चिरमिरी,@पुलिस आखिर क्यों प्रार्थी को संतुष्ट नहीं कर पाती मामले को टालने के लिए 155 के तहत न्यायालय क्यों भेजती है?

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यदि न्यायालय से ही अपराध पंजीकृत करना है तो फिर पुलिस के पास क्यों जाए कोई प्रार्थी?
-रवि सिंह-

चिरमिरी,05 दिसम्बर 2023 (घटती-घटना)। चिरमिरी थाना से लेकर पोड़ी थाना क्षेत्र अंतर्गत लगभग दर्जनों मामले में आरोपी महिला दुर्गा कुलदीप पर एक बार फिर लगा है एक आरोप इस बार आरोप लगाने वाली प्रार्थी भले ही नई है लेकिन आरोप और आरोपी पुरानी ही है, जी हां दुर्गा कुलदीप पर नौकरी लगाने के नाम पर पैसे लेने के मामले इससे पहले भी सामने आ चुके हैं पर हर बार कानून की लाचारी का पुरा फ़ायदा दुर्गा ने बड़ी ही चालाकी से उठाया है जिसके कारण दुर्गा कुलदीप के हौसले बुलंद हैं इसी वजह से दुर्गा हर दिन किसी न किसी को अपना शिकार बना रही है,दुर्गा कुलदीप पर इस बार डोमनहिल की रहने वाली एक महिला शोभा गुप्ता ने आरोप लगाया है शोभा गुप्ता ने चिरमिरी थाने में आवेदन के माध्यम से जानकारी दी है की दुर्गा कुलदीप ने शोभा के बेटी की नौकरी लगाने के नाम पर 1,50000 रुपय मांगी थी जिसमे से शोभा गुप्ता ने अग्रिम राशि के तौर पर 18 जून को 30000 रूपए दिये थे लेकिन काम ना होने के बाद जब शोभा गुप्ता ने अपने पैसे मांगे तब दुर्गा ने धमकी देते हुए कहा की जाओ जहां जाना है चली जाओ थाना पुलिस कोर्ट कचहरी मेरा कुछ नही कर सकता यह सब सुनने के बाद शोभा गुप्ता ने चिरमिरी थाने में आवेदन दिया और अपने साथ हुए ठगी की सूचना दी,सूचने के बाद भी जब चिरमिरी थाने की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं हुई तब शोभा गुप्ता पुलिस अधिक्षक कार्यालय मनेन्द्रगढ़ और नगर पुलिस अधिक्षक चिरमिरी कार्यालय जा कर मामले की जानकारी दी और जिसके बाद नगर पुलिस अधिक्षक ने इस मामले में आईपीसी की धारा 155 के तहत मामला कायम करने की बात कही गई लेकिन शोभा गुप्ता ने कहा की मामला आपसी लेनदेन के नही बल्कि ठगी का है तो इसमे 155 की धारा क्यों?और ऐसा कहते हुए शोभा गुप्ता नगर पुलिस अधिक्षक के कार्यालय से चली गई। अब पुलिस की इस रवैये पर सवाल उठता है की जो मामला ठगी का है जिसमे आईपीसी की धारा 420 के तहत मामला कायम होना चाहिए उस मामले में पुलिस ने 155 का मामला कायम करने की बात क्यों की? पुलिस के इसी रवैये के कारण दुर्गा कुलदीप का साहस दिन व दिन बढ़ता ही जा रहा है।
वैसे पुलिस के पास किसी मामले को दर्ज करने के बाद उसकी जांच और जांच में मामला सही नहीं पाए जाने पर खात्मे का भी अधिकार है फिर भी पुलिस क्यों मामला दर्ज करने से बचती है यह बड़ा सवाल है। कोई भी पीडि़त किसी मामले में जिसमे उसे न्याय की आस होती है सबसे पहले पुलिस की शरण में जाता है वहीं पुलिस ही यदि उसे बिना कुछ कार्यवाही किए न्यायालय जाने का फरमान सुनाती रहेगी तो फिर पुलिस का काम क्या है यह बड़ा सवाल है। कई मामलों में देखा जाता रहा है की जब कोई पीडि़त पुलिस थाने पहुंचता है तो तत्काल उसके आवेदन शिकायत पर विचार नहीं किया जाता सबसे पहले उसे प्रभारी का इंतजार करना पड़ता है या प्रभारी की सहमति से ही कोई मामला पुलिस सुनने तैयार होती है कुल मिलाकर देखा जाए तो कहने को पुलिस थाने में कई कर्मचारी होते हैं फिर भी किसी मामले में बिना प्रभारी की अनुमति कोई विचार नहीं होता भले ही मामला कितना भी गंभीर क्यों न हो। वैसे इस मामले में पुलिस को कम से कम जांच जरूर करना था जिससे वह बचती नजर आ रही है और प्रार्थी महिला को न्यायालय जाने की सलाह देकर खुद को मामले से किनारे करना चाहती है।


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