंद्राकर, धरम लाल कौशिक,भईयालाल राजवाड़े जैसे कद्दावर नेता भी मंत्रीमंडल में जगह बना पाने में दिखे असफल
इस बार छत्तीसगढ़ में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद पहले उम्मीद जताई जा रही थी की भाजपा के कद्दावर नेताओं जिसमे कई पूर्व कार्यकाल के मंत्रियों के नाम थे उन्हे मंत्रीमंडल में जगह जरूर मिलेगी। इस सूची में अमर अग्रवाल का नाम,अजय चंद्राकर का नाम,राजेश मूणत का नाम, धरम लाल कौशिक का नाम,रेणुका सिंह का नाम,भईयालाल राजवाड़े का नाम,लता उसेंडी का नाम शामिल था जिन्हे मंत्री बनाया जायेगा ऐसा तय माना जा रहा था वहीं जब मंत्रीमंडल का गठन हुआ पुराने कई मंत्रियों का नाम सूची से बाहर दिखा इसमें उन विधायकों का नाम भी बाहर दिखा जो वर्ष 2018 के सत्ता विरोधी लहर में भी भाजपा से टिकट पाकर जीत चुके थे और फिर उन्होंने इस बार जीत दर्ज की जिसमें अजय चंद्राकर,और धरम लाल कौशिक का नाम प्रमुख है जो विपक्ष में भी भाजपा की तरफ से आवाज बुलंद करते चले आ रहे थे। बड़े नेताओं का नाम मंत्रीमंडल से बाहर रखकर भाजपा के नए चेहरों पर दांव खेला है। अब देखना है की पूरे मामले में बड़े नेता पूर्व मंत्री रह चुके विधायक क्या रुख अख्तियार करते हैं वहीं क्या उन्हे कोई बड़ी जिम्मेदारी देकर संतुष्ट किया जाएगा यह भी बड़ा सवाल है।
क्या छत्तीसगढ़ भाजपा का रिमोट कंट्रोल केंद्रीय नेतृत्व के हाथ?
छत्तीसगढ़ में मंत्रीमंडल के गठन के बाद एक सवाल यह भी उठता है की क्या छत्तीसगढ़ भाजपा का भी रिमोट कंट्रोल केंद्रीय नेतृत्व के पास है। वैसे मुख्यमंत्री ने केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा करके की मंत्रीमंडल का विस्तार किया है यह देखा गया है क्योंकि वह कई बार दिल्ली जाकर लौटे इस बीच। छत्तीसगढ़ में केंद्रीय नेतृत्व की दखलंदाजी दिखी यह कहना गलत नहीं होगा।
जो थीं मुख्यमंत्री की दौड़ में उन्हे मंत्री भी नहीं बनाया जाना समझ से परे
जबकि केंद्रीय राज्यमंत्री रहते हुए उन्होंने लड़ा चुनाव भरतपुर सोनहत से निर्वाचित हुई केंद्रीय राज्यमंत्री रहते हुए सरगुजा सांसद रेणुका सिंह की भी स्थिति मंत्रीमंडल गठन के बाद अजीब नजर आई। रेणुका सिंह पहले मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे चल रही थीं वहीं मुख्यमंत्री उन्हे नहीं बनाया गया वहीं जब मंत्रीमंडल का विस्तार हुआ उम्मीद थी की उन्हे पद मिलेगा फिर भी उनका नाम शामिल नहीं हुआ। अब रेणुका सिंह की स्थिति अजीब है उन्हे न बड़ा पद मिला न छोटा जबकि उनका केंद्रीय राज्यमंत्री का पद भी चला गया। वैसे उन्हे अब लोकसभा में भाजपा उम्मीदवार बनाएगी इसकी भी उम्मीद कम ही है क्योंकि उनकी जीत का अंतर कम है और ऐसे में भाजपा भरतपुर सोनहत क्षेत्र से कोई जोखिम उठायेगी लगता नहीं है।