मनेन्द्रगढ़@रविकांत सिंह की सोशल मीडिया पोस्ट ने पीड़ित किसान को दिलाई एक व्यापारी से 20 हजार की अनुदान राशि,पेशे से पत्रकार हैं रविकांत

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मनेन्द्रगढ़ 30 नवम्बर 2023 (घटती-घटना)। एक किसान की पकी हुई और कट कर तैयार फसल जलकर खाक हो गई वह किसान का धान नहीं धन था, परिश्रम का फल था जो जल गया था, खेतो में पसीने बहाकर जिस धान की रोपाई किसान ने कुछ महीने पहले की थी वह फसल पककर तैयार हो गई। किसान ने फिर पसीना बहाकर खेत मे धान कटाई की और उसे ट्रैक्टर में लादकर किसान अपने घर तक लाया। धान खरीदी केंद्र में धान बेचने की तैयारी थी, तब तक खलिहान में धान जलकर खाक हो गया। वीडियो में जो किसान रोते हुए अपने धान के जलने की जानकारी दे रहे है वो किसान भरतपुर ब्लाक के जनकपुर के तुर्रापारा के गेंदलाल बैगा हैं, मार्मिकता भरा उनका यह वीडियो बताता है की किसान मेहनत कर जब फसल उगाते है और वह फसल जब आग में जलकर राख हो जाता है तब किसान टूट जाता है किसान गेंदलाल सरकार से मुआवजे की गुहार लगाते फिर रहा है, लेकिन आचार संहिता के कारण उसे मुआवजा भी नसीब नहीं हो पा रहा है किसान की परेशानी को रविकांत सिंह राजपूत ने सोशल मीडिया पर डालकर इसकी जानकारी साझा की जिसके बाद पीड़ित किसान की एक सज्जन व्यापारी मदद ने के लिए आगे कदम बढ़ाया और किसान को 20 हजार का अनुदान राशि दिया जो काम प्रशासन का था वह काम एक व्यापारी ने मानवता दिखाते हुए करके दिखाया, व्यापारी के मानवता से शायद प्रशासन को सीख लेनी चाहिए, साथ ही प्रशासन को यह भी ध्यान देना चाहिए कि पीड़ित को जल्द से जल्द सहायता पहुंचाया जा सके जो अक्सर देखा नहीं जाता है विलंब से ही पीड़ितों को सहायता मिलती है जो प्रशासन की कमी है उसकी तत्परता में कमी है।
जानकारी के अनुसार जनकपुर के किसान गेंदलाल बैगा के धान की फसल खलिहान में जलकर खाक हो गई थी सोमवार को रविकांत सिंह द्वारा इस विषय पर सोशल मीडिया में पोस्ट किया गया था पोस्ट को पढ़कर अभिषेक टेंट हाउस के संचालक अभिषेक अग्रवाल ने पेशे से पत्रकार रविकांत सिंह से संपर्क किया और रविकांत सिंह ने किसान गेंदलाल से संपर्क कर उनसे उनका अकाउंट नम्बर प्राप्त कर अभिषेक अग्रवाल को दिया आज उन्होंने किसान गेंदलाल की आर्थिक मदद करते हुए 20 हजार रुपये गेंदलाल की पत्नी राधा बाई के खाते में डाले। अन्नदाता को सबसे पहले अनुदान  देकर अभिषेक अग्रवाल ने एक नेक काम किया वहीं एक किसान की परेशानी में उसके मददगार बने, गैर जरूरतमंदों को स्वेच्छानुदान राशि देने वाले नेताओं को भी अन्नदाता को अनुदान देने के लिए आगे आना चहिए। हाल ही में यह भी देखने सुनने को मिला की नेता जिन्हे स्वेक्षानुदान देने की पात्रता होती है और उन्हे जरूरतमंदों को स्वेक्षानुदान राशि देनी होती है उनके द्वारा स्वेक्षानुदान राशि अपने चहेतों को दी गई थी और जिसको लेकर काफी हो हल्ला आरोप प्रत्यारोप भी लगे थे। आज किसान की तत्काल मदद कर एक व्यापारी ने साबित कर दिया की वह उन जनप्रतिनिधियों से कहीं बेहतर हैं जो जरूरतमंदों का ध्यान देने की बजाए अपने ही खास लोगों का ध्यान रखते हैं। किसान को एक पत्रकार की सोशल मिडिया पोस्ट से आर्थिक मदद मिली एक व्यापारी ने मदद की यह श्रेय के लिए व्यापारी ने किया इसको लेकर व्यापारी ने खंडन भी किया उनका कहना है की जरूरत में किसी की मदद करके उन्हे एक शुकून मिला जो श्रेय का मामला वह नहीं समझते वहीं खबर प्रकाशन का उद्देश्य भी किसी को श्रेय देना कतई नहीं है बल्कि आगे सक्षम लोग किसी की मदद के लिए आगे आएं यह उद्देश्य है। आज किसान जिसे सहायता तत्काल मिली वह कहीं न कहीं कुछ राहत महसूस कर रहा है लेकिन अब प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और जल्द से जल्द किसान को आर्थिक मदद मुहैया करानी चाहिए। एक व्यापारी ने जो मदद की वह उसकी स्वयं की प्रेरणा थी जबकि प्रशासन को मदद प्रेरणा से नहीं करनी है बल्कि व्यवस्था के तहत किसान को उसका अधिकार प्रदान करना है।


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