बैकुण्ठपुर@क्या सरकार बदलते उन पुलिसकर्मियों पर होगी कार्यवाही जिन पर 2016 से मामला पंजीबद्ध है?

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रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर,20 दिसम्बर 2023 (घटती-घटना)। 8 साल पहले कोरिया जिले के कुछ पुलिसकर्मियों के ऊपर जबरन बिना किसी आदेश के अतिक्रमण हटाने को लेकर शिकायत हुई थी पर शिकायत पर कार्यवाही नहीं की गई थी, जिसके बाद प्रार्थी ने उच्च न्यायालय से गुहार लगाई थी जिसके बाद उच्च न्यायालय ने पुलिसकर्मियों के विरुद्ध अपराध पंजीकृत करने का आदेश जारी किया था, जिसके बाद पुलिस ने उच्च न्यायालय के आदेश के दबाव में एफआईआर तो दर्ज किया पर पुलिसकर्मियों का नाम नहीं लिखा, जबकि आदेश में नामजद एफआईआर दर्ज करना था पर ऐसा हुआ नही। अब जब सरकार बदल गई है तब यह उम्मीद लगाई जा रही है कि ऐसे पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही होगी और उनके ऊपर विभागीय जांच सहित इन्हें पद से पृथक किया जाएगा।
ज्ञात हो कि किसी भी अधिकारी के लिए उनके सारे कर्मचारी एक समान होते हैं पर किसी एक कर्मचारी को विशेष महत्व देना कहीं ना कहीं संदेह उत्पन्न करता है कुछ ऐसा ही मामला कोरिया जिले के पुलिस विभाग का है जहां पर एक प्रधान आरक्षक पर अधिकारियों का आशीर्वाद बरसता रहता है अब इसकी वजह चाहे जो भी हो, कोरिया के एक प्रधान आरक्षक हमेशा विवादों में घिरे रहते हैं इनके खिलाफ शिकायतों का अंबार है पर जो भी अधिकारी आता है वह इस प्रधान आरक्षक का मुरीद हो जाता है ना जाने ऐसा कौन सा गुण है इनमें की जो यह बोल दे वही अधिकारियों को अच्छा लगता है और सही भी चाहे तरीका गलत क्यों ना हो, जबकि इस प्रधान आरक्षक को कोई भी ईमानदार अधिकारी पसंद नहीं करता या फिर यह कहा जाए तो उसके विभाग के लोग भी इसे पसंद नहीं करते फिर भी अधिकारियों की चमचागिरी व पावलगी कर अधिकारियों के हितैसी बने रहना उसे खूब आता है।
मामला पंजीकृत होने के बावजूद बिना जमानत व बिना विभागीय जांच के पुलिसकर्मी आज भी डटे है नौकरी में
पुलिस पत्रकार पर या अन्य निर्दोषों पर बिना जांच के मामला पंजीबद्ध तो कर लेती है पर जब खुद इनके ऊपर मामला पंजीबद्ध होने की बारी आती है तो घबरा जाते हैं फिर बचाव के लिए पूरे पैतरे अजमाने लगते है एक तो इनकी शिकायत हो भी जाए तो इन्ही के अधिकारी इन्हें बचाने लगते है जब की वह भी जानते है की उनका कर्मचारी गलत व दोषी है पुलिस के खिलाफ कितनी भी शिकायत हो जाए यही वजह है कि जांच तो उसी विभाग के अधिकारी को करना है जिस वजह से उन्हें हर बार बच निकलने में सहूलियत होती है, इनके ऊपर तो कार्यवाही तब होती है जब कोई इनके पीछे पड़ जाए उच्च स्तर पर या फिर न्यायालय की शरण ले तब जाकर उसे जीत हासिल हो पाती है पर जीत के आने के बाद ही फिर उसी विभाग के कार्यालय के चक्कर लगाकर अपने चप्पल घिसने पढ़ते हैं फिर भी राहत नहीं मिलती कुछ ऐसा ही मामला है कुछ सालों पहले का है जहां पर एक व्यक्ति के प्रभाव में पुलिस वाले एक महिला का घर तोड़ने व कजा दिलाने