कोरिया @कोल माफिया कांग्रेस के, सरकार भाजपा की…क्षेत्र में विधायक भाजपा के…कोल माफिया समर्थक पूर्व विधायक के…मौका देगा कौन?

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  • कोल माफिया अपने अवैध कारोबार को लेकर छटपटाहट में,भाजपा नेता उनके कंधे पर रखें अपना हांथ जिससे मिले काम करने की छूट।

-रवि सिंह-
कोरिया 16 दिसम्बर 2023 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ में इस बार के विधानसभा चुनाव का बाद सत्ता परिवर्तन की स्थिति बनी और पांच साल पूर्व सत्ता में काबिज हुई कांग्रेस पार्टी सत्ता से बेदखल हो गई। कांग्रेस जब सत्ता में थी कोरिया जिले में खासकर बैकुंठपुर विधानसभा में कोयले का कारोबार जमकर फल फूल रहा था जिसको लेकर कई बार खबरें भी प्रकाशित की गई लेकिन अवैध कारोबार पर अंकुश नहीं लगा और वह सतत जारी भी रहा। कांग्रेस की सत्ता में कोयले का अवैध कारोबार बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र में काफी तेजी से जारी था और इस कारोबार में विधायक समर्थक लोग संलिप्त थे जो निडर होकर इस कारोबार को संचालित कर रहे थे जिसमे उनकी मदद शासकीय तंत्र के लोग भी कर रहे थे जिसकी वजह से वृहद स्वरूप में कारोबार जारी था। अब सत्ता परिवर्तन के बाद कोयले के अवैध कारोबार से जुड़े पूर्व विधायक के समर्थकों को छटपटाते हुए देखा जा रहा है और वह किसी तरह काम चालू हो सके इस जुगत में लगे हुए हैं। कोयले के अवैध कारोबार से जुड़े लोग जो पूर्व की सत्ता में सत्ता की आड़ में खुलेआम कोयले का अवैध कारोबार कर रहे थे अब वह इस चिंता में हैं की किस तरह कारोबार जारी हो और उन्हे भी कारोबार करने का मौका मिले।
बता दें की कोरिया जिले में कोयले की कई अवैध खदाने संचालित हैं और वहीं एसईसीएल से भी कोयले की चोरी की जाती रही है और उसे दूसरे राज्यों तक बेचा जाता रहा है। इस कारोबार में काफी मुनाफा हों के कारण इसमें जुड़े लोग भी सफेदपोश ही हैं और वह राजनीति से जुड़े लोग ही हैं जिन्होंने पिछली सरकार के कार्यकाल में खुलकर इस कारोबार को अंजाम दिया था और जमकर मुनाफा बटोरा था। अब सत्ता परिवर्तन के बाद वह काफी परेशान हैं और अब वह किसी भाजपा नेता का अपने कंधे पर हांथ तलाश रहे हैं जिससे उन्हे कारोबार करने का मौका मिल सके। बताना यह भी जरूरी है की कोयले के अवैध कारोबार से जुड़े अधिकांश लोग पूर्व विधायक के करीबी हैं और अब वर्तमान विधायक भाजपा के हैं वहीं सरकार भी भाजपा की ही है ऐसे में उन्हे खुलेआम कोयले के अवैध कारोबार की छूट मिल पाना तो आसान नजर नहीं आता है फिर भी उनकी मंशा यह है की यदि भाजपा से ही कोई इस व्यवसाय में कूदता है तो उसकी आड़ में उनका भी कुछ जुगाड चल जायेगा जिसकी फिराक में वह लगे हुए हैं।
इस बार भाजपा के विधायक अलग ही मंशा में नजर आ रहे हैं लगता नहीं है की वह किसी अवैध कारोबार मामले में हस्तक्षेप करने वाले हैं
वैसे जहां तक इस बार भाजपा के विधायक अलग ही मंशा में नजर आ रहे हैं लगता नहीं है की वह किसी अवैध कारोबार मामले में हस्तक्षेप करने वाले हैं और समर्थन देने वाले हैं। उन्होंने ने अपनी मंशा पहले भी जारी की है की उनका कार्यकाल इस बार जनता की भलाई के लिए समर्पित होगा और वह किसी भी ऐसे मामलो से दूर रहने वाले हैं जिसमे जरा भी बदनामी का भय है। कोयले के कारोबार से जुड़े लोग ऐसी स्थिति में क्या करेंगे यह भी बड़ा सवाल है क्योंकि यदि वर्तमान विधायक अडिग रह गए मामले में और वह इसपर अंकुश लगाने की सोच लिए तब अवैध कोयला कारोबार से जुड़े लोगों का क्या होगा यह बड़ा सवाल है।