के लिए चले जाते हैं उस महिला की शिकायत पर अपराध पंजीबद्ध नहीं होता तब महिला को उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ती है तब वहां पर उच्च न्यायालय मामले में संज्ञान लेते हुए अपराध पंजीबद्ध करने तो कहता है जिसके बाद 10 दिन के बाद उस मामले में अपराध पंजीबद्ध होता है पर उस पंजीबद्ध एफआईआर में पुलिसकर्मियों का नाम नहीं होता, वर्ष 2016 में एक महिला की शिकायत पर पुलिसकर्मियों ने मामला पंजीबद्ध नहीं किया तब उसने उच्च न्यायालय शरण लिया लिया था जिसमें उच्च न्यायालय ने 29 नवम्बर 2016 को अपराध पंजीबद्ध करने का आदेश दिया था, जिसमें नामजद अपराध पंजीबद्ध होना था पर पुलिस वाले ही जब अपराध पंजीबद्ध करते हैं तो अपने ही पुलिस वालों का नाम कैसे लिख सकते हैं बिना नाम के ही उन्होंने 9 दिसंबर 2016 को अपराध पंजीबद्ध किया, जिसमें उन्होंने पुलिसकर्मियों के नाम की जगह अज्ञात लिख दिया पर सवाल यह है कि हाईकोर्ट के आदेश में सभी के नाम दिए गए थे पर इसके बावजूद पुलिस ने नामजद अपराध दर्ज नहीं किया ना आज तक उन पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी हुई और ना ही वह पुलिसकर्मी ने जमानत लिया और ना ही विभागीय जांच ही सही से हो पाई, अब समझा जा सकता है कि पुलिसकर्मी यदि करें तो सब सही बाकी के ऊपर पुलिस टूट पड़ती है जबकि संविधान में साफ है कि पुलिसकर्मी भी यदि दोषी हैं तो उन पर भी अपराध पंजीबद्ध होना चाहिए पर अक्सर खाकी खाकी की मदद ही करता है और बचने का पूरा प्रयास करता है।
आखिर प्रधान आरक्षक पर कब तक बरसती रहेगी कृपा?
जिले के सबसे चर्चित प्रधान आरक्षक जिनकी कई बार शिकायतें भी हो चुकी हैं। सत्ता किसी की भी हो अधिकारी कोई भी हो उक्त प्रधान आरक्षक को जहां भी अपनी पदस्थापना लेनी होती है वह लेकर रहता है। विभागीय अधिकारी भी उक्त प्रधान आरक्षक के सामने नतमस्तक हैं और उसके पीछे किसका हांथ है जो अधिकारी भी उसके सामने झुके हुए हैं बड़ा सवाल है। अब सवाल यह भी है की एक प्रधान आरक्षक पर कब तक कृपा बरसती रहेगी। बता दें की कोरिया जिले के जिस प्रधान आरक्षक की बात की जा रही है वह जुगाड लगाने में माहिर है और जिसकी भी सरकार हो वह अपना जुगाड लगा ही लेता है। अब देखना है की भाजपा की नई पारी में भी वह जुगाड लगा पाता है या भाजपा इस बार उक्त प्रधान आरक्षक को तवज्जो नहीं देती है।
बैकुंठपुर थाने में अपराध दर्ज फिर भी पदोन्नति व थान पाने का देखते है सपना
जिले के जिस प्रधान आरक्षक की शिकायतों का अंबार है उसके विरुद्ध कार्यवाही क्यों नहीं हो पाती? उसके ऊपर बैकुंठपुर कोतवाली में ही अपराध भी दर्ज है। अपराध की जांच लगातार चल रही है क्योंकि पुलिस की जांच पुलिस कर रही है। मामले में प्रधान आरक्षक को बचाने में विभागीय अधिकारी भी उसकी मदद कर रहें हैं। बताया यह भी जा रहा है की खुद के ऊपर अपराध दर्ज होने के बावजूद उक्त प्रधान आरक्षक को अपनी पदोन्नति का इंतजार है जबकि अपराध दर्ज होने की स्थिति में पदोन्नति बाधित की जानी चाहिए। जहां अपराध दर्ज होने के बाद उन्हें पद से पृथक कर देना था वहां आज भी वह पद पर बने हुए हैं स्थिति यह है कि इनके एक ही जिले में रहने से पुलिस की कार्यप्रणाली भी कई मामलों में संदेह के घेरे में रहती है फिर भी उसके ऊपर मेहरबानी क्यों बरसती है यह बड़ा सवाल है अब जब सरकार बदली है सत्ता बदला है तो अब उम्मीद जगी है कि कार्यवाही भी होगी और जिले से इनका बाहर स्थानांतरण भी होगा।
उच्च अधिकारियों तक शिकायत फिर भी आज तक कार्यवाही का इंतजार
प्रधान आरक्षक की कई बार शिकायत भी हो चुकी है। शिकायत के बावजूद कार्यवाही आज तक लंबित है। जिले में आने वाले हर अधिकारी को प्रधान आरक्षक अपनी गिरफ्त में ले लेता है और कार्यवाही से बच निकलता है। अब देखना यह है की जिले में कब कोई पुलिस अधिकारी उक्त प्रधान आरक्षक के संबंध में हुई शिकायत की जांच करता है और निष्पक्ष कार्यवाही करता है। वैसे अभी तक ऐसा कोई पुलिस अधिकारी सामने नहीं आया है और देखना है की अब कोई अधिकारी हिम्मत दिखाता है की नहीं।
प्रधान आरक्षक को अपने ही विभाग के कर्मचारी नहीं करते पसंद
कोरिया जिले के जिस प्रधान आरक्षक की बात की जा रही है उसे जिले के ही पुलिसकर्मी पसन्द नहीं करते। इसके पीछे का कारण यह माना जाता है की वह अपने ही विभाग के कर्मचारियों की शिकायत करता है वह भी झूठी और फिर उसी आधार पर वह अधिकारियों का खास बन जाता है। जिले में कई अच्छे प्रधान आरक्षक और पुलिस कर्मी उसकी वजह से कई बार अधिकारियों की प्रताड़ना का शिकार हो चुके हैं। वैसे प्रधान आरक्षक केवल यही काम भी करते हैं उनका काम अन्य पुलिसकर्मियों पर निगरानी रखना और अधिकारियों तक उनकी चुगली पहुंचाना ही है जिसकी वजह से उन्हे अन्य पुलिसकर्मी पसन्द नहीं करते।
प्रधान आरक्षक को संभाग से बाहर किया जाए इसकी मांग भी लगातार हो रही है…
कोरिया जिले के एक प्रधान आरक्षक को लेकर यह भी मांग होती रही है की उनका तबादला संभाग से बाहर की जाए तभी कई मामलों में उनकी संलिप्तता का खुलासा हो सकेगा। उनका तबादला होगा तभी कई मामले जो उनके विरुद्ध हैं उसकी जांच हो पाएगी। ऐसा कुछ पुलिसकर्मी ही चाहते हैं वहीं कुछ उससे पीडि़त लोग भी चाहते हैं।
क्या प्रधान आरक्षक के रहने से अवैध कारोबारी को मिलता है संरक्षण?
प्रधान आरक्षक अवैध कारोबारियों को भी संरक्षण देते हैं जिसको लेकर एक ऑडियो भी वायरल हुआ था साथ ही थाने के सामने एक आरोपी के परिजनो से पैस भी लिया गया था जो थाना के सीसीटीवी में कैद हुआ था पर जांचा नहीं हुई, जिसमे तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने उन्हे कुछ नहीं किया था। अवैध कारोबारी प्रधान आरक्षक से काफी संपर्क में रहते हैं और यही उन्हे विभाग में उनकी पहुंच का माध्यम बनाते हैं जैसा बताया जाता है। कुल मिलाकर प्रधान आरक्षक पुलिस विभाग की छवि खराब कर रहे हैं और कोरिया पुलिस पर से जनता का विश्वास कम करने का कारण बन रहे हैं। जिस भी मामले में इनका नाम आता है वह मामला खुद ब खुद विवादित हो जाता है और मामले में निस्पक्षता समाप्त हो जाती है।


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