कोयले के कारोबार की सुगबुगाहट सुनाई नहीं दे रही
वैसे कोयले का अवैध कारोबार दिसंबर माह से शुरू हो जाता है और जो मई माह तक अनवरत जारी रहता है जिसमे इस बार पहले ही विलंब नजर आ रहा है। इस बार दिसंबर समाप्त होने की कगार पर है और जनवरी माह आने ही वाला है फिर भी अभी तक कोयले के कारोबार की सुगबुगाहट सुनाई नहीं दे रही है। क्षेत्र में भी अवैध कोयले की काफी मांग रहती है जो स्थानीय ईंट भट्ठों के लिए ईंधन का काम करता है और ईंट भट्ठे भी अब ईंट जलाने के लिए तैयार हैं और उन्हे भी कोयले का इंतजार है। अब देखना है की कोयले के अवैध कारोबार को हरी झंडी इस बार मिलती है की नहीं मिलती है।
करोड़ों का होता है इस मौसम में अवैध कोयले का कारोबार
कोरिया जिले में इस मौसम जिसमे दिसंबर से मई तक का महीना शामिल है करोड़ों का अवैध कोयला खपाया जाता है। कुछ कोयला अन्य राज्यों को भेजा जाता है वहीं कुछ कोयला जिले में ही ईट भट्ठों में खपाया जाता है। करोड़ों के इस अवैध कारोबार में सत्ता की दखल हमेशा देखी गई है और बिना सत्ता की सहमति के इस कारोबार में शुरुआत भी मुश्किल है। इस कारोबार से जुड़े लोग अक्सर सफेदपोश ही चले आए हैं जो इस कारोबार से जुड़कर अच्छा लाभ अर्जित करते चले आए हैं। इस बार इस कारोबार में विराम लगने की आशंका है और देखना है की विराम लगता है की नहीं।
कई अवैध कोयला खदाने हैं जिले में संचालित
जिले में कई अवैध कोयला खदाने संचालित हैं। पटना क्षेत्र के आसपास ही अनगिनत अवैध कोयला खदाने संचालित हैं जहां लगातार सीजन में कोयले का खनन जारी रहता है। कोयले का खनन करके स्थानीय लोग एक जगह इकट्ठा करते हैं जिसे कोयले के अवैध कारोबार से जुड़े लोग जाकर खरीदते हैं और फिर उसे ऊंचे दाम पर बेचते हैं। अवैध कोयला खदाने वन क्षेत्र में संचालित हैं और अवैध कोयला खदानों को लेकर वन विभाग भी मौन बना रहता है कार्यवाही करने से वह पीछे हट जाता है क्योंकि इस कारोबार से जुड़े लोग सत्ता का सहारा लेने में माहिर होते हैं। कई बार अवैध खदानों को बंद भी किया गया लेकिन उसमे भी सफलता नहीं मिल पाई क्योंकि जिन खदानों को बंद किया गया उसके बावजूद कई खदाने अभी भी बंद नही हो सकी है।
अवैध कोयला खदानों में जान का भी होता है खतरा,कई बार जा चुकी है कइयों की जान फिर भी जान जोखिम में डालकर कोयला खनन करते हैं मजदूर
अवैध कोयला खदानों में सुरक्षा मानकों का कोई ध्यान नहीं रखा जाता। एक तरफ से कोयला खनन जारी रहता है और ऊपर कोई सपोर्ट भी नहीं दिया जाता। इस तरह पहाड़ के अंदर कोयला खनन करते हुए मजदूर दूर तक चले जाते हैं और कई बार पहाड़ धसकने के कारण मजदूरों की जान जाने का भी खतरा बना रहता है वहीं कई बार जान जा भी चुकी है कई मजदूरों की फिर भी जान जोखिम में डालकर मजदूर कोयला खनन करने जाते हैं। कुल मिलाकर चंद पैसों की लालच में मजदूर अपनी कीमती जान की भी परवाह नही करते वहीं इस कारोबार के बड़े खिलाड़ी निडर होकर उनसे कोयला खरीदने जाते हैं।शासकीय तंत्र भी इस कारोबार में देता है मदद,करता है अवैध कारोबारियों को सहयोग
अवैध कोयला कारोबार में शासकीय तंत्र भी अवैध कारोबारियों का साथ देता है। कई शासकीय विभाग और उनके अधिकारी कर्मचारी हैं जो इस कारोबार पर अंकुश लगा सकते हैं लेकिन वह मौन रहते हैं जिसमे खनिज विभाग,पुलिस विभाग और वन विभाग शामिल है जो इस कारोबार को पूरी तरह बंद कर सकते हैं


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